Exclusive Interview: अंडमान निकोबार आइलैंड पर आधारित है ‘काला पानी’

punjabkesari.in Tuesday, Oct 24, 2023 - 01:06 PM (IST)

नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। ‘काला पानी’ नेटफ्लिक्स की एक ऐसी वेब सीरीज है, जिसकी कहानी अंडमान निकोबार आइलैंड पर आधारित है, जहां एक महामारी के चलते काफी उथल-पुथल मच जाती है। इस सीरीज का निर्देशन समीर सक्सेना ने किया है और इसमें कई बड़े एक्टर्स नजर आ रहे हैं। वैब सीरीज को लेकर आशुतोष गोवारिकर, अमेय वाघ, आरुषि शर्मा, समीर सक्सेना और बिस्वापाती सरकार ने  पंजाब केसरी/नवोदय टाइम्स/जगबाणी/हिंद समाचार से खास बातचीत की।

आशुतोष गोवारिकर

आपके बहुत सारे प्रोजेक्ट हिस्ट्री क्रिएट करते हैं तो क्या इसे भी मान लिया जाए?
यह शो बहुत स्पेशल है और मैं बहुत खुश हूं कि मैं इसका हिस्सा बना। यह इंडिया का पहला सर्वाइवल ड्रामा है, आज तक किसी ने सोचा नहीं है और अगर सोचा भी है तो हिम्मत नहीं की है। मैं राइटर और डायरैक्टर को दाद देता हूं, जिन्होंने इसे बनाने की हिम्मत की। जब मैंने इसकी कहानी सुनी तो मुझे लगा यह बहुत स्पैशल शो है, यह क्लासिक स्पेस में जा सकता है। यह सिर्फ इंडिया ही नहीं पूरी दुनिया में देखा जाएगा, क्योंकि इसका पूरा लुक और फील ग्लोबल शो की तरह है।
जब आपके पास कोई स्क्रिप्ट आती है तो आप उसे एक डायरैक्टर की तरह पढ़ते हो या एक एक्टर की तरह?
मैं पहले एक्टर की नजर से ही देखता हूं और देखता हूं कि मेरा किरदार कौन सा है फिर देखता हूं कि कितनी लाइंस हैं। इसे पढक़र मुझे जबरदस्त कहानी लगी, किरदार भी बहुत अच्छा है और मेकर्स भी बहुत अच्छे हैं। इनके हर काम को मैंने देखा है और अब जब मौका मिला कि एक्टिंग भी करनी है तो अच्छा लगा।


मोना सिंह के साथ काम करने का कैसा एक्सपीरियंस रहा?
शानदार, मैंने उनका शो ‘जस्सी जैसी कोई नहीं’ और ‘लाल सिंह चड्ढा’ फिल्म देखी थी, उसमें उन्होंने आमिर खान की मां का जो काम किया था, वह बहुत अच्छा था। उनका कोई भी किरदार देख लो, वह उसमें अच्छे से ढली होती हैं।

आरुषी शर्मा

आप ‘काला पानी’ का हिस्सा कैसे बने?
मैंने इसके लिए ऑडिशंस दिए थे। मैंने समीर सर के साथ ‘जादूगर’ की थी तो तभी मुझे इसका हिंट मिल गया था कि कुछ बहुत खास होने वाला है फिर उसके बाद मुझे ऑडिशन के लिए कॉल आया तो मैंने ऑडिशन दिया और मैं सिलैक्ट हो गई।  
आपकी आशुतोष गोवारिकर के साथ पहली मुलाकात कैसी थी?
सर की फिल्मों को देखकर हम बड़े हुए हैं, लेकिन सर की सबसे प्यारी बात है कि सर इतने सिम्पल हैं कि जब भी उनसे बात करते हैं तो वह बहुत सिम्पलिसिटी से बात करते हैं। 
आपने क्या कुछ नया सीखा?
मैंने अपने साथ काम करने वाली एक छोटी सी बच्ची से बहुत कुछ सीखा। हम लोग बड़े होकर खुद को बहुत सीरियस लेने लगते हैं, लेकिन वह इंज्वॉय करती थी और जब सीरियस होना होता था तो सीरियस भी होती थी। वह बहुत स्मार्ट एक्टर है।  

