Interview: हंसाने की बजाय इस बार रुला रहे हैं राजपाल यादव, ''काम चालू है'' कर देगी आंखें नम

punjabkesari.in Tuesday, May 07, 2024 - 01:53 PM (IST)

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। बॉलीवुड के जाने-माने कॉमेडियन एक्टर राजपाल यादव ने हमेशा दर्शकों को हंसाया है लेकिन इस बार कॉमेडियन एक ऐसी कहानी लेकर आएं है जो सबकी आंखें नम कर देगी। राजपाल यादव की फिल्म 'काम चालू है' एक पिता के संघर्ष की इमोशनल कहानी है। सच्ची घटना पर आधारित यह फिल्म सड़कों पर हुए  गहरे गड्ढों के मुद्दे को प्रमुखता से सामने लाती है, जिसकी वजह से देश में हर साल कई लोगों की जान चली जाती है। 'काम चालू है' फिल्म में राजपाल की बेटी ऐसी ही एक सड़क दुर्घटना में अपनी जान गंवा देती है, जिसको लेकर एक पिता के सिस्टम के खिलाफ लड़ाई लड़ता है। फिल्म 19 अप्रैल 2024 को ओटीटी प्लेटफॉर्म जी5 पर रिलीज हो चुकी है और लोगों को बेहद पसंद आ रही है। इसके बारे में राजपाल यादव और जिया मानेक ने पंजाब केसरी/नवोदय टाइम्स/ जगबाणी/हिंद समाचार से की खास बातचीत।


(राजपाल यादव)
सवाल- यह फिल्म लाने का मुख्य उद्देश्य क्या है? 
जवाब- अपने देश में कई ऐसे मोमेंट चले हैं, जिनके जरिए बहुत अच्छे परिवर्तन हुए हैं। फिल्मों के माध्यम से भी और रियल लाइफ में भी। जैसे 'लगे रहो मुन्नाभाई' के बाद गांधीगिरी का कॉन्सेप्ट आया। हमारी फिल्म एक रियल घटना पर आधारित है। कोई भी प्रॉब्लम जब तक प्रॉब्लम है, जब तक हम उसके बारे में अवेयर नहीं है। ये इंटरनेट और डिजिटल वर्ल्ड का जमाना है। हाईवे का जमाना है, जिसमें 2 से लेकर 16 लेन तक चलती हैं। जिनसे पूरा इंडिया सज चुका है। हर मोहल्ले में हर गली में जैसे एक स्वच्छता की मुहिम आई थी, वैसे ही मेरा सपना है कि इस फिल्म को देखकर लोग अपने आस-पास के गड्ढों को भरना शुरु करें। सोचिए जब मनोज पाटिल 500 गड्ढे भर सकता है, तो आप सिर्फ अपने चबूतरे और गली मोहल्ले में हुए गड्ढों को भर सकते हैं। फिल्म यही एक भावुक और जरूरी संदेश देती है।  


सवाल- अभी तक आपने हंसाया है, अब आप दर्शकों को रुला भी रहे हैं। इस परिवर्तन का विचार आपको कैसे आया? 
जवाब- मैं पिछले 24 साल से इस बात की परीक्षा दे रहा हूं कि मेरे लिए हंसना और रुलाना एक बहाना है। लेकिन कोई बहाना नहीं चल सकता क्योंकि जहां हंसना होता है वहीं गम के आंसू शुरु होते हैं। खुशी के आंसुओं का बीज भी वहीं पड़ता है। आप कहीं से भी देख लीजिए दोनों परिस्थितियों में आंखों की आकृति एक जैसी बनती है। अब वो जो इमोशन अपनी रेलगाड़ी पर जब तक चलते रहेंगे, तो सोचिए कि राजपाल यादव अगर हंसी के लिए बना है, तो 'जंगल' रिलीज हुई थी साल 2000 में, उसमें मेरा निगेटिव रोल था। उसके बाद मेरी बहुत सी फिल्में आई, जिसमें मैंने दर्शकों को हंसाया। पिछले साल 'भूल भुलैया 2' रिलीज हुई, जिसमें फिर से एक बार मेरे छोटा पंडित का किरदार जो काफी पसंद किया गया। अब 'काम चालू है' में मैं एक सामाजिक मुद्दे को लेकर आया हूं, जिसमें मैं दर्शकों को हंसाने की जगह संदेश दे रहा हूं। हमारे देश की जनसंख्या 140 करोड़ से ज्यादा है अगर हम पांच-पांच गड्ढे भी भरें, तो गड्ढे कम पड़ जाएंगे। 

