जानबूझ कर कर्ज नहीं चुकाने वालों पर कसेगा शिकंजा

punjabkesari.in Friday, May 06, 2016 - 12:25 PM (IST)

नई दिल्ली: जानबूझ कर कर्ज न चुकाने वाले बड़े उद्योगपतियों और कॉर्पोरेट घरानों पर सख्ती तथा दीवालिया और बीमारू कंपनियों के पुनर्गठन की प्रक्रिया को आसान बनाने संबंधी विधेयक को लोकसभा में वीरवार को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। ‘दीवाला और शोधन अक्षमता संहिता विधेयक 2016’ पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने कहा, ‘‘यह विधेयक देश की अर्थव्यवस्था को एक नया आयाम देने में महत्वपूर्ण साबित होगा।

इसके जरिए कंपनियों के दीवालियापन से जुड़े 100 वर्ष पुराने 12 कानूनों को संशोधित कर उसके स्थान पर एक अधिक प्रभावी और व्यापक आधार वाला कानून लाया जा रहा है। बैंकों के करोड़ों रुपए हड़प कर पल्ला झाडऩे वाले उद्योगपति और उनकी कंपनियां अब कानून की गिरफ्त से बच नहीं पाएंगी।

ये भी हैं बिल में
-नए दीवालिया बिल के मुताबिक किसी कम्पनी को बंद करने के बारे में 180 दिन के भीतर फैसला लेना होगा।

-इसके लिए 75 प्रतिशत कर्जदाताओं की सहमति जरूरी होगी और और इस बिल से कर्जदाताओं को पैसा वसूलने में आसानी होगी।

-बिल पर संसदीय कमेटी ने सिफारिश की है कि दीवालिया होने पर कम्पनी की संपत्ति पर पहला हक कर्मचारियों का होना चाहिए।

-यह भी सिफारिश की गई है कि संपत्ति बेचने से आने वाली रकम से पहले कर्मचारियों की बकाया सैलरी का भुगतान किया जाना चाहिए।

-दीवालिया हो चुकी कम्पनी की विदेशी संपत्ति भी बेचने की छूट होगी, संपत्ति बेचने वाली शर्त भारत में कारोबार करने वाली विदेशी कम्पनियों पर भी लागू होनी चाहिए।
 
-कम्पनी की संपत्ति बेचने के लिए विशेषज्ञों की खास टीम बनाई जाएगी जो प्रबंधन की जगह लेगी।

-फास्ट ट्रैक आवेदनों को 90 दिन में निपटाना होगा।

-नए कानून में घाटे से जूझ रही कम्पनी का पुन: प्रवर्तन करना इकलौता विकल्प नहीं होगा। इसके लिए दूसरे कदम भी उठाए जाने के प्रावधानहैं।

-नए बिल में दीवाला पेशेवरों का नैटवर्क स्थापित करने की एक निश्चित समय सीमा का प्रावधान है।

-इससे दीवालिया से जुड़े मामलों को निपटाने में अदालतों का बोझ कम होगा और समय भी बचेगा।

-नए बिल से किसी कम्पनी को आधिकारिक तौर पर समाप्त किया जा सकेगा और पंजीकृत दीवाला व्यवसायी की नई प्रणाली शुरू होगी।

-नए बिल के प्रावधान में नैशनल कम्पनी लॉ, कम्पनी लॉ ट्रिब्यूनल (एन.सी.एल.टी.) और डेट रिकवरी ट्रिब्यूनल (डी.आर.टी.) बनाना शामिलहै।


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