UP के CM आदित्यनाथ हैं इस मंदिर के महंत, जानें इसकी ख़ासियत
punjabkesari.in Friday, Jun 21, 2019 - 01:42 PM (IST)
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यूपी के CM योगी आदित्यनाथ को तो आप सब जानते ही होंगे। ये गोरखपुर के प्रसिद्ध गोरखनाथ मंदिर के महंत होने के साथ-साथ और राजनेता हैं। कुछ वेबसाईट्स के अनुसार इन्होंने 19 मार्च 2017 को प्रदेश के विधान सभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी की बड़ी जीत के बाद यूपी के 21 वें मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी और आज तक ये अपने इस पद पर कायम हैं। तो आइए जानते हैं गोरखपुर मंदिर से जुड़ी कुछ खास व दिलचस्प बातें-
गोरखनाथ मंदिर, उत्तर प्रदेश के गोरखपुर नगर में स्थित है। कहा जाता है कि बाबा गोरखनाथ के नाम पर ही इस जिले का नाम गोरखपुर पड़ा है। इस मंदिर के वर्तमान महंत बाबा योगी आदित्यनाथ हैं। यहां मकर संक्रांति के मौके पर विशाल मेला लगता है जिसे 'खिचड़ी मेला' के नाम से जाना जाता है।
यहां की लोक मान्यता के अनुसार गोरखपुर के गोरक्षनाथ मंदिर में लगातार होने वाली योग साधना का क्रम बहुत प्राचीनसमय से चलता आ रहा है। पौराणिक कथाओं के ज्वालादेवी के स्थान से परिभ्रमण करते हुए 'गोरक्षनाथ जी' ने आ कर भगवती राप्ती के तटवर्ती क्षेत्र में तपस्या की थी और उसी स्थान पर अपनी दिव्य समाधि लगाई थी, जहां आज के समय में गोरखनाथ मंदिर स्थापित है।
52 एकड़ में बना है मंदिर
मंदिर लगभग 52 एकड़ के क्षेत्र में बना हुआ है। इस मंदिर का रूप व आकार-प्रकार परिस्थितियों के अनुसार समय-समय पर बदलता रहा है इसकी भव्यता और पवित्रता बहुत ही कीमती है।
15 फरवरी 1994 को योगी आदित्यनाथ बने थे मंदिर के महंत
बता दें यहां गुरु गोरखनाथ जी के प्रतिनिधि के रूप में सम्मानित संत को महंत की उपाधि से विभूषित किया जाता है। कहा जाता है इस मंदिर के प्रथम महंत श्री वरद्नाथ जी थे जो गुरु गोरखनाथ जी के शिष्य थे। बाद में परमेश्वर नाथ और गोरखनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार करने वालों में प्रमुख बुद्ध नाथ जी (1708-1723 ई) मंदिर के महंत बने। इसके बाद 15 फरवरी 1994 गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवैद्य नाथ जी महाराज द्वारा मांगलिक वैदिक मंत्रोच्चारपूर्वक योगी आदित्यनाथ का दीक्षाभिषेक संपन्न हुआ था।
अखंड ज्योति
कहा जाता है मुस्लिम शासन काल में हिंदुओं और बौद्धों के अन्य सांस्कृतिक केंद्रों की तरह इसे भी कई बार बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। इसकी प्रसिद्धि के कारण ही से शत्रुओं का ध्यान इसकी तरफ गया। चौदहवीं सदी में भारत के मुस्लिम सम्राट अलाउद्दीन खिलजी के शासन काल में यह मठ नष्ट किया गया और साधक योगी बलपूर्वक निष्कासित किए गए थे। जिसके बाद मठ का पुनर्निर्माण किया गया और सत्रहवीं और अठारहवीं सदी में अपनी धार्मिक कट्टरता के कारण मुगल शासक औरंगजेब ने इसे दो बार नष्ट किया परंतु शिव गोरक्ष द्वारा त्रेता युग में जलाई गई अखंड ज्योति यहां आज तक अखंड रूप से जल रही है। बता दें यह अखंड ज्योति श्री गोरखनाथ मंदिर के अंतरवर्ती भाग में स्थित है।