 

सवाल- 'काम चालू है' में राधा पाटिल यानी जिया के साथ आपकी बॉन्डिंग कैसी रही? 
जवाब- मुस्कुराते हुए ... जब मुझे यह फिल्म मिली तो मुझे नहीं पता था कि किरदारों का नाम मनोज पाटिल और राधा पाटिल है। मैं ये आपको इसीलिए बता रहा हूं क्योंकि एक रियल लाइफ में राधा यादव हैं, उनके लिए मैं अपने आपको भाग्यशाली मानता हूं कि ऐसी पत्नी मुझे जीवन में मिली। 'काम चालू है' में राधा पाटिल बनीं जिया का भी जवाब नहीं है। इनका भी रिप्लेसमेंट नहीं है। बिना किसी दिखावे और एफर्ट के एक शुद्ध भारतीय महिला का किरदार को उन्होंने बहुत बेहतरीन तरीके से निभाया। जो हर परिस्थिति में पति की बैकबोन बन जाए वही तो नारी शक्ति होती है। राधा पाटिल इन सभी में खरी उतरती है। पूरी फिल्म में अगर कहीं भी मनोज पाटिल अकेला है, तब भी उसके आसपाल उसकी बच्ची और पत्नी रहते हैं। 


(जिया मानेक)
सवाल- फिल्म का विषय बहुत ही संजीदा है और यह आपकी डेब्यू फिल्म भी है। तो आपका अनुभव कैसा रहा? 
जवाब- भगवान की कृपा है। मैं हमेशा से अपना डिजिटल डेब्यू करना चाहती थी लेकिन मैं सोचती थी कि कुछ अच्छा आना चाहिए। जब ये फिल्म आई तो मैंने सोचा ही नहीं था कि कुछ ऐसा भी हो सकता है। इस रोल के लिए पलाश मुच्छल जी ने मुझे सोचा तो मैं पहले से ही काफी एक्साइटेड थी। और फिर जब मुझे पता चला कि मेरे अपोजिट राजपाल यादव हैं, तो मेरी खुशी दोगुनी हो गई क्योंकि मैंने उनका काम देखा है। हम काम तो करते ही हैं लेकिन अगर उसके द्वारा एक भी व्यक्ति को अच्छा संदेश दे सकें तो वो एक इंसान दूसरे और कई अन्य लोगों तक वह मैसेज पहुंचा सकता है। सिर्फ मोबाइल उठाकर किसी भी हादसे की रिकॉर्डिंग करने से क्या होगा। गाड़ी से उतरकर आपको सामने वाले व्यक्ति की मदद भी करनी चाहिए। 

 

सवाल- आपने राजपाल यादव की फिल्में देखीं हैं और अब आप उनके साथ स्क्रीन भी शेयर कर रही हैं? क्या शुरुआत में आप थोड़ी बहुत नर्वस थीं? 
जवाब- मैं ईमानदारी से कहूं तो मेरे दिमाग में ज्यादा विचार नहीं थे। मैं सिर्फ यही सोच रही थी कि बहुत अच्छा मौका है, जिम्मेदारी से मुझे अपना काम करना है। हम एक-दूसरे से मिले और प्रोफेशनली काम शुरु कर दिया और अच्छा ही हुआ कि मैं नर्वस नहीं हुई। क्योंकि अगर होती तो शायद वो मेरी परफॉर्मेंस में झलकता।


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Content Editor

Varsha Yadav

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