तस्वीरों में करें विदेशी प्राचीन नदी के दर्शन, पूजे जाते हैं जिसके पत्थर

punjabkesari.in Friday, Dec 18, 2015 - 03:58 PM (IST)

भारत का पड़ोसी देश नेपाल दर्शनीय और सुंदर देश है।  भारत और नेपाल की मज़हबी और सांस्कृतिक परंपराओं में बहुत समानताएं हैं क्योंकि असल में नेपाल प्राचीन भारत का ही एक भाग है। वक्त के साथ-साथ इसने अपनी एक अलग पहचान बनाई और एक अलग देश के रूप में स्थापित हो गया। चाहे आज यह भारत से अलग है लेकिन भारतीय संस्कृति की छाप आज भी यहां देखी जा सकती है। यहां बहुत सारे ऐसे स्थान हैं जिनका वर्णन हिंदू धर्म शास्त्रों में प्राप्त होता है। आईए जानें वहां की एक खास नदी के बारे में-  

श्री कृष्ण भक्ति शाखा के अनुयायी श्री विष्णु का पूजन विशेष पत्थर के रूप में भी होता है जिसे शालिग्राम कहा जाता है। यह काले रंग का और चिकना पत्थर होता है। जिसे भगवान विष्णु का साक्षात स्वरूप माना जाता है। शालिग्राम के पत्थर नेपाल में बहने वाली गंडकी नदी में पाए जाते हैं। गंडकी नदी को तुलसी का ही रूप माना जाता है। कैसे भगवान विष्णु बने शालिग्राम क्यों तुलसी ने लिया गंडकी नदी का रूप जानने के लिए पढ़ें पौराणिक अख्यान

पुरातन कथा के अनुसार तुलसी दिव्य पुरूष ''शंखचूड़'' की निष्ठावान पत्नी वृन्दा थी। भगवान विष्णु ने छल से उसका सतित्व भंग किया था। अत: उसने भगवान काे पत्थर बन जाने का श्राप दे दिया। इस तरह भगवान शालीग्राम रूप में परिवर्तित हो गए। वृन्दा की भक्ति आैर सदाचारिता की लगन काे देखकर श्री विष्णु ने उसे वरदान देकर पूजनीय पाैधा ''तुलसी'' और गंडकी नदी बना दिया।

गंडकी नदी में पाए जाने वाले विशेष शालिग्राम शिला को साक्षात भगवान विष्णु माना जाता है। यह नदी नेपाल की सबसे बड़ी नदियों में से एक है। इसे नारायणी नाम से भी जाना जाता है। इसका बहाव मध्य नेपाल और उत्तरी भारत में प्रवाहित होता है। यह दक्षिण तिब्बत के पहाड़ों से निकलती है तथा सोनपुर और हाजीपुर के मध्य में गंगा नदी में जाकर मिल जाती है। यह नदी काली नदी और त्रिशूली नदियों के संगम से बनी है। इन नदियों के संगम स्थल से भारतीय सीमा तक नदी को नारायणी के नाम से जाना जाता है। 


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