कोर्ट कचहरी हर घर की कहानी जैसी, इसमें अपूर्ण रिश्ते, इनसिक्योरिटीज व ग्रे एरियाज भी- आशीष

punjabkesari.in Wednesday, Aug 13, 2025 - 04:59 PM (IST)

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। हिंदी सिनेमा में कोर्ट रूम ड्रामा का चलन काफी पुराना रहा है और अब सोनी लिव लेकर आ रहा है एक और दिलचस्प कोर्ट रूम ड्रामा कोर्ट कचहरी जो 13 अगस्त 2025 को ऑनलाइन रिलीज होगा। यह सीरीज एक शख्स परम की कहानी पर आधारित है जिसका पारिवारिक पेशा वकालत रहा है। हालांकि परम वकील बनने में कोई खास रुचि नहीं रखता बल्कि वह यह पेशा मजबूरी और पारिवारिक दबाव के कारण अपनाता है। कोर्ट कचहरी में आशीष वर्मा, पुनीत बत्रा और पवन मल्होत्रा जैसे अभिनेता अहम भूमिकाओं में नजर आएंगे। इस वेब सीरीज के निर्देशक रुचिर अरुण हैं। इस सीरीज के बारे में आशीष वर्मा ने पंजाब केसरीनवोदय टाइम्स, जगबाणी और हिंद समाचार के लिए संवाददाता संदेश औलख शर्मा से खास बातचीत की। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश

प्रश्न 1: इस शो के बारे में पढ़ा तो एक चीज बार-बार सामने आ रही थी कि ये एक लीगल ड्रामा है, लेकिन इसमें एक ट्विस्ट है। तो क्या अलग है इसमें?
उत्तर:
देखिए बैकड्रॉप जरूर लीगल है लेकिन असल में ये एक बाप-बेटे की कहानी है। एक डिस्फंक्शनल रिलेशनशिप है उनके बीच। ये एक कमिंग ऑफ एज स्टोरी है एक ऐसे लड़के की जो एक लीगल फैमिली से आता है लेकिन उसका अपने प्रोफेशन और अपने पिता को लेकर नजरिया बहुत अलग है। इस कहानी में ये दिखाया गया है कि कैसे उस नजरिये में बदलाव आता है और क्या-क्या घटनाएं घटती हैं।

प्रश्न 2: इस प्रोजेक्ट से आप  कैसे जुड़े? उसके बारे में थोड़ा बताइए।
उत्तर:
ये एक दिलचस्प कहानी है। TVF के साथ काम करने की ख्वाहिश बहुत पहले से थी। कोई 10 साल पहले मैंने TVF के साथ InMates नाम का एक शो किया था। फिर भवेश जोशी सुपरहीरो के बाद अर्नब (TVF) ने मुझसे कहा कि कुछ बड़ा साथ में करना चाहिए। फिर ज़िंदगी में बहुत कुछ हुआ सब अपने-अपने कामों में लग गए। फिर मेरे एक बैचमेट रुचि रोहन जो इस शो के निर्देशक हैं, उन्होंने कॉल किया कि मैं एक शो बना रहा हूं TVF के लिए। मैंने कहा यार, मुझे ले ले। तो बोला - "तू फिट नहीं बैठता किरदार में।" मैंने कहा - दोस्त लोग काम नहीं देंगे तो कैसे चलेगा! तो उसने कहा कि पतला लड़का चाहिए इस रोल के लिए। मैंने पूछा शूटिंग में कितना टाइम है बोला 4-6 महीने। मैंने कहा दो महीने दे दो। मैंने दो महीने में 12 किलो वज़न कम किया फिर उसके सामने खड़ा हुआ। उसने डबल टेक लिया फिर बात आगे बढ़ी और राइटर्स से मिला रीडिंग्स की गईं और बात बन गई। इस तरह मैं 'कोर्ट कचहरी' का हिस्सा बना।

