Interview: ‘संजय सर के सेट पर खड़ा होना आसान नहीं है, हीरामंडी का हर तीसरा कदम चौंकाने वाला है’

punjabkesari.in Thursday, May 02, 2024 - 02:02 PM (IST)

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। संजय लीला भंसाली की बहु प्रतीक्षित और डेब्यू वेब सीरीज 'हीरामंडी द डायमंड बाजार' के सीरीज ने दर्शकों का दिल जीत रही है। तवायफों की दुनिया के राज, जुनून, ड्रामा और देशभक्ति की अलख का जज्बा दिखाती यह सीरीज 1 मई 2024 को नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम हो चुकी है। शाही महल की कई अनसुनी कहानियां बताती इस सीरीज में सोनाक्षी सिन्हा, मनीषा कोइराला, ऋचा चड्ढा, अदिति राव हैदरी, शर्मिन सेहगल, संजीदा शेख, शेखर सुमन, फरदीन खान, अध्ययन सुमन और ताहा शाह बदुशा जैसी बड़ी स्टार कास्ट मौजूद है। इस बारे में इन स्टार्स ने पंजाब केसरी/ नवोदय टाइम्स/ जगबाणी/ हिंद समाचार से खास बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश:


नेपाल में ही इसकी स्क्रिप्ट 10 बार पढ़ ली थी, रिसर्च भी की : मनीषा कोइराला


Q. लंबा समय हो गया इंडस्ट्री से दूर हुए तो जब आपको 'हीरामंडी' का ऑफर आया तो मन खामोशी थी या हलचल?

-जब यह ऑफर आया तो मुझे बहुत खुशी हुई। जब मैं सेट पर पहुंची तो वहां की भव्यता और सुंदरता देखकर मोहित हो गई।

Q.क्या आप अन्य एक्टर्स को होमवर्क की सलाह देती थीं?
- नहीं.. नहीं मैं किसी को बिल्कुल सलाह नहीं देती हूं। बल्कि मैं ऐसा करने से बचती हूं क्योंकि ये मेरे लिए भी काफी नया था। ये सच है कि मैं होमवर्क करती हूं। मैं जो भी किरदार निभा रही हूं उसका बैकग्राउंड जाने बगैर सेट पर नहीं जाती। एक दौर था जब मैं स्विच ऑन और ऑफ वाली एक्टर थी लेकिन अब वो समय हो गया मेरे लिए। अब मैं अपने किरदार का मजा लेती हूं। उसमें घुसकर इमोशनली उस दुनिया का हिस्सा बनती हूं। अगर मुझे ऐसा कोई रोल मिला है, जिसे मैं अच्छे से निभाना चाहती हूं तो घर पर बैठकर उसके बारे में काफी रिसर्च करती हूं। उससे जुड़ी हर चीज पकड़कर नोट्स तैयार करूंगी, सोचूंगी, डायरेक्टर को बार- बार पूछूंगी। मैंने इसकी स्क्रिप्ट नेपाल में ही दस बार पढ़ ली थी बाद में जब मुंबई आई, तो लुक टैस्ट के बाद मुझे इसके बारे में काफी कुछ समय आ गया था। फिर मैंने संजय से अच्छा डिक्शन कोच देने की रिक्वेस्ट की क्योंकि मेरी जुबान उर्दू में उतनी साफ नहीं है तो मुझे मालूम था कि इसमें मुझे बहुत मेहनत करनी है और अगर मैं किरदार का सुर पकड़ लेती हूं तो मेरे लिए काम थोड़ा आसान हो जाता है। मैंने अपनी आवाज, चलने, उठने, बैठने का तरीका काफी बदला।

 

