जलियांवाला बाग हत्याकांड की 106वीं बरसी: ''केसरी चैप्टर 2'' से फिर याद आए शंकरन नायर और उनका साहस
punjabkesari.in Sunday, Apr 13, 2025 - 11:25 AM (IST)

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। 13 अप्रैल 2025 को जलियांवाला बाग हत्याकांड की 106वीं बरसी है। यह दिन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक बहुत ही दर्दनाक और अहम मोड़ माना जाता है। 13 अप्रैल 1919 को बैसाखी के दिन, पंजाब के अमृतसर में स्थित जलियांवाला बाग में हजारों लोग इकट्ठा हुए थे। वे अंग्रेजों के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध कर रहे थे, लेकिन जनरल डायर ने निर्दयता की सारी हदें पार करते हुए भीड़ पर गोलियां चलवा दीं। सैकड़ों लोग मारे गए और कई जान बचाने के लिए बाग में मौजूद कुएं में कूद गए।
शंकरन नायर ने अंग्रेजी हुकूमत की वायसराय परिषद से दिया इस्तीफा
इस घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इस हत्याकांड से प्रभावित होकर उस समय के प्रसिद्ध वकील और राष्ट्रवादी नेता सर शंकरन नायर ने अंग्रेजी हुकूमत की वायसराय परिषद से इस्तीफा दे दिया। यह उनका साहसिक कदम था, जिससे उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ खुलकर अपनी नाराजगी जाहिर की। बाद में उन्होंने 'गांधी एंड एनार्की' नामक किताब लिखी, जिसमें उन्होंने ब्रिटिश नीतियों की कड़ी आलोचना की। इसके चलते अंग्रेज सरकार ने उनके खिलाफ लंदन में मानहानि का मुकदमा भी चलाया लेकिन शंकरन नायर ने डटकर उसका सामना किया।
'केसरी चैप्टर 2' दर्दनाक इतिहास को लाएगी सबके सामने
अब अक्षय कुमार की आने वाली फिल्म 'केसरी चैप्टर 2' एक बार फिर इस दर्दनाक इतिहास को लोगों के सामने ला रही है। फिल्म के टीजर की शुरुआत 30 सेकंड की ऑडियो क्लिप से होती है, जिसमें सिर्फ गोलियों की आवाज, लोगों की चीखें और कुएं में कूदते बच्चों और महिलाओं की आवाजें सुनाई देती हैं। अक्षय कुमार एक वकील के रूप में स्क्रीन पर नजर आते हैं, जिनका किरदार सर शंकरन नायर से प्रेरित है।
जलियांवाला बाग हत्याकांड की अनसुनी कहानियां सुनाती है केसरी चैप्टर-2
यह फिल्म न केवल जलियांवाला बाग हत्याकांड की याद दिलाती है, बल्कि उन unsung heroes को भी सामने लाने का प्रयास है जिनका योगदान स्वतंत्रता संग्राम में अहम था लेकिन उन्हें वो पहचान नहीं मिल पाई। शंकरन नायर का जीवन और उनके फैसले आज भी हमें सिखाते हैं कि सच्चाई के लिए खड़ा होना कितना जरूरी है। इस जलियांवाला बाग की बरसी पर हमें न सिर्फ उन शहीदों को याद करना चाहिए, बल्कि उन वीरों को भी सम्मान देना चाहिए जिन्होंने आज़ादी की लड़ाई में अपने तरीके से अहम भूमिका निभाई।