प्रश्न 3: आपने मेहनत भी खूब की। जब आपने स्क्रिप्ट सुनी तो आपको इस कहानी में क्या सबसे खास लगा?उत्तर: ये कहानी बहुत लेयर्ड है। ट्रेलर देखकर लगता है कि ये सिर्फ लीगल ड्रामा है लेकिन इसमें बहुत गहराई है। हर घर की कहानी जैसी है। इसमें अपूर्ण रिश्ते, इनसेक्योरिटीज, ग्रे एरियाज सब कुछ हैं। एक एक्टर के तौर पर मुझे सबसे अच्छा तब लगता है जब किरदार ग्रे होता है साफ-साफ सही या गलत नहीं होता। एक ही चीज आपको एक नजरिये से सही लगेगी लेकिन दूसरे से गलत। यही परफॉर्म करने में मजा आता है।

प्रश्न 4: आपका किरदार 'परम' किस तरह का है?
उत्तर:
परम एक वांटेड चाइल्ड है जो सिंगल पैरेंट के साथ बड़ा हुआ है। उसके अपने पिता से बहुत सारे अनसुलझे सवाल हैं। उसे एक प्रोवाइडर नहीं चाहिए उसे एक बाप चाहिए। शायद उसे सिर्फ इतना चाहिए कि उसके पिता एक बार आकर उसे गले लगा लें। वो नहीं जानता उसे क्या चाहिए  लेकिन ये जरूर जानता है कि उसे क्या नहीं करना है वकालत नहीं करनी है। ये उसकी तलाश की कहानी है।

प्रश्न 5: आप खुद 'परम' से कितने रिलेट करते हैं ?
उत्तर:
सिचुएशनली तो बिल्कुल नहीं। मेरी मां वकील हैं, नाना वकील थे, लेकिन मुझ पर कभी ज़ोर नहीं डाला गया कि वकील बनो। हमेशा सपोर्ट मिला। लेकिन इमोशनली उस वैलिडेशन की चाह सुने जाने की ख्वाहिश वो हर इंसान में होती है और एक एक्टर के तौर पर भी हम उस इमोशनल वैलिडेशन की तलाश में रहते हैं। उस स्तर पर मैं परम से जुड़ता हूं।

प्रश्न 6: एक बेटे के नजरिये से एक बाप-बेटे की कहानी को निभाना कैसा अनुभव रहा?
उत्तर:
मेरा बहुत रिलेटेबल और वल्नरेबल अनुभव रहा। अपनी जिंदगी में भी कई बार वैसी ही असहायता महसूस की है। लेकिन साथ ही मुझे एक एक्टर के तौर पर ये भी समझना पड़ा कि दूसरी तरफ क्या कहानी है। सिर्फ बेटा नहीं, बाप का नजरिया भी उतना ही अहम है। क्योंकि कहानी सिर्फ मेरी नहीं ये एक बड़ी कहानी है और मुझे उसके हिस्से को भी समझना जरूरी था।

प्रश्न 7: क्या कभी इस बात का दबाव महसूस हुआ कि राइटर सामने खड़ा है, तो डायलॉग में फेरबदल करूं या नहीं?
उत्तर:
शुरुआत में थोड़ा लगता था लेकिन धीरे-धीरे ट्रस्ट बन गया। फिर हम एक-दूसरे को समझने लगे। अगर कुछ डायलॉग ऑर्गेनिक तरीके से बदले जाते थे तो पुनीत (राइटर) समझते थे और अक्सर मान भी जाते थे। ये जरूरी है कि एक एक्टर अपनी लिव्ड एक्सपीरियंस और मसल मेमोरी से किरदार को गढ़े और हमें वो स्पेस इस शो में मिला ।