अमेय वाघ

आपको जब शो में देखते हैं और जब यहां देखते हैं तो एकदम बदलाव है आप में। कैसे किया यह ट्रांसफॉर्मेशन?
ट्रांसफॉर्मेशन तो मेरे काम का हिस्सा है। जब मैंने एक्टर बनने का सोचा था, तब यही एक चीज थी जो मुझे बहुत एक्साइट करती थी कि आपने कोई और बनना है। ट्रांसफॉर्मेशन सिर्फ फिजिकल नहीं होता, जब आपको कैमरा ऑन होते ही खुद में बदलाव लगे तो ट्रांसफॉर्मेशन वहीं से आता है। ट्रांसफॉर्मेशन अकेले से नहीं होती, डायरैक्टर, डी.ओ.पी., कॉस्ट्यूम डिपार्टमैंट यह सब मिलकर एक किरदार को बनाते हैं, एक नए इंसान को क्रिएट करते हैं।  

आपका आशुतोष गोवारिकर के साथ फस्र्ट एन्काऊंटर कैसा था?
मैं पहले भी इनसे एक-दो बार स्क्रीन पर मिल चुका हूं, लेकिन एक चीज मैं हमेशा कहता हूं कि जब मैं एक्टर बनने के बारे में सोच ही रहा था, उस उम्र में इन्होंने काफी अच्छी फिल्में बना दी थीं, तबसे अब तक इन्होंने जो भी काम किया, उसने मुझे बहुत इम्पैक्ट किया। मैं इनके साथ टाइम स्पैंड करने को लेकर बहुत एक्साइटेड था। इनके साथ मेरे डायलॉग तो कम थे, लेकिन बीच-बीच में मैं उनके किरदार के बारे में बहुत सवाल पूछ रहा था।

समीर सक्सेना

इसमें महामारी की बात हो रही है तो क्या समझें कि एक और वायरस आ रहा है क्या?
पूरी वायरस की कहानी नहीं है, यह तो सर्वाइवल की कहानी है और यह वायरस इसकी बैकबोन है, बाकी यह सारा सर्वाइवल ड्रामा है, ह्यूमन स्टोरी है। उन किरदारों की जर्नी है जो आइलैंड में फंस गए हैं और उन्हें वहां से निकलना है। 
आशुतोष गोवारिकर सेट पर होते थे तो कभी ऐसा लगा कि कुछ टिप्स इनसे भी लेने हैं?
सर जब भी सेट पर आए तो एक एक्टर की तरह ही आए और हमें भी कभी यह महसूस नहीं होने दिया कि हम एक बड़े डायरैक्टर को डायरैक्ट कर रहे हैं। वह चीज हमारे लिए बहुत आरामदायक थी, हमारे लिए वह एक एक्टर ही थे।

बिस्वापाती सरकार
कैसे आया आपको यह आइडिया?
मैं एक बार अंडमान निकोबार घूमने गया था। सैलुलर जेल घूमते वक्त मेरे दिमाग में आइडिया आया कि क्या हो, अगर सच में कोई यहां पर ट्रैप हो जाए, कई बार वहां जाने के बाद मैंने यह चीज समीर के साथ शेयर की, इनको भी पसंद आया तो फिर नेटफ्लिक्स को यह स्टोरी सुनाई।  


आपकी जिंदगी में कोई ऐसी सिचुएशन आई है कि जहां आपको लगा हो कि हम फंस गए हैं और निकल नहीं पा रहे?
लॉकडाऊन में तो हम सबने यह एक्सपीरियंस किया ही है। पर्सनल और प्रोफैशनल लाइफ में भी कहीं न कहीं यह महसूस किया ही है, जब हमें लगा कि फंस गए, निकल नहीं पा रहे। वही सारी चीजें हम अलग-अलग किरदारों में देख पा रहे हैं। हर किरदार की एक अपनी जर्नी है और आसपास देखकर ही यह किरदार लिखे गए हैं।


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Content Editor

Jyotsna Rawat

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