Q.आपने स्टारडम का दौर भी देखा है। आज सोशल मीडिया के समय में स्टारडम और काम करने का तरीका काफी बदल गया है। आप इसे कैसे देखती हैं?
-मैं कुछ भी अपने साथ लेकर नहीं चलती। जो हुआ, वो हुआ। मैंने उस दौर को काफी एंज्वॉय किया। अभी मैं जब यंग एक्टर्स और उनकी मेहनत देखती हूं तो उनका प्रोफैशनल एटीच्यूड मुझे काफी इंस्पायर्ड करता है। तब से लेकर अब काफी कुछ बदल गया है और समय के साथ बदलना ही प्रकृति है। तो यही है, हर दशक में कुछ बदलाव आते हैं और ये काफी एक्साइटेड भी होता है।

 

लज्जो का किरदार मेरे बाकी किरदारों से काफी अलग है :  ऋचा चड्ढा

Q. भोली पंजाबन से लज्जो का किरदार निभाने का सफर कैसा रहा?
-हर बार मुझ पर यह आरोप लगाया जाता है कि मैं स्ट्रांग, मुंहफट और गुंडी टाइप रोल ही करती हूं। लज्जो का किरदार उससे काफी अलग था। मुझे याद है जब सकल बन गाना आया था तो मैं कुछ कमैंट्स पढ़ रही थी। एक यूजर ने लिखा हुआ था कि ऋचा चड्ढा को कभी डांस करते हुए नहीं देखा क्योंकि वो ज्यादातर मर्दाना टाइप रोल ही करती हैं। मुझे यह पढ़कर बहुत हंसी व खुशी भी हुई कि इस बार मैंने कुछ अलग किया।


 
Q. संजय सर के साथ जो काम करता है, वो उसे हीरे की तरह तराश देते हैं। आप इससे कितना इत्तेफाक रखती हैं?  
-संजय सर के सेट पर खड़ा होना आसान नहीं है। मैं कई बार बता चुकी हूं कि मैंने मीना कुमारी को इसके लिए काफी फॉलो किया था लेकिन बीच में मुझे ऐसा था कि प्लेलिस्ट बनाओ। कान में उसे लगाकर रखो ताकि हम उसी जोन में रहें। तो मैं उनसे सब कुछ शेयर करती थी कि ये सुनिए, ये वाला कैसा है। वो भी पूरा रिस्पॉन्स देते थे। बताते थे ऐसे नहीं ऐसे करिए। मुझे यहां इतना दर्द चाहिए। यहां थोड़ी सी भीगी आंखें चाहिए। हर तीसरे कदम चौंकाने वाला है।

 

इस रोल को निभाना मेरे लिए काफी चुनौतीपूर्ण था : संजीदा शेख


Q. आपके किरदार एक ही फ्रेम में काफी कुछ कहते हैं व बिल्कुल आपके नाम की तरह संजीदा है। कैसे किया?
-यही संजय लीला भंसाली की सुंदरता है कि जब वो किरदार के बारे में सोच रहे थे या उसे लिख रहे थे तो सिर्फ उसमें सिर्फ एक टोन नहीं था उनके किरदार में काफी लेयर्स होती हैं। इंसान भी तो ऐसे ही होते हैं, उनमें काफी तरह की भावनाएं होती हैं। ऐसे में इस रोल को निभाना मेरे लिए काफी चुनौतीपूर्ण था लेकिन संजय सर ने इसके लिए जो रिसर्च की थी उससे मेरा आधा काम पूरा हो गया था। फिर जब आप ऐसे किरदार को निभाते हैं, तो आप अपने बारे में और ज्यादा चीजें खोज पाते हैं। मेरे हिसाब से मैंने संजय सर की वजह से खुद को और ज्यादा अच्छा परफॉर्मर बनाया है क्योंकि इससे पहले मैंने कभी ऐसा काम नहीं किया।
 
Q. आपका होमवर्क कैसा था?
-किसी भी किरदार के लिए मैं घर पर पहले उसकी तैयारी करती थी लेकिन इस सेट पर मैं बिना किसी तैयारी के गई थी क्योंकि मेरे लिए हर दिन नया था। मेरे हिसाब से मैंने और सर दोनों ने इस किरदार को पैदा किया।

 

