रक्षा मंत्रालय नहीं दे रहा  99 साल पुराने स्कूल के स्थानांतरण के लिए जमीन : आप सरकार

punjabkesari.in Sunday, Feb 03, 2019 - 05:45 PM (IST)

नई दिल्ली : आप सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि चूंकि केंद्र जर्जर अवस्था में पहुंच चुके 99 साल पुराने स्कूल को स्थानांतरित करने के लिए जमीन देने से इनकार कर रहा है इसलिए वहां पढ़ाई कर रहे छात्रों को अगले शैक्षणिक सत्र से अन्य स्कूलों में भेजा जाएगा। दिल्ली सरकार ने अदालत को बताया कि स्कूल के भविष्य के संबंध में कोई समाधान निकालने के उच्च न्यायालय के आदेश का पालन करते हुए गत 28 नवंबर को हुई बैठक में रक्षा मंत्रालय ने शिक्षा निदेशालय (डीओई) से स्कूल को दूसरे स्थान पर स्थानांतरित करने के लिए कहा था।      

मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और न्यायमूर्ति वी के राव की पीठ के समक्ष एक हलफनामे में निदेशालय ने कहा कि रक्षा मंत्रालय के रुख पर विचार करते हुए उसके पास छात्रों को अगले शैक्षणिक सत्र से दूसरे स्कूलों में भेजने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है। उसने अदालत से अनुरोध किया कि वह मंत्रालय को स्कूल इमारत बनाने के लिए वैकल्पिक जमीन देने या वह स्थान सौंपने के निर्देश दे जहां स्कूल स्थित है। बैठक में हुई चर्चा के अनुसार, रक्षा मंत्रालय ने कहा कि 99 साल पुराना राजपुताना राइफल्स हीरोज मेमोरियल सीनियर सेकंडरी स्कूल अभी मंत्रालय की जमीन पर स्थित है जो छावनी भूमि प्रशासन नियम के मुताबिक नहीं है।     

सेना और मंत्रालय के प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि स्कूल स्थानांतरित करने के लिए रक्षा मंत्रालय को देने के लिए कोई जमीन उपलब्ध नहीं है और उसने सुझाव दिया कि वहां पढ़ रहे छात्रों को छावनी क्षेत्र में स्थित दिल्ली सरकार के अन्य स्कूलों में भेजा जाए। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि हालांकि उच्च न्यायालय के आदेश पर इमारत की मरम्मत कराई गई लेकिन अब यह जर्जर हो चुकी है और असुरक्षित है । अदालत एनजीओ सोशल जूरिस्ट की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें आरोप लगाया कि 1975 में दिल्ली सरकार ने स्कूल का संचालन अपने हाथ में लिया और स्कूल को उससे 100 फीसदी सहायता मिल रही है लेकिन इसकी हालत काफी भयावह है।  एनजीओ की ओर से पेश हुए वकील अशोक अग्रवाल ने कहा था कि 1919 में निर्मित इस स्कूल में करीब 450 छात्र पढ़ रहे हैं और वे अनुचित रूप से पर्याप्त मूल ढांचे और अकादमिक फैकल्टी से वंचित हैं।  याचिका में यह अपील की गई है कि स्कूल की मौजूदा इमारत को गिराने और इसका स्टेट ऑफ द आर्ट स्कूल के तौर पर पुन: निर्माण कराने का निर्देश दिया जाए। 


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