स्कूली बस्ते के बोझ को कम करने के लिए कई राज्यों ने शुरु की डिजिटल पढ़ाई : जावेडकर

punjabkesari.in Thursday, Jul 20, 2017 - 07:07 PM (IST)

नई दिल्ली : देश में स्कूली बच्चों के कम करने के लिए कई राज्यों में  डिजिटल पढ़ाई शुरू की गयी है। इसके लिए एक ओर जहां केन्द्रीय विद्यालयों में  छात्रों को टेबलेट दिए जा रहे हैं वहीं महारष्ट्र में तो नागरिक समाज की ओर से छात्रों को 600 करोड़ रुपये के टेबलेट प्रदान किये गए हैं। 

राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस की अंबिका सोनी की ओर से  स्कूल बैग का बोझ खत्म करने के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में  मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावेडकर ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सरकार स्कूली बसते का बोझ कम करने की मांग से सहमत है और उसने इस दिशा में कई कदम भी उठायें हैं। केंद्रीय माध्यमिक स्कूल शिक्षा बोर्ड ने दूसरी कक्षा तक के छात्रों को बस्ता न लाने के निर्देश दिए हैं और स्कूली बसते का बोझ कम करने के हर संभव निर्देश दिए हैं। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसन्धान एवं प्रशिक्षण परिषद् ने कक्षा एक और दो के लिए केवल दो तथा कक्षा तीन से पांच तक तीन पुस्तकें सिफारिश की है। उन्होंने कहा कि इन दोनों के निर्णयों में कोई अंतर्विरोध नहीं है क्योंकि दोनों बस्ते का बोझ कम करना चाहते हैं, फर्क इतना है कि सी बी एस सी के सरकारी और निजी स्कूल दोनों होते हैं लेकिन एनसीइआरटी की पुस्तकें केवल सरकारी स्कूलों में अनिवार्य होती हैं।

इस  बार  में अधिक जानकारी देते हुए जावडेकर ने कहा कि केन्द्रीय विद्यालय संगठन के 25 स्कूलों में पायलट परियोजना के आधार पर आठवीं कक्षा तक के छात्रों के लिए टेबलेट दिए जा रहे हैं। इसके अलावा कई राज्य डिजिटल शिक्षा शुरू कर रहे हैं। तेलंगना और महाराष्ट्र तथा तमिलनाडु में भी यह शुरू किया गया है। महाराष्ट्र में पचास हजार  से अधिक स्कूल डिजिटल विद्यालय में विकसित किये गए हैं।  उन्होंने बताया कि छात्रों को पानी की भरी बोतलें भी नहीं लेन को कहा गया है ताकि उनका बस्ता हल्का रहे और इसके लिए स्कूलों में ही स्वच्छ पेयजल की व्यस्था की गयी है।


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