Review: आजादी के बाद हैदराबाद के भारत में विलय को रोमांचक ढंग से पेश करती है Razakar
punjabkesari.in Thursday, Apr 25, 2024 - 10:11 AM (IST)
फिल्म: रजाकार (Razakar)
कलाकार : राज अर्जुन (Raj Arjun), बॉबी सिम्हा (Bobby Simha), मकरंद देशपांडे (Makrand Deshpande), वेदिका (Vedika), अनूसुया भारद्वाज (Anusuya Bhardwaj), तेज सप्रू (Tej Sapru), इंद्रजा, सुब्बाराया शर्मा (Subbaraya Sharma)
निर्माता : गुडूर नारायण रेड्डी (Gudur Narayana Reddy)
निर्देशक : यता सत्यनारायण (Yata Satyanarayan)
रेटिंग : 3.5
Razakar: फ़िल्मों का इतिहास 100 साल से भी पुराना है और इतिहास को लेकर फ़िल्में बनाने का चलन भी कोई नया तो नहीं है. मगर इतिहास पर आधारित ऐसी फ़िल्मों को उंगलियों पर गिना जा सकता है जिन्हें इतिहास में दर्ज बड़े ही रोचक विषय पर बनाया गया हो. ऐसी ही फ़िल्मों में अब 'रज़ाकार' का भी शुमार किया जा सकता है जो इतिहास के झरोखे से भारत के साहस और दृढ़ता की ऐसी झलक पेश करती है जिसे सिनेमा के बड़े पर्दे पर ही महसूस किये जाने की ज़रूरत है.
कहानी
फ़िल्म 'रज़ाकार' की कहानी भारत की आज़ादी और देश को एक दृढ़ राष्ट्र बनाने के ऐसे काल में रची-बसी गई है जिसके बारे में लोग कम ही चर्चा करते हैं. यह फ़िल्म भारत के इतिहास के एक बेहद महत्वपूर्ण अध्याय की रोचक तस्वीर पेश करती है और बताती है कि सिर्फ़ आज़ादी हासिल करना और अंग्रेज़ों से छुटकारा पाना ही भारत का मक़सद नहीं था बल्कि उस वक्त एक देश के रूप में मज़बूत राष्ट्र का निर्माण करना भी भारत की प्राथमिकता थी.
'रज़ाकार' की कहानी हैदराबाद के निज़ाम मीर उस्मान अली ख़ान (मकरंद देशपांडे) द्वारा अपनी रियासत के भारत में विलय नहीं करने के फ़ैसले और उनके शासन में अवाम की ख़्वाहिशों की अनदेखी कर रज़ाकारों (निज़ाम के निजी सुरक्षाकर्मियों) द्वारा जनता (हिंदुओं) पर बेतहाशा जुल़्म ढहाए के इर्द-गिर्द बुनी गई है. निज़ाम का प्रमुख रज़ाकार बनकर कासिम रज़वी (राज अर्जुन) भारत के ख़िलाफ़ साज़िशों के ऐसे सिलसिले की शुरुआत करता है कि आख़िरकार भारत को निर्णायक फ़ैसला लेना पड़ता है और हैदराबाद की अवाम की चाहत के अनुरूप उनकी रियासत का विलय भारत में कराने में देश कामयाब हो जाता है.
एक्टिंग
'रज़ाकार' के तमाम कलाकारों ने भी अपने उम्दा अभिनय से फ़िल्म को और भी निखार दिया है. राज अर्जुन, बॉबी सिम्हा, मकरंद देशपांडे, वेदिका, अनूसुया भारद्वाज, तेज सप्रू, इंद्रजा, सुब्बाराया शर्मा, अनुश्रिया त्रिपाठी सभी ने अपने-अपने किरदारों को बख़ूबी निभाया है. हैदराबाद के निज़ाम के एक वहशी और शातिर रज़ाकार के रूप में राज अर्जुन ने बेहतरीन एक्टिंग कर एक बार फ़िर से अपने अभिनय का लोहा मनवाया है.
डायरेक्शन
इतिहास की लगभग अनसुनी सी इस दास्तां को निर्देशक यता सत्यनारायण ने बड़े ही मार्मिक और जबर्दस्त अंदाज़ में प्रस्तुत किया है. फ़िल्म में हैदराबाद के रियासत में रज़ाकारों द्वारा हिंदू आबादी के साथ बदलसलूकी और उनके कत्ल-ए-आम के दृश्यों को विचलित मगर वास्तविक रूप में पिक्चाराइज़ किया गया है. इतिहास पर पड़ी धूल को हटाने के दौरान फ़िल्म के हरेक पहलू पर बड़ी ही बारीकी से ध्यान दिया गया है. फ़िल्म का लेखन, गीत-संगीत, छायांकन, संपादन, निर्देशक हर पक्ष बेहद मज़बूत है जिसका नतीजा एक बेहतरीन फ़िल्म के रूप में बड़े पर्दे पर देखने को मिलता है. कुल मिलाकर, फ़िल्म 'रज़ाकार' आज़ादी के बाद भारत के इतिहास के अहम अध्याय से नज़रिए से देखी जानी वाली एक उम्दा फ़िल्म है जिसे हर हाल में परिवार के हरेक सदस्य के साथ सिनेमा के बड़े पर्दे पर अनुभव किया जाना चाहिए..