Father''s Day SPL: बॉलीवुड की आइकॉनिक पिता-बेटी की जोड़ियां
punjabkesari.in Sunday, Jun 15, 2025 - 11:53 AM (IST)

नई दिल्ली।बॉलीवुड में जब एक ही इंडस्ट्री में पिता और बेटी अलग-अलग रूपों में कामयाबी हासिल करते हैं, तो वो रिश्ता कुछ खास हो जाता है। एक ऐसा बंधन जो सिर्फ खून का नहीं, बल्कि विरासत, रचनात्मकता और प्यार का मेल होता है। चाहे वे स्क्रीन साझा करें, क्रेडिट्स में नाम या सिर्फ एक ही सपना उनका सफर होता है मेंटरशिप, परस्पर सम्मान और नए दौर की कहानी कहने का खूबसूरत संगम।
आइए नज़र डालते हैं कुछ ऐसी शानदार पिता-बेटी जोड़ियों पर, जिन्होंने अपने निजी रिश्तों को पेशेवर कहानियों में बदल दिया।
विनोद भानुशाली और ध्वनि भानुशाली
जब दृष्टि मिलती है आवाज़ से, तब विरासत पाती है एक नया सुर।
विनोद भानुशाली, जो भारत के म्यूज़िक और कहानी कहने की दुनिया में एक अहम नाम हैं, ने अपनी बेटी ध्वनि भानुशाली में पाया है एक रचनात्मक साथी। ‘वास्ते’ और ‘थैंक यू गॉड’ जैसे हिट गानों से लेकर अपनी ऐक्टिंग डेब्यू ‘कहीं शुरू, कहीं ख़त्म’ तक ध्वनि अपने पिता की अनुभव की दुनिया में एक नई ऊर्जा लेकर आई हैं। विनोद सिर्फ एक सहायक पिता नहीं, बल्कि एक सहयोगी भी हैं, जो अनुभव देते हैं और नई सोच को अपनाते हैं। ये जोड़ी सिर्फ खून से नहीं, बल्कि एक साझा सोच से जुड़ी है परंपरा और नवाचार का मेल, भावना और सहजता का संगम।
महेश भट्ट और आलिया भट्ट
सिनेमा भले उनके खून में हो, लेकिन उन्हें जोड़ता है भावनाओं का गहरा रिश्ता।
महेश भट्ट हमेशा से बेबाक और ईमानदार कलाकार रहे हैं। आलिया भट्ट, जो आज की पीढ़ी की सबसे सशक्त अभिनेत्रियों में गिनी जाती हैं, उसी भावनात्मक स्पष्टता और निडरता के साथ अभिनय करती हैं। ‘सड़क 2’ में उनकी पहली ऑन-स्क्रीन टक्कर हुई, जो महेश की वापसी भी थी। लेकिन पर्दे से परे भी, आलिया अपने पिता के जैसे सच की खोज में संलग्न रहती हैं स्टारडम को संतुलित करते हुए मानवीय किरदारों में जान फूंकती हैं।
जावेद अख्तर और जोया अख्तर
शायरी से लेकर शानदार स्क्रिप्ट तक इनकी भाषा है ‘कला’।
जावेद अख्तर के गीत और स्क्रिप्ट्स ने पीढ़ियों को परिभाषित किया है। उनकी बेटी जोया अख्तर ने उस विरासत को दोहराया नहीं, बल्कि उसे अपनी आवाज़ में ढाला है। ‘जिंदगी न मिलेगी दोबारा’, ‘दिल धड़कने दो’ और ‘गली बॉय’ जैसी फिल्मों से उन्होंने नई कहानियों की ज़मीन तैयार की है जहां इमोशन की बारीकी, सामाजिक समझ और रचनात्मक रफ्तार झलकती है। जावेद लिखते हैं कविता, जोया रचती हैं सिनेमाई दुनिया दोनों की कला है समय से आगे चलना।
अनिल कपूर और सोनम कपूर
रीइन्वेंशन की विरासत मिलती है नये ज़माने की बेबाक आवाज़ से।
अनिल कपूर बॉलीवुड के एवरग्रीन स्टार, जो हर दशक में नए अवतार में सामने आए। सोनम कपूर एक फैशन आइकन और एक अभिनेत्री जो हमेशा कुछ नया कहने की कोशिश करती हैं। दोनों ने पहली बार साथ काम किया ‘एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा’ में जो LGBTQ+ विषय पर बनी एक पथप्रदर्शक फिल्म थी। जहां अनिल की सफलता है लचीलापन, वहीं सोनम की ताकत है जोखिम उठाने का साहस। दोनों मिलकर दर्शाते हैं कि एक परिवार समय के साथ कैसे बदल सकता है और फिर भी सच्चा बना रह सकता है।
बोनी कपूर, जान्हवी कपूर और खुशी कपूर
जहां विरासत मिलती है नए दौर की स्टारडम से और ये कहानी अभी शुरू ही हुई है।
90 के दशक के सुपरहिट प्रोड्यूसर बोनी कपूर अब अपने बच्चों को लॉन्च करने में जुटे हैं। जान्हवी ने ‘धड़क’ से शुरुआत की और ‘गुंजन सक्सेना’, ‘बवाल’ जैसी फिल्मों से अभिनय की गहराई दिखाई। वहीं छोटी बहन खुशी ने ‘द आर्चीज़’ से ग्लोबल अपील वाला डेब्यू किया है।
बोनी एक मजबूत नींव की तरह हैं और उनकी बेटियाँ उस पर नया सिनेमा गढ़ रही हैं। यह है आज की स्टारडम की तस्वीर — सोशल मीडिया-संवेदनशील, भावनात्मक रूप से ईमानदार और रचनात्मक रूप से साहसी।
शत्रुघ्न सिन्हा और सोनाक्षी सिन्हा
साहसी आवाज़ें पर्दे पर भी, और उससे बाहर भी।
शत्रुघ्न सिन्हा की दमदार आवाज़ और बेधड़क स्टाइल ने उन्हें खास बनाया। वही आग उनकी बेटी सोनाक्षी में भी दिखती है। ‘दबंग’ से शुरुआत कर उन्होंने ‘लूटेरा’ और ‘दहाड़’ जैसी भूमिकाओं से खुद को स्थापित किया।
हालांकि ये दोनों ज्यादा साथ नजर नहीं आए, लेकिन उनकी जर्नी एक जैसी रही फिर चाहे वो चुनौतियों से लड़ना हो या खुद को नए रूप में पेश करना। आज ‘हीरामंडी’ में मिली सराहना से सोनाक्षी यह दिखा रही हैं कि उन्होंने अपने पिता की हिम्मत और विरासत को आत्मसात किया है।