संजय सर कुछ भी बनाएं, अपने दिल से उसमें सौ प्रतिशत देते हैं : अदिति राव हैदरी


Q. 'पद्मावत' के बाद आपने कभी सोचा था कि संजय लीला भंसाली  के साथ फिर काम करने का मौका मिलेगा?
-मुझे लगता है कि कोई तो यूनिवर्स की ब्लैसिंग है और संजय सर की भी। संजय सर की, इसलिए क्योंकि वो आपको चुनते हैं। इसके लिए उनकी खुद की अपनी सोच है। इसीलिए वो इतने उम्दा डायरेक्टर हैं। चीजें उनके दिल से शुरू होती हैं। वो कुछ भी बनाएं, अपने दिल से उसमें सौ प्रतिशत देते हैं। वो बहुत इंस्पायरिंग हैं। उनके सोचने का नजरिया बिल्कुल अलग है।

 

Q. तवायफों की दुनिया पर आपके विचार भंसाली से कितने अलग हैं?  
-सर ने जो दुनिया क्रिएट की, मैं उसके लिए काफी एक्साइटेड थी क्योंकि मुझे पता है कि संजय सर आर्टिस्ट की बहुत ज्यादा रिस्पेक्ट करते हैं व तवायफें भी आर्टिस्ट हैं। वहीं अगर मेरे बचपन की बात करें तो मेरी मां क्लासिकल ट्रेन्ड सिंगर हैं। उन्होंने ठुमरी भी सीखी थी। मुझे नहीं पता कि उनकी इस कला ने मेरी मदद की या नहीं लेकिन मैं तवायफों की दुनिया को लोगों की दृष्टि से इतर खुद की नजरों से देख पाई।

 

 

मैंने संजय सर के साथ काम करने का कभी अंदाजा भी नहीं लगाया था : ताहा शाह बदुशा

Q.फरीदा को आप सीरीज में जितने सुंदर लगे हैं, उतने आपकी दादी या अम्मी जान को भी लगते थे?
-मेरी बदकिस्मती थी कि मैं दादी से कभी मिला नहीं, लेकिन मेरी अम्मी मेरे लिए बहुत दुआ करती हैं। 14 साल से वो दुआ कर रही हैं कि मुझे ऐसा कोई प्रोजेक्ट मिल जाए। सबसे पहले तो मैं उनका शुक्रिया करना चाहूंगा।


 
Q. मैनिफेस्टेशन में आप कितना यकीन रखते हैं?
-मुझे लगता है कि मेनिफेस्टेशन हम सभी करते हैं। जब हम ख्वाब देखते हैं, तो उन्हें हकीकत बनाने को मेनिफेस्टेशन की जरूरत पड़ती है। कुछ साल पहले मेरा इंटरव्यू आया था, जिसमें उन्होंने पूछा था कि आप किस डायरेक्टर के साथ काम करना चाहते हैं। तीन निर्देशक थे तो उसमें टॉप पर मैंने संजय लीला भंसाली सर काे रखा था। मुझे अंदाजा नहीं था कि ये असलियत में होगा और हो गया तो मैं मेनिफेस्टेशन में बहुत यकीन रखता हूं। मैं सिर्फ इतना चाहता था कि मैं कोई भी रोल करूं उनके साथ।

 

मुझे लगता है कि वली मोहम्मद के किरदार ने मुझे चुना: वली मोहम्मद


Q.14 साल बाद आप वापसी कर रहे हैं। वली मोहम्मद का किरदार कैसे मिला?
-मुझे लगता है कि इस किरदार ने मुझे चुना। मैं आईफा के लिए गया था, कास्टिंग डायरेक्टर श्रुति महाजन वहां मौजूद थीं या उन्होंने मुझे टीवी पर देखा ये नहीं पता। उस समय हीरामंडी की कास्टिंग चल रही थी, तो उन्होंने अपने दिमाग में एक कैरेक्टर को लेकर मुझे सोचा। फिर जब मैं मुंबई वापस आया तो उनका मुझे फोन आया। मुझे बिल्कुल नहीं हुआ, वो चाहती थीं कि मैं संजय सर से जाकर मिलूं। नर्वस तो था ही मैं क्योंकि मेरे लिए काफी लंबा गैप रहा है। फिर मैं उनसे मिला और उन्हें लगा कि मैं वली मोहम्मद के किरदार के लिए ठीक हूं।


