बहुत जरूरी है हक का सही मतलब समझना, इसके साथ एक दायित्व और ड्यूटी भी आती है: यामी गौतम
punjabkesari.in Thursday, Nov 13, 2025 - 12:03 PM (IST)
नई दिल्ली/टीम डिजिटल। बॉलीवुड की टैलेंटेड और संवेदनशील अभिनेत्री यामी गौतम एक बार फिर अपने दमदार अभिनय से दर्शकों को सोचने पर मजबूर कर रही हैं। उनकी 7 नवंबर को रिलीज़ हुई फिल्म “हक़” में यामी ने एक ऐसा किरदार निभाया है, जो समाज से अपने अधिकारों के लिए सवाल उठाती है। फिल्म के जरिए वह न केवल एक कहानी कहती हैं, बल्कि महिलाओं की आवाज़ को और बुलंद करती हैं। फिल्म में उनके साथ पहली बार स्क्रीन शेयर की है इमरान हाश्मी ने और इसे डायरेक्ट किया है सुपर्ण वर्मा ने। इसी के चलते यामी गौतम ने पंजाब केसरी, नवोदय टाइम्स, जगबाणी और हिंद समाचार की संवाददाता संदेश औलख शर्मा से खास बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश.
सवाल 1 - ये जो इतना प्यार मिल रहा है आपको , इतना अच्छा रिस्पांस मिल रहा , तो अब कैसा फील कर रही हैं आप ?
जवाब- बहुत अच्छा लग रहा है , अभी भी यही सोच रही हूँ कि कैसे एक्सप्रेस करूँ कि क्या लग रहा है। एक आर्टिस्ट के लिए सही मायने में वेलिडेशन यही है जब ऑडियंस सराहती है, आपको अपनाती है और जब ऑडियंस आपको दिल से प्यार करती है। समझ में आता है जब कोई कॉम्पलिमेंट दिल से दिया जाता है तो बहुत अच्छा लगता है।
सवाल 2 - कोई ऐसा कमेंट या मैसेज आया है आपको जो आपके दिल को छू गया हो ?
जवाब- बहुत सारे हैं ऐसे कमेंट जिन्हें मैं कोट नहीं कर सकती। कई बार कोई पर्सनली कुछ ऐसी बात कह जाता है कि कैसा उन्हें महसूस हुआ फिल्म देखकर या किरदार देखकर या क्या फीलिंग आई जब फिल्म खत्म हुई। और जब कोई फिल्म फिल्म नहीं रहती एक इमोशन बन जाती है तो वो फिल्म एक दर्जा पा लेती है। मुझे लगता है कि हक़ के साथ भी लोग ऐसा ही महसूस कर रहे हैं। मैं हमेशा इस टाइम को याद रखूंगी।
सवाल 3 - हक़ एक बहुत स्ट्रांग शब्द है तो आप कैसे देखती है इस शब्द को अपनी ज़िंदगी में ?
जवाब- बहुत जरूरी है इसका सही मतलब समझना। हक़ के साथ आपका एक दायित्व भी आता है और एक ड्यूटी भी आती है। मैं मानती हूँ कि अगर ज़िंदगी में कुछ करने की मेरी कोई इच्छा रही है और ये मेरा हक़ है , अगर मैं इसे अपने काम से जुडु कि इस तरह के रोल पाना या ऐसा काम करना या ऐसी फिल्मों का हिस्सा बनना , लोगों का प्यार पाना मेरा हक़ है और इसके साथ ही एक संघर्ष भी है और एक मेहनत बहुत जरूरी है। मुझे लगता है कि हक़ सिर्फ हक़ नहीं वो अपने साथ बहुत भार भी लेकर चलता है।
सवाल 4 - जब आपके पास ये फिल्म आई तो किरदार के बारे में जानने के बाद आपकी पहली प्रतिक्रिया क्या थी ?
