226 छात्रों वाले स्कूल में एक भी शिक्षक नहीं,कैसे बढ़ेगा शिक्षा का स्तर

punjabkesari.in Thursday, Aug 23, 2018 - 04:59 PM (IST)

चंडीगढ़ः पंजाब का भविष्य कैसे उज्जवल होगा क्योंकि यहां का शिक्षा विभाग खुद ही कमजोर है। शिक्षा का स्तर बढ़ने की बजाए गिर रहा है,कारण है पॉलिटिकल पावर और ब्यूरोक्रेसी जिसके चलते लोग अपनी पसंद की सीट ले रहे हैं। शादी के बाद हर कोई अपने साथी के साथ वाली सीट को लेकर लीडरों या किसी पहुंच वाले से संपर्क बनाता है और उसका काम कर दिया जाता है लेकिन जहां से सीट खाली हुई वहां कोई आया या नहीं कोई नोटिस  तक नहीं किया जाता। हाल ये हो जाता है कि कहीं 226 छात्रों वाले स्कूल में एक भी शिक्षक नहीं पहुंच पाता और कहीं 22 छात्रों के स्कूल में 9 शिक्षक पढ़ाने पहुंच जाते हैं। 


सरकारी स्कूलों में शिक्षक की कमी एक पुरानी समस्या है, लेकिन पंजाब शिक्षा विभाग भी इसे दूर करने में असमर्थ दिखाई दे रहा है। यहां के कई स्कूलों में हाल ये है कि बड़ी संख्या में छात्रों के स्कूल में शिक्षक मात्र एक हैं,जबकि कई स्टेशनों पर शिक्षकों की  मात्रा छात्रों अनुसार ज्यादा है। इसकी सबसे बड़ी उदाहरण सरकारी प्राथमिक विद्यालय, वासवा सिंह वाली (अमृतसर) है, जिसमें 226 छात्रों के लिए एक भी शिक्षक नहीं है। इतना ही नहीं यहां कि ग्रामीणों द्वारा एक अस्थायी शिक्षक नियुक्त किया गया है जो केवल छात्रों का प्रबंधन करता है न कि नियमित कलास लेता है।  


इसी प्रकार, शेख बस्ती (अमृतसर) में एक माध्यमिक विद्यालय, गिद्डबाहा (मुक्तसर) और वारा काली (फिरोजपुर) में प्राथमिक विद्यालय, लातियनवाला (कपूरथला) में एक हाई स्कूल है जिनमें 100 से अधिक छात्र हैं लेकिन शिक्षक एक भी नहीं।

 

दूसरी तरफ रोपड़ के अकालगढ़ बुर्जवाला में स्थिति इसके विपरीत है जहां 13 छात्रों के लिए छह शिक्षक हैं। मंगल हुसैन (गुरदासपुर) में 22 छात्रों के लिए 9 शिक्षक हैं। आदमपुर (फतेहगढ़ साहिब) में 8 शिक्षक और 35 छात्र, साहेरी (रोपड़) 7 शिक्षक 40 छात्र और जोहल (जालंधर) में 36 छात्रों के लिए 7 शिक्षक हैं।

 

 


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Sonia Goswami

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