UPSC: इंटरव्यू तक पहुंच कर असफल रहने वाले स्टूडेंट्स नहीं रहेंगे नौकरी से वंचित

punjabkesari.in Monday, Feb 11, 2019 - 10:40 AM (IST)

एजुकेशन डेस्कः आईएएस की परीक्षा देश की सबसे कठिन परीक्षा में से एक मानी जाती है। प्रिलिम्स और मेन्स जैसी कठिन लिखित परीक्षाओं को निकालने के बाद इंटरव्यू में जगह बनाना आसान काम नहीं होता लेकिन इंटरव्यू में भी पहुंच कर भी कई स्टूडेंट्स आईएएस नहीं बन पाते। ऐसे स्टूडेंट्स न केवल तनाव में आ जाते हैं बल्कि इनके लिए सरकारी नौकरी के ऑप्शन्स भी कई बार नहीं बचते। ऐसे स्टूडेंट्स के लिए अब एक अच्छी पहल की शुरुआत होने की उम्मीद है।

 

संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी)  के चेयरमैन अरविंद सक्सेना ने सरकार और उनके मंत्रालयों से सिफारिश की है कि सिविल सेवा परीक्षा के इंटरव्यू के अंतिम लिस्ट में जगह न बना पाने वाले स्टूडेंट्स के लिए सरकारी सेवाओं में भर्ती सुनिश्चित की जाए। न्यू इंडिया एक्सप्रेस की रिपोर्ट्स की मानें तो यूपीएससी अध्यक्ष अरविंद सक्सेना ने न केवल सिविल सेवाओं के अंतिम लिस्ट तक पहुंचने वाले स्टूडेंट्स बल्कि अन्य परीक्षाओं के साक्षात्कार तक तो पहुंचने वाले  स्टूडेंट्स के लिए भी भर्ती की मांग की है।


ओडिशा में हो रहे राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्षों के 23वें राष्ट्रीय सम्मेलन के अवसर पर यूपीएससी के चेयरमैन अरविंद सक्सेना ने कहा कि हर साल लगभग 11 लाख उम्मीदवार सिविल सेवा परीक्षा के लिए आवेदन करते हैं। इनमें से आधे उम्मीदवार ही प्री एग्जाम में बैठते हैं। परीक्षा चरणों के माध्यम से उनकी संख्या कम हो जाती है और अंत में केवल 600 उम्मीदवार ही बचे रह जाते हैं।

 

सम्मेलन में उन्होंने कहा कि सरकार को इन मुश्किल चयन प्रक्रियाओं से गुजरने वाले स्टूडेंट्स की लिस्ट से दूसरे मंत्रालयों में भर्ती पर विचार करना चाहिए। ताकि ऐसे स्टूडेंट्स का तनाव और दुख कम हो सके। उन्होंने हालांकि इस बात का भी जिक्र किया कि पहली बार 2018 में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एनटीपीसी ने ऐसे उम्मीदवारों को नौकरी देने के लिए विज्ञापन जारी किया है जो इंटरव्यू में असफल हो जाते हैं। सिविल सर्विस के 2018 का इंटरव्यू फिलहाल जारी है और कुछ ही दिनों में परिणाम आने की संभावना है।

 
यूपीएससी परीक्षा प्रक्रिया के चयन प्रक्रिया के बारे में भी उन्होंने बताया कि परीक्षा को स्टूडेंट्स के अनुकूल बनाने के लिए काफी बदलाव व प्रयास किए जा रहे हैं। इसी के तहत अब ऑनलाइन आवेदन करने के बाद उम्मीदवारों को एक रजिस्ट्रेशन नंबर दिया जाएगा जिसके जरिए बाद में अगर वे चाहेंगे तो अपना आवेदन वापस ले सकेंगे।

 

दरअसल यूपीएससी का कहना है कि आधे उम्मीदवार फॉर्म तो भर देते हैं, लेकिन प्री एग्जाम देने ही नहीं आते हैं। ऐसे में यूपीएससी को परीक्षा केंद्रऔर पेपर पर अधिक पैसे खर्च करने पड़ते हैं। सक्सेना ने कहा कि इस कदम का मुख्य उद्देश्य उम्मीदवारों को जागरूक करना है कि यदि वे अच्छी तरह से तैयार नहीं हैं, तो उन्हें परीक्षा नहीं देनी चाहिए और अगले साल इसके लिए कोशिश करनी चाहिए। परीक्षा प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए UPSC कई अन्य उपाय भी कर रहा है, जिनमें ऑनलाइन कंप्यूटर बेस्ड टेस्ट आयोजित कराने पर विचार किया जा रहा है।


 


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Sonia Goswami

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