गणेश चतुर्थी : बप्पा की खूबसूरत मूर्तियों से सजे बाजार
punjabkesari.in Thursday, Sep 05, 2024 - 12:54 PM (IST)
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नई दिल्ली (मानव शर्मा/नवोदय टाइम्स): गणेश चतुर्थी की तैयारियां शुरू हो गई हैं। बाजार में मिट्टी, पीओपी आदि की मूर्तियां दुकानों पर सजने लगी हैं। मूर्तिकारों ने गणेश प्रतिमाओं को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है। इस बार 7 सितम्बर को गणेश चतुर्थी पड़ रही है। हर साल भाद्रपद में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी मनाई जाती है।
महाराष्ट्र की तर्ज पर अब दिल्ली में भी धूमधाम से गणेशोत्सव मनाया जाने लगा है। गणपति की स्थापना होती है। मंदिरों से लेकर पार्क, कॉलोनी, सोसायटी और बाजारों में गणेशोत्सव में भक्त डूबे दिखते हैं। दिल्ली में भगवान गणेश की सुंदर प्रतिमाएं बिकनी शुरू हो गई हैं। मिट्टी के इको फ्रेंडली गणपति के संग पीओपी के गणपति भी बाजार में आ गए हैं। कोलकाता और मुंबई से गणपति की छोटी बड़ी प्रतिमाएं दिल्ली आई हैं।
फुट के हिसाब से बढ़ते है दाम
ऐसा पहले मुंबई या महाराष्ट्र के अन्य शहरों में ही दिखता था। लेकिन अब ऐसा दिल्ली में होने लगा है। भव्य और बड़े पांडालों में प्लास्टर ऑफ पेरिस या पीओपी के गणपति स्थापित होते हैं। दिल्ली में प्रतिमा का निर्माण नहीं होता है। यहां आगरा से पीओपी और कोलकाता से मिट्टी की बनी प्रतिमा आती है। मूर्ति के विक्रेता सुनील ने बताया कि पीओपी की सबसे छोटी प्रतिमा 50 रुपए की बेचते हैं, जो 6 इंच की है। वहीं 15 फुट ऊंची प्रतिमा 45 हजार रुपए में बेचते हैं। मिट्टी से बनी 6 इंच की प्रतिमा 150 रुपए में मिल जाती है।
होता है काफी नुकसान
सुनील ने बताया कि कोलकाता से भगवान गणेश की छोटी बड़ी प्रतिमाएं एक साथ ट्रक में आती हैं। एक लाख रुपए के माल में 20 हजार रुपये का नुकसान हो ही जाता है, क्योंकि ट्रकों में कुछ मूर्तियां टूट जाती हैं। उनका कहना है कि खंडित प्रतिमा कोई नहीं लेता। ट्रांसपोर्टेशन में 60 से 70 हजार रुपए खर्च हो जाते हैं।
एक गाड़ी में 300 से ज्यादा प्रतिमाएं आ जाती हैं। ये माल 2.50 से 3 लाख रुपए का होता है। इन मूर्तियों में कारीगर रंग भरते हैं, जिसका अलग चार्ज चुकाते हैं। अब तो गणपति की प्रतिमाओं में सुंदर कपड़ों का इस्तेमाल होने लगा है। सुनील ने बताया कि पिछले साल से चलन बढ़ा है कि भक्त अपनी गणपति को सुंदर पोशाक से सुसज्जित करवा रहे हैं। डिजाइनर और आकर्षक काम करा रहे हैं। वे दिल्ली के किनारी बाजार और करोल बाग से कपड़ा लेकर आते हैं।