Hisaab Barabar Review: बैंकिंग घोटाले की सच्चाई पर आधारित दमदार कहानी, R. Madhavan लगे कमाल
punjabkesari.in Thursday, Jan 23, 2025 - 11:35 AM (IST)
फिल्म- हिसाब बराबर (Hisaab Barabar)
स्टारकास्ट- आर माधवन (R Madhavan), कीर्ति कुल्हारी (Kirti Kulhari) नील नितिन मुकेश (Neil Nitin Mukesh) और रश्मि देसाई (Rashmi Desai)
निर्देशक- अश्विनी धीर (Ashwini Dheer)
रेटिंग: 3.5*
Hisaab Barabar Review: ओटीटी प्लेटफार्म पर विभिन्न प्रकार विषयों पर आधारित फिल्में और सीरीज बन रही हैं। कई सामाजिक मुद्दों को सिनेमा के माध्यम से दर्शकों के सामने लाया जा रहा है। ऐसे में एक और फिल्म हिसाब बराबर जी5 पर रिलीज हो रही है जिसकी कहानी बैंकिंग घोटालों पर आधारित है। इससे पहले भी बैंकिंग घोटालों को लेकर कई फिल्में और सीरीज बन चुकी हैं लेकिन यह फिल्म आपको कॉमेडी और हल्के- फूल्के अंदाज में बैंक की हेरा फेरी से जुड़े मामलों को लेकर सोचने पर मजबूर कर देगी। फिल्म में आर माधवन, कीर्ति कुल्हारी और नील नितिन मुकेश मुख्य भूमिका में हैं आइए जानते हैं कैसी है फिल्म हिसाब बराबर।
कहानी
फिल्म की कहानी की बात करें तो यह फिल्म अपनी दमदार कहानी की वजह से जरूर देखी जानी चाहिए। फिल्म की कहानी रेलवे में टिकट चेकर राधे मोहन शर्मा (आर माधवन) की है, जो बेहद ईमानदार और हिसाब-किताब में पक्के हैं। 11 रुपए 50 पैसे मतलब 11.50, एक भी पैसा इधर-उधर नहीं। राधे को बैंकिंग सिस्टम में चल रहे एक बड़े घोटाले का पता चलता है, जो हजारों करोड़ का है। इस घोटाले को अंजाम दे रहा है बैंक का मालिक मिकी मेहता (नील नितिन मुकेश)। राधे इस घोटाले का पर्दाफाश करने की कोशिश करता है, लेकिन उसके रास्ते में कई अड़चनें आती हैं। इंस्पेक्टर पूनम जोशी (कीर्ति कुल्हारी) की कहानी में एंट्री इसे और रोचक बना देती है। फिल्म इस संघर्ष और रहस्य को शानदार ढंग से पेश करती है। कहानी में क्या क्या रोमचंक होता है इसके लिए आपको पूरी फिल्म देखनी होगी।
एक्टिंग
आर माधवन ने जबरदस्त काम किया है। वह ईमानदार और साधारण किरदार राधे मोहन शर्मा में पूरी तरह ढल गए हैं। उनका माचो हीरो न बनना और सच्चाई के साथ संघर्ष करना किरदार को और प्रामाणिक बनाता है। नील नितिन मुकेश ने नेगेटिव रोल में एक बार फिर साबित किया कि वह एक बेहतरीन अभिनेता हैं। उनका मिकी मेहता का किरदार अपने टैलेंट को सही साबित करता है। नील अपने हर सीन में दमदार नजर आते हैं। कीर्ति कुल्हारी ने इंस्पेक्टर पूनम जोशी के किरदार को बखूबी निभाया है।
डायरेक्शन
फिल्म के निर्देशक अश्विन धीर ने एक पब्लिक इंट्रेस्ट की कहानी चुनी, जो उनकी तारीफ के काबिल है। डायरेक्शन और राइटिंग अच्छी है, लेकिन स्क्रीनप्ले और मज़बूत होता, तो फिल्म का प्रभाव और बढ़ जाता। कहानी में सस्पेंस बरकरार रखने का अच्छा प्रयास किया गया है। संक्षेप में कहा जाए तो फिल्म एक जरूरी संदेश देती है और आपको सोचने पर मजबूर करती है। आर माधवन के फैन हैं तो फिल्म जरुर देखें।