गोरैया दिवस : क्यों भूले दिल्ली वाले अपना राज्य पक्षी
punjabkesari.in Monday, Mar 21, 2022 - 11:48 AM (IST)

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नई दिल्ली (अनामिका सिंह/नवोदय टाइम्स): आंगन-आंगन फिरती चिड़िया, इस डाली से उस डाली तक लेकिन अब नहीं दिखती है दिल्ली में चिड़िया। जी हां, आपको यह जानकर हैरानी होगी कि दिल्ली का राज्य पक्षी गोरैया यानि नन्ही चिड़िया है। बावजूद इसके अब कंक्रीट के जंगल में चिड़िया नहीं दिखाई दे रही हैं। क्या गोरैया दिल्ली वालों से नाराज हो गई हैं या फिर दिल्लीवाले अपने राज्य पक्षी को भुला चुके हैं ये एक ज्वलंत प्रश्न सभी दिल्ली के लोगों के सामने है। गोरैया सिर्फ पक्षी ही नहीं बल्कि आपका पारिस्थितिक तंत्र कितना मजबूत है, उसे बताने वाला प्रकृति का संदेश भी है।
दिल्ली विश्वविद्यालय के नॉर्थ कैंपस में गोरैया को बचाने की मुहिम चलाने वाले समाजसेवी विमल निगम ने बताया कि दिल्ली में जहां प्रदूषण का स्तर बढ़ना गोरैया की संख्या घटाने की एक वजह है।
वहीं प्रमुख वजह गोरैया के रहने के लिए अब जगहों की कमी का होना है। दरअसल गोरैया और मानवों का एक आत्मीयता भरा रिश्ता है, जहां मानव रहते हैं, उसी के नजदीक गोरैया भी अपना घोंसला बनाती है, लेकिन अब लोग अपने घरों में छज्जे नहीं बनवाते जो पहले बाहर की तरफ निकले हुए होते थे। जिसकी वजह से गोरैया को अपना घोंसला बनाने की जगह नहीं मिल पाती।
पेड़ों का कटना भी प्रमुख वजह
समाजसेवी निगम बताते हैं कि दिल्ली में विकास के नाम पर अंधाधुंध पेड़ों की कटाई बीते तीन दशकों में हुई है। जिसके चलते गोरैया ही नहीं बल्कि अन्य पक्षियों को भी अपना घोंसला बनाने के लिए जगह नहीं मिल पा रही है। गोरैया की मजबूरी है कि वो ऊंची-ऊंची बिल्डिंगों को छोड़कर दूर आशियाना बनाए।
लोगों में जागा घोंसला बनाने का क्रेज
बता दें कि कुछ सालों में कई संस्थाएं गोरैया संरक्षण को लेकर काम कर रही हैं। इसके लिए वो लोगों को घोंसला बनाने की कला सिखा रहे हैं ताकि घोंसले का निर्माण कर लोग अपनी छतों पर गोरैया को जगह दे सकें। हालांकि इसका प्रभाव फिलहाल कम ही सही लेकिन एनसीआर से सटे व ज्यादा हरियाली वाले दिल्ली के इलाकों में देखने को मिल रहा है।