सिर्फ प्रोटेस्ट से बदलाव नहीं आता, इसके लिए कोशिश जरूरी और यह शो भी उसी का हिस्सा: जूही परमार
punjabkesari.in Thursday, Sep 04, 2025 - 12:55 PM (IST)

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। टीवी की मशहूर अभिनेत्री जूही परमार जिन्हें दर्शक आज भी प्यार से ‘कुमकुम’ के नाम से जानते हैं जल्द ही दर्शकों के बीच एक नए शो 'कहानी हर घर की' के साथ नजर आएंगी। यह शो सिर्फ मनोरंजन नहीं बल्कि समाज के उन मुद्दों को सामने लाने की कोशिश है जिन पर अक्सर लोग चुप्पी साध लेते हैं। यह शो 1 सितंबर से जी टीवी पर शुरू हो चुका है। इस शो के बारे में जूही परमार ने पंजाब केसरी, नवोदय टाइम्स, जगबाणी और हिंद समाचार से खास बातचीत की। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश
जूही परमार
प्रश्न: सबसे पहले आप हमारी ऑडियंस को बताइए कि आपका यह शो किस बारे में है और इसमें क्या खास होगा?
जवाब: यह सिर्फ शो नहीं बल्कि एक घर है। यहां एक औरत निडर होकर अपनी बात कह सकती है। यहां उसे सिर्फ सुना ही नहीं जाएगा बल्कि समझा भी जाएगा। अक्सर लोग सुनने का नाटक करते हैं लेकिन असल में सुनते नहीं हैं। इस शो में महिलाओं की बात ध्यान से सुनी जाएगी ताकि उनकी समस्याओं को सही मायने में समझा जा सके। जब समझ होगी तभी बदलाव आएगा और यही इस शो का उद्देश्य है।
प्रश्न: जब आपको ये शो ऑफर हुआ तो आपके मन में सबसे पहले क्या ख्याल आया?
जवाब: सच कहूं तो मुझे लगा यह मेरी कॉलिंग है। मैंने इसे सालों से मन में मैनिफेस्ट किया था। सोशल मीडिया पर मैं हमेशा महिलाओं को मोटिवेट करती रही हूं। कई बार मैंने पॉडकास्ट भी किया लेकिन वो सब अपने स्तर पर था। अब जब जी टीवी जैसा बड़ा मंच मिला है तो मुझे लगा यह मेरे जीवन का पर्पस है। यह शो मेरे दिल और आत्मा से निकला हुआ है।
प्रश्न: शो की एक लाइन है “औरत को कितना सहना चाहिए?” इस पर आप क्या कहना चाहेंगी?
जवाब: यही तो सवाल है। कौन तय करेगा कि एक औरत कितना सहन करे? पति, परिवार, समाज या खुद वो औरत? असल में यह हक सिर्फ उसी महिला का है जो सह रही है। शादी बचाने के लिए थप्पड़ खाना, गालियां सहना, दहेज की यातना सहना क्यों? क्यों न हम बराबरी से जिएं? जब औरतें हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी हैं तो फिर घर की चारदीवारी के भीतर उन्हें क्यों सहना पड़े?
प्रश्न: समाज में आज भी दहेज और घरेलू हिंसा जैसे केस सामने आते हैं। ऐसे में आप क्या कहेंगी?
जवाब: यह बहुत दुखद है और आत्मा को हिला देने वाली घटनाएं हैं। लेकिन सिर्फ प्रोटेस्ट करने से बदलाव नहीं आता। असली बदलाव तभी आता है जब हम सच में कोशिश करें। यह शो भी उसी बदलाव की कोशिश है। जिनके साथ गलत हो चुका उनके लिए शायद हम कुछ न कर पाएं लेकिन आगे किसी और के साथ ऐसा न हो यह कोशिश तो कर सकते हैं।
प्रश्न: सोशल मीडिया के दौर को आप कैसे देखती हैं? क्या पहले का जमाना बेहतर था या आज का?
जवाब: जमाना न अच्छा है न बुरा। जमाना हम बनाते हैं समाज हम बनाते हैं। असल में बदलने की जरूरत हमारी सोच की है। पहले भी समस्याएं थीं आज भी हैं। पहले भी खुशियां थीं आज भी हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि हमें डार्क पहलू कम करने हैं और ब्राइट पहलू बढ़ाने हैं।
प्रश्न: अगर कभी आप डायरेक्टर बनीं तो किस तरह की फिल्में या शोज बनाना चाहेंगी?
जवाब: इस बारे में मैंने कभी सोचा नहीं लेकिन मैं वही करूंगी जिसमें मेरा विश्वास होगा। आज तक मैंने वही किरदार निभाए हैं जिन पर मैं भरोसा करती हूं। यह शो भी इसलिए कर रही हूं क्योंकि यह मेरे दिल से जुड़ा है। डायरेक्टर बनी तो वही करूंगी जिसमें मैं खुद बिलीव करूं।
प्रश्न: रियल लाइफ और रील लाइफ की जूही परमार में कितना फर्क है?
जवाब: किरदार तो अलग-अलग होते हैं। मैं गांव की लड़की नहीं हूं लेकिन रोल निभा सकती हूं। इस शो में आप मुझे ही देखेंगे असली जूही। हां कुमकुम से मेरी सिमिलैरिटी जरूर है कि वह भी परिवार से बहुत प्यार करती थी और मैं भी करती हूं। मैं बहुत हंसमुख हूं मस्ती करती हूं और अपनी बेटी के साथ जीवन का पूरा आनंद लेती हूं।
प्रश्न: क्या आप शो से जुड़ी महिलाओं की मदद के लिए कुछ खास कदम उठा रही हैं?
जवाब: हां इसके लिए हमने एक हेल्पलाइन नंबर जारी किया है। शो शुरू होते ही आधे घंटे के भीतर कॉल्स आने लगीं। यह बताता है कि लोग सुने जाने के लिए कितने तरसते हैं। इस नंबर पर कॉल करके महिलाएं अपनी कहानी साझा कर सकती हैं। यह मंच उनकी मदद करेगा।
प्रश्न: आपके आने वाले प्रोजेक्ट्स क्या हैं?
जवाब: फिलहाल “कहानी हर घर की” ही मेरा सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट है। मेरी पूरी डेडिकेशन इसी शो को लेकर है। अभी मैं और कुछ करने के बारे में सोच भी नहीं रही हूं।