मैं खुद को बच्चे की तरह देखती हूं, सोचती हूं कि मैंने क्या नहीं किया, वही करना है: हुमा कुरैशी

punjabkesari.in Thursday, Jun 26, 2025 - 12:36 PM (IST)

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। फिल्म ‘मालिक’ का नया गाना ‘दिल थाम के’ इन दिनों खूब सुर्खियां बटोर रहा है और इसकी वजह हैं हुमा कुरैशी। अपने दमदार लुक और एक्सप्रैशंस से उन्होंने एक बार फिर साबित कर दिया है कि स्क्रीन पर उनकी मौजूदगी ही  तहलका मचाने के लिए काफी है। 'मालिक' में राजकुमार राव और मानुषी छिल्लर लीड रोल में हैं और इसे पुलकित ने डायरैक्ट किया है। यह फिल्म 11 जुलाई को रिलीज होने जा रही है। इसी के चलते हुमा कुरैशी  ने  नवोदय टाइम्स/पंजाब केसरी (जालंधर)/ जग बाणी/हिंद समाचार से खास बातचीत की और दिलचस्प बातें शेयर कीं... 

सवाल: ‘दिल थाम के’ गाना करने के पीछे की वजह क्या थी?
मुझे यह गाना बहुत पसंद आया था। जब मुझे पहली बार ये गाना घर आकर सुनाया गया तो मैंने यही कहा था कि ये सांग पक्का चलेगा। बाकी इस फिल्म में जो काम कर रहे हैं, वे सारे दोस्त हैं। वैसे भी मुझे पुलकित के साथ काम करना था, उनकी ‘भक्षक’ फिल्म भी मुझे बहुत पसंद आई थी। मैं उनको हमेशा कहती हूं कि हम कुछ बड़ा और ड्रामेटिक करेंगे लेकिन मुझे नहीं पता था कि हम एक गाना साथ में करेंगे।

सवाल: राजकुमार राव के साथ शूटिंग एक्सपीरियंस कैसा रहा?
वह तो मेरे बहुत अच्छे दोस्त हैं। मेरे लिए वह एक फैमिली की तरह हैं। जब वह काम कर रहे होते हैं तो वह बहुत फोकस्ड होते हैं लेकिन जब वह काम नहीं कर रहे होते तब बहुत मस्ती करते हैं।  

सवाल: आपने इंडस्ट्री में इतना लंबा सफर तय किया, जहां हमेशा आपके काम की तारीफ हुई है तो अब आप खुद को कहां रखती हैं?
कहीं नहीं। जिस दिन मैंने खुद को कहीं प्लेस कर दिया, उस दिन जो भी बात है मुझमें, वह खत्म हो जाएगी। मैं हमेशा खुद को एक बच्चे की तरह देखती हूं, मैं ये सोचती हूं कि मैंने क्या नहीं किया अभी तक। मुझे वह करना है। आगे भी मेरे जो प्रोजैक्ट आने वाले हैं, वो एकदम अलग होंगे। वो भी अपनी-अपनी कंडीशन की वजह से, वो ये कि कोई रिपीट नहीं होना चाहिए, जो मैं पहले कर चुकी हूं। महारानी को बहुत प्यार मिला है तो हम उसका अगला सीजन कर सकते हैं लेकिन मुझे कोई रिपीट नहीं करना।

सवाल: आप कभी स्टीरियोटाइप नहीं हुईं, क्या ये कॉन्शियस च्वाइस है?
हां’ जी 100% कॉन्शियस च्वाइस है। लड़कियों को न हमेशा से बताया जाता है कि आपकी एक सैल्फ लाइफ है या आप इसी रोल के लिए बने हैं, ये फालतू की बातें लोग बहुत बोलते हैं और बहुत ज्ञान बांटते हैं। लोगों को बहुत अच्छा लगता है कि आपको आपकी जगह दिखाई जाए कि आप किस काबिल हैं या लायक हैं लेकिन मेरी कोशिश हमेशा कुछ अलग करने की रही है, मैं एक ही चीज बार-बार नहीं कर सकती।  

सवाल: जब भी आप कोई स्क्रिप्ट पढ़ती हैं तो ऐसी कौन सी चीज है जिसके साथ आप कभी समझौता नहीं कर सकती?
मेरे लिए तो रेसपैक्ट सबसे ज्यादा जरूरी है। मेरी तरफ से भी और सामने वाले की तरफ से भी। रोल बेशक दोस्ती में कैमियो ही क्यों न करना हो। पैसे के बारे में मैं ज्यादा नहीं सोचती। जहां मुझे काम करना है वहां मुझे किस तरह से ट्रीट किया जाता है वो बहुत ज्यादा जरूरी है। जहां मुझे लगता हैं कि ये लोग ठीक नहीं है, वह रोल मैं नहीं करती। 
 
सवाल: आपके शुरूआती दिनों में आपके लिए सबसे बड़ी चुनौती कौन सी थी?
मुझे बहुत अच्छी एडवाइस मिली थी एक औरत से, उनका नाम था अमिता सहगल।  उन्होंने मुझे कहा था 'सुनो मेरी बात, तुम मुझे एक अच्छे घर की लड़की लग रही हो, मत जाओ यहां, बहुत कम अच्छी फिल्मों की कास्टिंग होती है तुमको पता भी नहीं चलेगा। यहां-वहां भटकोगे तुम लोग, अनजान लोगों से मिलेंगे और मायूस होंगे। विज्ञापन करो अगर तुम अच्छे हुए तो कैमरे में तो लोग तुम्हें देखेंगे। पता नहीं क्यों मुझे उनकी बात अच्छी लगी और मैंने विज्ञापन पर फोकस किया और फिल्मों के ऑडिशन देना बंद कर दिया और विज्ञापन की वजह से ही मुझे मेरी पहली फिल्म 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' मिली थी। मेरी लाइफ में तो बहुत ऐसे लोग मिले जिन्होंने निःस्वार्थ मेरी मदद की है।


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Content Editor

Jyotsna Rawat

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