आज नई ऑडियंस को नाइनटीज का दौर समझाना आसान नहीं, इसलिए गहराई से रिसर्च की: मुनव्वर
punjabkesari.in Wednesday, Nov 12, 2025 - 01:08 PM (IST)
नई दिल्ली/टीम डिजिटल। कॉमेडी की दुनिया से निकलकर अब क्राइम और ड्रामा की गलियों में कदम बढ़ाते हुए मुनव्वर फारूकी एक बार फिर पर्दे पर धमाकेदार वापसी कर रहे हैं। ‘First Copy’ Season 2 का ऑफिशियल ट्रेलर रिलीज़ होते ही दर्शकों में हलचल मच गई है। यह सीरीज़ 5 नवंबर 2025 से Amazon MX Player पर स्ट्रीम होगी। सीरीज के निर्देशक फरहान पी. जम्मा हैं। क्रिस्टल डी’सूज़ा और मुनव्वर फारूकी ने सीरीज के बारे में पंजाब केसरी, नवोदय टाइम्स, जगबाणी और हिंद समाचार से खास बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश...
प्रश्न: मान लीजिए कि सीज़न 2 पूरी तरह से हिट हो चुका है, तो आपको कैसा महसूस हो रहा है?
जवाब: अच्छा फील हो रहा है। इंसान को हमेशा पॉजिटिव सोचना चाहिए। जो अपने लिए अच्छा सोचता है, वो दूसरों का भी अच्छा सोचता है।
प्रश्न: इस सीज़न में आपके किरदार का ग्राफ पिछले सीज़न से कितना अलग है?
जवाब: इस बार भी वही वाइब है, हर एपिसोड की अपनी कहानी और संघर्ष है। हर एपिसोड में एक फॉल एंड राइज मोमेंट है, जो रियल लगता है। यहां तक कि पुलिस या कॉन्स्टेबल के किरदार भी बेहद रिलेटेबल हैं। हर एपिसोड एक क्लिफहैंगर पर खत्म होता है, जिससे दर्शक अगला एपिसोड देखने के लिए उत्साहित रहते हैं।
प्रश्न: आपकी परफॉर्मेंस हमेशा बहुत रियल लगती है। क्या इसके पीछे कोई तैयारी होती है?
जवाब: असल में नहीं। मैं रिलेटेबल बनने की मेहनत नहीं करता। मैं खुद को एक ऑर्डिनरी इंसान मानता हूं, और शायद यही मेरी सबसे बड़ी किस्मत है। अगर मैं किसी अमीर घर में पैदा हुआ होता, तो शायद उतना मेहनती नहीं होता। इन सारी चीजों के साथ एक अपनापन लगता है।
प्रश्न: यह सीरीज़ 90 के दशक की पाइरेसी पर आधारित है। इसे दिखाने में क्या सबसे बड़ी चुनौती थी?
जवाब: इसका पूरा श्रेय डायरेक्टर फरहान जामा को जाता है। आज की नई ऑडियंस को 90s का दौर समझाना आसान नहीं है। डायरेक्टर ने गहराई से रिसर्च की कैसे पाइरेसी शुरू हुई, कौन करता था, लोग कैसे प्रभावित हुए सब कुछ असली घटनाओं पर आधारित है।
प्रश्न: सीरीज़ में इतने शानदार कलाकार हैं। सबके साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?
जवाब: हर कलाकार का अपना अहम रोल है पाइरेट, प्रोड्यूसर, पब्लिक और पुलिस। सभी किरदार कहानी को अलग-अलग दृष्टिकोण से पेश करते हैं। इससे सीरीज़ बहुत फ्लेवरफुल और रियल बनती है।
प्रश्न: डायरेक्टर फरहान जामा के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?
जवाब: वो बेहद शांत और विज़नरी इंसान हैं। 60 दिन के शूट में उन्होंने किसी पर गुस्सा नहीं किया। वो बहुत मेहनती हैं शूट के बाद भी एडिटिंग पर नज़र रखते हैं। वो बेहद पेशेंट और समझदार डायरेक्टर हैं। उनका काम सीरीज़ में साफ दिखता है।
क्रिस्टल डी’सूज़ा
प्रश्न: क्या आपने उस दौर की चीजों को खुद रिलेट किया?
जवाब: बिल्कुल! मैं 90s में पली-बढ़ी हूं। तब हम रोडसाइड से सीडीज़ लेते थे, गाने सुनते थे, फिल्मों की रिकॉर्डिंग देखते थे। वो कैसेट्स का दौर बहुत खूबसूरत था। आज की जेनरेशन को तो पता ही नहीं कि ‘ए साइड-बी साइड’ क्या होता है।
प्रश्न: आपकी पहली पाइरेटेड सीडी कौन-सी फिल्म की थी?
जवाब: शायद बाज़ीगर! थिएटर जाने की इजाज़त नहीं थी, तो भाई सीडी लाता था और हम घर पर देखते थे।
मुनव्वर: मैंने मोहब्बतें वीसीआर पर देखी थी। दो दिन तक वो फिल्म चलती रही, मैं बीच-बीच में सो जाता था और फिर उठकर देखता था।
प्रश्न: उस दौर में आपने ‘फर्स्ट कॉपी’ ब्रांडेड कपड़े भी पहने थे?
जवाब: हां, बचपन में लिंकिंग रोड और कुलाबा कॉजवे से खरीदारी करते थे। वहां जो टी-शर्ट्स मिलती थीं, उन पर जारा या पूमा लिखा होता था, लेकिन वो असली नहीं होते थे।
