शनिदेव ने अपने ही पिता को क्यों दे डाली सजा ?

Saturday, Jan 05, 2019 - 01:27 PM (IST)

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शनिदेव का नाम आते ही अक्सर मन किसी अनहोनी की आशंका से घबराने लगता है। इसी के चलते लोग किसी भी परेशानी, संकट, दुर्घटना, आर्थिक नुकसान के होने पर ये मान लेते हैं कि  उन पर शनि की ही अशुभ छाया पड़ी होगी जिसके चलते वे शनिदेव को हमेशा प्रसन्न करने में लग जाते हैं। शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए बहुत से लोग शनि की पूजा करते हैं। शास्त्रों में शनिदेव को न्याय प्रिय देव माना गया है। इनके प्रकोप से बड़े से बड़ा धनवान भी दरिद्र बन जाता है। परंतु ऐसा सही नहीं है। दरअसल शनि देव न्याय के अधिकारी है और उनका न्याय निष्पक्ष होता है। आज हम आपको शनिदेव से जुड़ी एक पौराणिक कथा के बारे में बताएंगे। जिस में उन्होंने अपने पिता को ही दंड दिया है। आइए जानते है इस बारे में-

पौराणिक कथा के अनुसार शनिदेव का जन्म सूर्यदेव की दूसरी पत्नी छाया के गर्भ से हुआ था। जिस समय शनिदेव गर्भ में थे तब माता छाया हमेशा शिव की पूजा में लीन रहती थीं। उन्हें अपने खाने-पीने का ध्यान तक नहीं होता था। इस कारण शनिदेव का रंग काला हो गया और उन्होंने कमजोर बालक के रूप में जन्म लिया। शनिदेव का रंग देखकर पिता सूर्यदेव को बहुत गुस्सा आया। उन्होंने अपनी संतान को देखा तो उसकी कुरूपता की वजह से उन्होंने उसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया। ऐसे में उन्होंने अपनी पत्नी छाया का भी त्याग कर दिया था और पुत्र शनि का भी।

अपने पिता का ये व्यवहार देखकर शनि और उनकी माता छाया, दोनों बहुत दुखी हुए। उनके पिता भगवान सूर्य ने ऐसा किया इस वजह से उन्होंने ठान लिया कि उन्हें अपने पिता जैसे दोषियों को दंड देना हैं। अपने पिता के समान अलौकिक शक्तियां, दृष्टि और अधिकार प्राप्त करने के लिए उन्होंने अपने बचपन, किशोरावस्था और युवावस्था का त्याग कर दिया और सारा समय महादेव की तपस्या में लगा दिया। भगवान शिव की कठोर तपस्या कर शनिदेव ने उनसे ये वरदान हासिल कर लिया था कि वे सभी के पापों का हिसाब रखकर उन्हें उसी के अनुसार दंड देंगे। शनिदेव को महादेव से मिले वरदान के अनुसार वे न सिर्फ मनुष्य बल्कि देवताओं और भगवान के भी बुरे कर्मों का हिसाब रख सकते थे और उन्हें दंड भी दे सकते थे। इस वरदान को हासिल करने के बाद शनिदेव को भी देवता का दरजा मिल गया और उनकी नजर को कुदृष्टि की शक्ति मिल गई। अब वह जिस किसी पर भी अपनी कुदृष्टि डालेंगे उसका विनाश होना निश्चित था, फिर चाहे वो कोई भी हो, देवता, नाग, मनुष्य, असुर। कुदृष्टि हासिल करते ही सबसे पहले शनि देव ने अपने पिता को उनके कर्मों के फलस्वरूप दंड दिया।

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