Review: रेजांग ला के शूरवीरों को सलाम करती फरहान अख्तर की दमदार फिल्म 120 बहादुर
punjabkesari.in Wednesday, Nov 19, 2025 - 05:20 PM (IST)
फिल्म: 120 बहादुर (120 Bahadur)
निर्देशक: रजनीश 'रैज़ी' घई (Rajneesh 'Razzi' Ghai)
कलाकार: फरहान अख्तर (Farhan Akhtar), विवान भतेना (Vivaan Bhatena), अंकित सिवाच (Ankit Siwach), हुसैन दलाल (Hussain Dalal), एजाज खान (Eijaz Khan) राशी खन्ना (Raashi Khanna)
रेटिंग: 4 स्टार
120 बहादुर: जब भी बात देश के इतिहास और देश के लिए बलिदान देने वाले शूरवीरों की आती है तो हमारे जहन में केवल कुछ सीमित नाम ही आते हैं। जिनके बारें में हमने पढ़ा या सुना होता है लेकिन कुछ शूरवीर ऐसे भी हैं जिन्होंने देश के लिए आखिरी सांस तक हिम्मत नहीं हारी है। ऐसा ही एक नाम है शैतान सिंह भाटी। इन्हीं की वीरता और बलिदान को लेकर फरहान अख्तर फिल्म लेकर आए हैं 120 बहादुर। फिल्म भारत-चीन युद्ध की पृष्ठभूमि पर आधारित है। फिल्म का निर्देशन रजनीश 'रैज़ी' घई ने किया है। यह फिल्म 21 नवंबर 2025 को सिनेमाघरों में रिलीज़ होने के लिए तैयार है। आइए जानते हैं कैसी है फरहान अख्तर की 120 बहादुर।
कहानी
फिल्म की कहानी हमें ले जाती है 1962 के भारत-चीन युद्ध के उस दौर में, जब रेजांग ला की लड़ाई हुई थी। इस युद्ध में चीनी सेना की 3,000 सैनिकों वाली टुकड़ी ने अचानक भारतीय पोस्ट पर हमला कर दिया। वहीं, भारतीय पोस्ट पर सिर्फ 13 कुमाऊं रेजिमेंट की एक कंपनी तैनात थी, जिसकी कमान मेजर शैतान सिंह के हाथ में थी। जिसका रोल निभा रहे हैं फरहान अख्तर। इस समय हमारे 120 भारतीय सैनिकों ने पूरी ताकत से चीनी सेना का सामना किया। इस बहादुरी भरे संघर्ष में सभी सैनिकों ने अद्भुत वीरता दिखाई। अंत में, महज 6 सैनिक ही जिंदा बचे, जबकि बाकी सभी शहीद हो गए।

अभिनय
फिल्म में फरहान अख्तर लीड रोल में हैं उन्होंने मेजर शाहिद सिंह भाटी के किरदार को बखूबी निभाया है। लड़ाई के सीन से लेकर दर्शकों को इमोशनल गहराई तक पहुंचाने के लिए अभिनेता ने अच्छा काम किया है। वहीं बाकी अभिनेता जैसे विवान भतेना, अंकित सिवाच, हुसैन दलाल, एजाज खान सपोर्टिंग रोल में अच्छे लग रहे हैं। राशी खन्ना का फिल्म में छोटा लेकिन प्रभावी रोल था।

निर्देशन
फिल्म का निर्देशन रजनीश 'रैज़ी' घई ने किया है। फिल्म के फर्स्ट हाफ की बात करें तो इसमें सैनिकों के जीवन का थोड़ा परिचय दिया गया है जहां पोस्टिंग के दौरान सैनिकों की दोस्ती, मजाक-मस्ती, उनके डर और सपनों की झलक दिखाई है। फिल्म का दूसरा हिस्सा बेहद प्रभावशाली बन पड़ा है। बर्फ से ढकी कठिन पहाड़ियों में होने वाली लड़ाई, गोलियों की तड़तड़ाहट, निरंतर तनाव और मौत के साये को निर्देशक रजनीश ‘रेजी’ ने इतने वास्तविक रूप में दिखाया है कि दर्शक खुद को उसी माहौल में महसूस करने लगते हैं। अच्छी सिनेमेटोग्राफी युद्ध के हर पल को जीवंत बना देती है वहीं बात आगर फिल्म के बैकग्राउंड म्यूज़िक की करें तो वह इमोशन को गहराई से छू लेता है। संक्षेप में कहें तो फिल्म का निर्देशन अच्छा है।