प्रश्न 8:  इस शो का हिस्सा बनने का अनुभव कैसा रहा? सारांश में बताइए।
उत्तर:
यह प्रोजेक्ट मेरे लिए बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि यह मेरा पहला प्रोजेक्ट है जिसमें मैं लीड भूमिका निभा रहा हूं। मैं 2011-2012 से इंडस्ट्री में काम कर रहा हूं और अब जाकर मुझे यह अवसर मिला है कि मैं एक TVF शो में मुख्य किरदार निभा सकूं। मैंने इसके लिए बहुत मेहनत की है और इस शो में मुझे एक संपूर्ण यात्रा निभाने का मौका मिला जिसमें संघर्ष है, भावनात्मक उतार-चढ़ाव हैं और एक किरदार के रूप में खुद को गहराई से एक्सप्लोर करने का स्पेस मिला है। यह कहानी पूरी तरह परम की है और पांच एपिसोड्स में आपको उसका सफर देखने को मिलेगा। इस दौरान मैंने एक एक्टर के रूप में नए एक्सपेरिमेंट्स किए और खुद को अलग-अलग रूपों में परखा और जो क्रिएटिव फ्रीडम मुझे इस शो में मिली वह मेरे लिए बहुत अहम रही।  

प्रश्न 9: आपने इसके लिए 12 किलो वजन घटाया। इससे पहले 'सास बहू फ्लेमिंगो' के लिए वजन बढ़ाया था। कितना चुनौतीपूर्ण होता है ये?
उत्तर:
 दरअसल यह ट्रांसफॉर्मेशन मैंने अपने पिछले दो प्रोजेक्ट्स में किया है। उससे पहले मुझे अक्सर वैसा ही कास्ट किया जाता था जैसा मैं असल जिंदगी में दिखता हूं जैसे गीक या भोला-भाला लड़का। लेकिन सास बहू फ्लेमिंगो' में मेरा किरदार बिल्कुल अलग था एक सबस्टैंस एब्यूज करने वाला, नैतिक रूप से अस्पष्ट इंसान। मैं उस रोल के लिए ऑब्वियस चॉइस नहीं था इसलिए उसके लिए मेहनत करनी पड़ी लेकिन यही तो एक एक्टर की तलाश होती है। ऐसे चैलेंजिंग किरदार जो हमें सीमाओं से बाहर जाकर कुछ नया करने का मौका दें। इस तरह के रोल्स में कठिनाई तो होती है, लेकिन जो संतोष और आनंद मिलता है वह अनमोल होता है। जैसे आमिर खान जब दंगल के अपने ट्रांसफॉर्मेशन की बात करते हैं उनके चेहरे की खुशी से साफ झलकता है कि उन्होंने कुछ असाधारण किया है। मेरे लिए भी 'सास बहू फ्लेमिंगो' में वो शारीरिक और मानसिक रूप से बदलना आसान नहीं था बारह किलो वजन बढ़ाया फिर उतारा लेकिन मुझे खुशी है कि मैंने वो मुकाम हासिल किया।

प्रश्न 10: आप और किस तरह के रोल अपने लिए चाहते हैं?
उत्तर:
पहले मैं अक्सर "हीरो का दोस्त" जैसे टाइपकास्ट रोल्स करता था जो आसान थे क्योंकि उनकी टोन और डिमांड पता होती थी। लेकिन अब मुझे खुशी है कि वो दायरा टूट रहा है और नए अवसर मिल रहे हैं। मैं चाहता हूं कि मुझे डार्क, कॉम्प्लेक्स और अनपेक्षित किरदार निभाने को मिलें जैसे पंकज त्रिपाठी या आमिर खान जो अपने फिजिकल अपीयरेंस से अलग जाकर बड़े और दमदार किरदार निभाते हैं। 

प्रश्न 11:दर्शकों को ये सीरीज क्यों देखनी चाहिए?
उत्तर:
क्योंकि ये हर घर की कहानी है। एक बेटे की कमिंग ऑफ एज स्टोरी है जो चीजों को ब्लैक एंड व्हाइट में देखता है, लेकिन ज़िंदगी बहुत ग्रे होती है। इसमें हीलिंग है, फीलिंग है, ह्यूमर है और ड्रामा भी है। हर पिता-पुत्र इसे देख कर कुछ न कुछ महसूस जरूर करेंगे।

 


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Content Editor

Jyotsna Rawat

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