जवाब-जब भी मैं कोई फिल्म करती हूँ तो वो पहली बार में ही पसंद आ जाती है और फिल्म के साथ जुड़ने का भी एक प्रोसेस होता है और उस प्रोसेस में कुछ ऐसी चीज़ें भी होती है जिसमें आप अपना नज़रिया भी रख सकते हैं। क्यूंकि जैसे जैसे एक एक्टर कोई किरदार करने लगता है तो वो उसे समझने लगता है। फिर जब बहुत सारी चीज़ें मिल गई तो फिर आपको इमेजिन करना है उस किरदार के बारे में कि आप हैं वो किरदार। कि आप कैसे बात करेंगे , कैसे सोचेंगे और आपकी इमोशनल इंटेलिजेंस क्या है और फिसिकैलिटी उसको फॉलो करती है। तो बहुत डेवेलपमेंट होती है तो वो प्रोसेस मेरे लिए बहुत जरूरी है।
सवाल 5 - आपने इमरान हाशमी के साथ पहली बार स्क्रीन शेयर की , तो उनके साथ काम करने का एक्सपीरियंस कैसा रहा ?
जवाब- बहुत अच्छा। वो बहुत एक्टर तो हैं ही बहुत अच्छे आर्टिस्ट भी हैं। और मुझे बहुत पसंद है जब कोई टाइम की कदर करता है। उनका और मेरा वेवलेंथ है फिर चाहे वो काम करने का तरीका हो या अपनी स्क्रिप्ट अच्छे से पढ़ना , अपना किरदार जानना , अपनी लाइने जानना और डिसकस करना। ऐसा नहीं है कि हम पहले कभी मिले थे या पहले कभी काम किया था पर ये समझ में आता है कि किसका क्या तरीका है काम करने का। तो बहुत अच्छा लगता है उनके साथ काम करके। उनका भी काम करने का तरीका बहुत सिंपल है मेरी तरह।
सवाल 6 - जब आप कोई किरदार निभा रहे होते हो तो ऐसा होता है कि कभी उसमें से निकलना मुश्किल हुआ हो ?
जवाब- एक इमोशनल जर्नी होती है एक एक्टर की उस किरदार के साथ और हमारा काम है उस किरदार को पकडे रखना। मुझे प्रोसेस पता नहीं कि इसे कैसे डिफाइन करना है मगर मैं होमवर्क बहुत करती हूँ। मैं बहुत काम करती हूँ अपने किरदार और अपनी स्क्रिप्ट पर। सोचती बहुत हूँ मैं उस किरदार के बारे में लेकिन जब मैं घर पर होती हूँ तो मैं कुछ और नहीं सोचती मगर ख्याल कभी भी आ जाता है। और जब ख्याल आता है तो मैं उसी टाइम रिकॉर्ड करके अपने राइटर को भेज देती हूँ। ताकि मैं उसे भूल ना जाऊं।
सवाल 7 - जब आप बहुत बिजी होते हो तो कौन सी ऐसी चीज़ है जो आपको सुकून देती है ?
जवाब- वैसे तो जब आप बिजी होते हो तो आप बिजी ही होते हो लेकिन फिर भी मुझे काम करते वक्त अगर एक चाय का कप मिल जाते और साथ में कोई भी गाना चल जाए तो वो मुझे अच्छा लगता है। बाकी जब भी मैं अपनी फॅमिली के साथ होती हूँ तो मुझे वो टाइम सबसे बेस्ट लगता है।
सवाल 8 - आप अपनी इस जौर्नी को कैसे देखती हो ? और अगर एक्टिंग के शुरुआती दिनों वाली यामी को कुछ समझाना हो तो क्या सम्झाओगी ?
जवाब- कुछ चीज़ें आपको तभी समझ में आती हैं जब आप वहां पहुँच जाते हो। कोई फायदा नहीं है किसी को कुछ समझाने का। मैं सच बताऊं तो मेरे दिमाग में ऐसा कुछ भी नहीं है मुझे ये भी नहीं पता कि मैं पांच साल बाद खुद को कहां देखती हूँ। पांच साल बाद शायद मेरा गोल कुछ और होगा क्यूंकि अगर मैं पांच साल पहले की बात करूं तो मुझे नहीं पता था कि आज मैं यहां हूँगी। होप होती है लेकिन कैसे क्या करना है वो पता नहीं होता है। लेकिन मैं सुपर पावर को मानती हूँ मुझे दुआओं में बहुत विश्वास है , वो आपको देख रही है आप अपना काम कीजिये, अच्छे से कीजिये . कुछ ऐसे सब्जेक्ट होते हैं जिनके साथ एक पर्सनल लगाव होता है लेकिन उन चीज़ें को 'लेट गो' करना आना भी एक आर्ट है और वो बहुत जरुरी है समझ में आना जो एक टाइम के साथ ही आता है।
