Review: ''मोहल्ले वाला प्यार'' वो अनकही कहानी, जहां नज़रें बोलती हैं और दिल चुपचाप सुनता है
punjabkesari.in Tuesday, Nov 11, 2025 - 02:22 PM (IST)
वेब सीरीज: मोहल्ले वाला प्यार (Mohalle Wala Pyaar)
कलाकार: मुग्धा अग्रवाल (Mugdha Agarwal), धवल ठाकुर (Dhawal Thakur), रोहित चौधरी (Rohit Chaudhary)
डायरेक्टर : श्रद्धा पासी जयरथ (Shraddha Pasi Jayarath)
प्लेटफार्म: ऑलराइट ऐप और ऑलराइट यूट्यूब चैनल (Alright App and Alright App youtube channel)
रेटिंग: 3 स्टार्स
मोहल्ले वाला प्यार: कहते हैं, कुछ कहानियां लिखी नहीं जाती बस महसूस हो जाती हैं। मोहल्ले वाला प्यार भी ऐसी ही कहानी है जहां इजहार कम और नजरें ज़्यादा बोलती हैं। Rusk Media द्वारा निर्मित और श्रद्धा पासी जैराथ द्वारा निर्देशित यह पांच एपिसोड की शॉर्ट सीरीज हमें सीधे उसी दुनिया में ले जाती है, जहां मोहल्लों की छतों पर दिवाली की रोशनी और दिलों के बीच अनकही बातें तैरती रहती हैं। मुग्धा अग्रवाल, धवल ठाकुर और रोहित चौधरी मुख्य भूमिकाओं में हैं। हर एपिसोड लगभग 10–12 मिनट का है और इसे Alright App तथा Alright के YouTube चैनल पर जारी किया गया है।
कहानी
यह कहानी हर्षिल और अनामिका की है पड़ोसी, दोस्त, और शायद उससे भी ज़्यादा। बचपन से साथ बड़े होते हुहर्षिले बीच ज़्यादा शब्द नहीं, लेकिन छोटी-छोटी निगाहों, मुस्कुराहटों और त्योहारों की यादों की एक पूरी दुनिया है। हर दिवाली, जब आसमान पटाखों से चमकता है, हर्षिल का दिल कहता है। आज बोल दूं लेकिन उसकी हिचक उसे हमेशा एक ही बहाना देती है शायद… अगले साल।
इस दिवाली सब कुछ बदल जाता है, जब अनामिका की दुनिया में विशाल आता है। रोशनी वही है, त्योहार वही है, लेकिन हर्षिल की छत पर पहली बार बेचैनी उतरती है। धीरे-धीरे उसे एहसास होता है कि यह सिर्फ़ मोहल्ले वाली दोस्ती नहीं यह अनकहा, अधूरा और सच्चा प्यार है।
अभिनय
मुग्धा अग्रवाल (अनामिका) स्क्रीन पर दीपक की तरह चमकती हैं उनका अभिनय सहज और गर्मजोशी से भरा है। धवल ठाकुर ने अनकहे प्रेम की चुप्पी और दर्द को चेहरे के सूक्ष्म भावों और ठहरे हुए सन्नाटों से बेहतरीन ढंग से उकेरा है। रोहित चौधरी कहानी में नई हलचल और ऊर्जा लेकर आते हैं, जिससे भावनाओं का तनाव और स्पष्ट होता है।
लेखन और निर्देशन
श्रद्धा पासी जैराथ का निर्देशन इस सीरीज़ को अलग ऊँचाई देता है। कहानी को जिस तरह बहने दिया गया है, वह स्क्रिप्टेड कम और यादों की तरह ज़्यादा महसूस होती है। कैमरा उस मोहल्ला-दुनिया को पकड़ता है, जिसे हम सबने कभी-न-कभी जिया है संकरी छतें, त्योहारों की रोशनी और चुपचाप पनपता प्यार। डायलॉग्स में कोई बनावट नहीं बस वह कच्चापन है, जो इस कहानी को वास्तविक बनाता है।
मोहल्ले वाला प्यार उन भावनाओं को आवाज़ देता है, जो अक्सर आवाज़ नहीं पातीं। यह कहानी चिल्लाती नहीं, बस धीरे से फुसफुसाती है और शायद यही इसकी खूबसूरती है। यह उन लोगों के लिए है, जिनके दिल में कभी कोई अनकही बात अटककर रह गई हो… और जिनके पास भी किसी मोहल्ला-याद का कोई कोना बचा हो।
क्यों देखें
मोहल्ले वाला प्यार वही एहसास है, जिसे लगभग हर किसी ने कभी-न-कभी जिया है — प्यार, जो कहा नहीं जाता, बस जिया जाता है। इस शो में ताज़गी है और ऐसा प्यार है, जिसे आज की जेन ज़ी (Gen Z) को भी पसंद आएगा
