आप जानते हैं भगवान शिव के गले में विराजमान नाग का क्या है राज़?

punjabkesari.in Sunday, Dec 05, 2021 - 03:24 PM (IST)

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देवों के देव महादेव सभी देवताओं से निराले हैं। इनके अस्त्र शस्त्र से लेकर इनके वस्त्र और आभुषण भी सभी देवी-देवताओं से अलग है। शरीर पर बाघ की खाल धारण किए हुए महादेव गले में नाग का श्रृगांर करते हैं। तो क्या कभी किसी ने सोचा है इनके गले में नाग क्यों हैं। आगे हम इस वीडियो में आपको भोलेनाथ के गले में हमेशा नाग क्यों रहता है। वो नाग कौन हैं? और शंकर जी के गले में क्यों रहता है? दोस्तों आज हम आपको इस वीडियों में बताने जा रहें हैं कि भगवान शिव में के गले में हर समय नाग क्यों लिपटा रहता है। और वो उनके गले में कैसे आए।

दोस्तों इसके बारें में बहुत सारी कथाएं प्रचलित है। दरअसल जो नाग शिव शंकर के गले में रहते हैं वो और कोई नहीं नागों के राजा वासुकि है। जो हर समय भोलेनाथ के गले से लिपटे रहते हैं। एक कथा के अनुसार वासुकि भगवान शिव के परम भक्त थे। माना जाता है कि नाग जाति के लोगों ने ही सबसे पहले शिवलिंग की पूजा का प्रचलन शुरू किया था। वासुकि की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनसे वरदान मांगने के लिए कहा। तब नागराज ने उनके बाकि गणों की तरह ही उन्हें भी अपने गणों में शामिल करके उनकी सेवा करने का वरदान मांगा। तब से भगवान शंकर ने उन्हें अपने गले में धारण कर लिया।

ऐसा भी कहा जाता है। जब वासुदेव कान्हा को कंस की जेल से चुपचाप बचाकर गोकुल ला रहे थे। तब तेज बारिश और यमुना के तुफान से वासुकि नाग ने ही उनकी रक्षा की थी। ये ही नहीं समुद्र मंथन के दौरान वासुकि नाग को ही रस्सी के रूप में मेरू पर्वत के चारों और लपेटकर मंथन किया गया था, जिसके चलते उनका संपूर्ण शरीर लहूलुहान हो गया था। इसके बाद जब नीलकंठ भगवान को विष पीना पड़ा। तब वासुकि सहित अन्य नागों ने भी भगवान शिव की सहयता की और विष ग्रहण किया था। पुराणों के अनुसार वासुकी के सिर पर ही नागमणि है। और सभी तरह की मणियों पर सर्पराज वासुकि का ही अधिकार है। भगवान शंकर अपने सवारी नंदी की तरह की प्रेम करते हैं। और यही वजह है शिव और शिवलिंग को नाग के बिना अधूरा माना जाता है।
 


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Content Writer

Jyoti

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