Aankhon Ki Gustaakhiyan Review: ‘आंखों की गुस्ताखियां’ में विक्रांत मैसी का जादू, शनाया कपूर ने किया इम्प्रेसिव डेब्यू

punjabkesari.in Friday, Jul 11, 2025 - 04:32 PM (IST)

फिल्म- आंखों की गुस्ताखियां (Aankhon Ki Gustaakhiyan)
स्टारकास्ट- विक्रांत मैसी (Vikrant Massey), शनाया कपूर (Shanaya Kapoor), जैन खान दुर्रानी (Zain Khan Durrani)
डायरेक्शन- संतोष सिंह (Santosh Singh)
रेटिंग- 3*

Aankhon Ki Gustaakhiyan: विक्रांत मैसी और शनाया कपूर की फिल्म ‘आंखों की गुस्ताखियां’ आज यानी 11 जुलाई को सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। फिल्म का निर्देशन संतोष सिंह ने किया है और इसे लिखा व प्रोड्यूस किया है मानसी बागला ने। यह फिल्म रस्किन बॉन्ड की प्रसिद्ध शॉर्ट स्टोरी ‘The Eyes Have It’ पर आधारित है। फिल्म में विक्रांत मैसी, शनाया कपूर और ज़ैन खान दुर्रानी मुख्य किरदारों में नजर आ रहे हैं। प्रेम, दर्द और संवेदनाओं से भरी इस कहानी को एक सादगीपूर्ण लेकिन इमोशनल अंदाज में प्रस्तुत किया गया है।


कहानी
फिल्म की कहानी जहान नाम के एक नेत्रहीन म्यूज़िशियन और सबा नाम की एक थिएटर आर्टिस्ट के इर्द-गिर्द घूमती है। सबा को अपने एक किरदार के लिए नेत्रहीन व्यक्ति की दुनिया को महसूस करना होता है, इसलिए वह आंखों पर पट्टी बांधकर एक अनदेखी यात्रा पर निकलती है। इसी दौरान मसूरी की एक ट्रेन में उसकी मुलाकात जहान से होती है। संवादों और संगीत के बीच दोनों के बीच एक खास रिश्ता पनपता है। लेकिन अचानक जहान, सबा को बिना कुछ बताए छोड़कर चला जाता है। क्या दोनों फिर मिलते हैं? क्या अधूरी कहानी पूरी होती है? ये सब जानने के लिए फिल्म देखना जरूरी है।


एक्टिंग
विक्रांत मैसी ने एक बार फिर साबित किया है कि वह इमोशनल किरदारों के किंग हैं। जहान के किरदार में उनकी सादगी और गहराई दर्शकों को भीतर तक छूती है। वहीं शनाया कपूर, जिन्होंने इस फिल्म से अपना बॉलीवुड डेब्यू किया है, उन्होंने काफी संतुलित और सहज अभिनय किया है। उनकी परफॉर्मेंस में नयापन और मासूमियत साफ झलकती है, जो उनके किरदार के साथ फिट बैठती है। ज़ैन खान दुर्रानी ने भी सपोर्टिंग रोल में अच्छा योगदान दिया है।


डायरेक्शन
संतोष सिंह का निर्देशन साधारण लेकिन साफ-सुथरा है। उन्होंने फिल्म को एक धीमी रफ्तार लेकिन भावनात्मक प्रवाह के साथ प्रस्तुत किया है। हालांकि फिल्म की कहानी में गहराई और ट्विस्ट की कमी महसूस होती है। कुछ हिस्सों में स्क्रीनप्ले कमजोर पड़ता है और फिल्म थोड़ी लंबी लगने लगती है। लोकेशन्स, संगीत, और कैमरा वर्क अच्छे हैं, लेकिन स्क्रिप्ट और किरदारों में और मजबूती दी जा सकती थी। फिर भी, यह फिल्म वन टाइम वॉच जरूर कही जा सकती है।

 


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Content Editor

Jyotsna Rawat

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