प्रिंसिपल बच्चों की सुरक्षा के मामले में रहें सावधान

punjabkesari.in Saturday, Sep 29, 2018 - 12:22 PM (IST)

भोपाल: स्कूली बच्चों की सुरक्षा के विषय पर राज्य बाल आयोग ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सहयोग से एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया।  कार्यशाला में विषय प्रवर्तन करते हुए म.प्र. बाल आयोग के अध्यक्ष राघवेन्द्र शर्मा ने कहा कि आयोग का प्रमुख कार्य आर.टी.ई. तथा किशोर न्याय अधिनियम और लैंगिक अपराधों पर कारवाई करना है। 


उन्होंने नियमों के पालन में व्यवहारिक कठिनाईयों का उल्लेख करते हुए कहा कि मौलिक अधिकारों का हनन आपराधिक श्रेणी में आता है। श्रम कानून के हिसाब से 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे से काम करवाना अपराध है।  नये चाइल्ड लेबर एक्ट में 14 वर्ष की उम्र के बाद बच्चे को कौशल विकास का प्रशिक्षण दिया जा सकता है। इन सारे विराधाभासों को दूर करते हुए तथा म.प्र के सभी विभागों में बच्चों को लेकर जो भी नियमावली है, उन्हें एकजाई कर नये नियम बनाये जाने और उनकी मॉनिटरिंग बाल आयोग द्वारा किये जाने की आवश्यकता है। ए.आई.जी. सायबर क्राइम सुधीर गोयनका ने प्रदेश के विद्यालयों से आए प्राचार्यों और प्रबंधकों को वाट््सएप, इंटरनेट के माध्यम से बच्चों द्वारा जाने-अनजाने में किये जा रहे अपराधों के बारे में जानकारी देते हुए उन्हें सचेत रहने के लिये कहा। 


उन्होंने बताया कि 13 वर्ष की उम्र से बच्चा अपना फेसबुक प्रोफाइल और 18 वर्ष के बाद ई-मेल आई डी बना सकता है। उन्होंने डिजीटल फुटप्रिंट को मैनेज करने के लिए विवेकपूर्ण इस्तेमाल करने की सलाह भी दी।  राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के तकनीकी विशेषज्ञ रजनीकांत ने तैयार की जा रही नियमावली के महत्वपूर्ण ङ्क्षबदुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने बच्चों की सुरक्षा एवं अन्य समस्याओं के समाधान के लिये शिकायत पेटी लगाने के साथ-साथ स्कूल की संरचना, प्रबंधन सेनीटेशन जैसी सुविधाओं पर विशेष ध्यान देने की जरूरत बताई। उनका मानना था कि बच्चों को 5वीं कक्षा के पश्चात् ही कंप्यूटर शिक्षा दी जानी चाहिये। उन्होंने बस्ते का बोझ घटाने के लिए किए जा रहे नवाचारों की भी चर्चा की।
 


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pooja

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