 Q.नवाबों की कौन सी चीज आप असल जीवन में अपनाना चाहेंगे?
-नवाब उस वक्त की रॉयल्टी हुआ करते थे। मेरा जो किरदार है, वह भी इसी तरह का है लेकिन उसने रुतबे व हैसियत के साथ अंदर की इंसानियत को भी बचाकर रखा है तो ऐसे ही हमें स्टेटस व अधिकारों के साथ इंसानियत को नहीं भूलना चाहिए।

 

संजय सर हर टेक में हर शॉर्ट में चुनौती देते हैं : शर्मिन सहगल


Q. सीरीज में आपका काफी शायराना अंदाज है। असल जिंदगी में भी क्या आप शायरी करती हैं?
-नहीं, मैं असल जिंदगी में शायरी नहीं करती हूं वो सिर्फ अपने रोल के लिए मैंने होमवर्क किया था। मुनीरा जी जो हमारी एक्सेंट कोच हैं, उनके साथ मैं बैठी थी एक पॉइंट पर। लेकिन मेरा सबसे ज्यादा फोकस इस बात पर रहता है कि मेरा किरदार एक मोमैंट में क्या इमोशन फील कर रहा है और क्यों। मैं अपनी ज्यादातर एनर्जी वहीं पर डालती हूं। आलम जेब जितनी असुरक्षित और नासमझ है, उसकी शायरी उतनी ही बेहतरीन है। शायरी उसकी अंदर की खलबली को बाहर लाती है। वो बस एक जरिया है जबकि इसका असल कारण है मोहब्बत। हीरामंडी में जो भी चल रहा है, उसके विपरीत ही सब आलम जेब की जिंदगी में चल रहा है।


 Q. आप जो होमवर्क करते हैं, संजय लीला भंसाली उसके लिए आपकी तारीफ करते हैं?
- मुझे लगता है कि संजय सर जादूगर है। हम लोग तैयारी करते हैं, सोचिए मेरे तो अलग-अलग एपिसोड्स के फोल्डर्स बने हुए थे। उन्होंने एक बार मेरे नोट्स देख लिए थे, तो बोले ये क्या लेकर घूमती रहती हो। उसके बाद मैंने निर्णय लिया कि मैं अपने खुद के नोट्स खुद के पास रखूंगी। कभी उनके सामने नहीं ले जाऊंगी क्योंकि अगर उन्हें मालूम चल गया कि आपका अप्रोच क्या है। तो वो उसका उल्टा करवाएंगे। तो उनके सामने होमवर्क लेकर जाना मुमकिन नहीं है। हां आपको खुद के लिए करना है, तो आप कर सकते हैं। अगर कोई सीन एक मिनट के लिए चलता है तो आपकी सच्चाई उस सीन में 20 सेकेंड के लिए रहती है। आप दो मिनट के लिए उसे पकड़ नहीं पाएंगे। और वो संजय सर दो मिनट के लिए चाहते हैं। तो वो आपको हर टेक में हर शॉर्ट में चैलेंज देते हैं। अगर आपको उनके साथ चलना है, तो तैयारी करनी ही पड़ेगी।

 

Q. क्या आप रियल में भी बागी हैं ?
- मेरे हिसाब से मैं खुद की जिंदगी में ज्यादा बागी हूं। मैं असल में हीरामंडी की आलम से काफी अलग हूं लेकिन एक बागी तो हम सभी में हैं। वहीं दर्शकों को हीरामंडी के हर किरदार में एक जुनून दिखेगा, तो सभी बागी हैं।


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Content Editor

Varsha Yadav

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