Shravan 2020: भगवान शिव ने बताया, क्यों है सावन मास उन्हें इतना प्रिय
punjabkesari.in Saturday, Jul 11, 2020 - 09:14 AM (IST)
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Shravan 2020: सनातन धर्म में श्रावण (सावन) महीने का खास महत्व है, कुछ शिवभक्त सौर मास (श्रावण संक्रांति) से श्रावण मास (शिव पूजन) शुरू करेंगे और कुछ शिव भक्त चंद्र मास (श्रावण कृष्ण पक्ष) से। दोनों विधान उत्तम हैं। श्रावण संक्रांति 16 जुलाई को है, अधिकतर शिव भक्त चंद्र मास से शुरू करते हैं और चंद्र मास श्रावण कृष्ण पक्ष प्रतिपदा 6 जुलाई को थी। इस दिन से चंद्र मास शुरू हुआ था, श्रावण मास शुक्ल पक्ष का अंतिम दिन 3 अगस्त को होगा। विशेष बात यह है कि चंद्र मास के प्रथम और अंतिम दिन सोमवार पड़ रहा है। यह एक अच्छा संयोग है, चंद्र माह में इस बार 5 सोमवार होंगे।
कोरोना महामारी के चलते घर में ही पार्थिव शिवलिंग बनाकर पूजन करें और बाद में पार्थिव शिवलिंग जल प्रवाहित करें। पार्थिव शिवलिंग समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करता है।
भगवान शिव ने स्वयं अपने मुख से ब्रह्मा जी के मानस पुत्र सनतकुमार से कहा कि मुझे 12 महीनों में सावन विशेष प्रिय है। जब सनत कुमारों ने भगवान शिव से पूछा कि उन्हें सावन मास इतना प्रिय क्यों है तो शिव ने बताया कि देवी सती ने जब अपने पिता दक्ष के घर में योग शक्ति के रूप में शरीर त्याग किया था उससे पहले देवी सती ने महादेव को हर जन्म में पति रूप में पाने का प्रण किया था। अपने दूसरे जन्म में देवी सती ने पार्वती के नाम से हिमाचल और रानी मैना के घर जन्म लिया। पार्वती ने युवावस्था में एक माह निराहार रहकर कठोर व्रत किया और शिव को प्रसन्न कर उनसे विवाह किया, जिसके बाद से ही यह माह मुझे सभी मास में अत्यंत प्रिय हो गया। सावन का महीना ऐसा महीना है जिसमें छह ऋतुओं का समावेश होता है और शिवधाम पर इसका महत्व सबसे ज्यादा होता है।
इसके अलावा मान्यता यह भी है कि सावन चातुर्मास के दिनों में आता है जब जगत के पालनहार माने जाने वाले भगवान विष्णु चार माह के लिए विश्राम पर चले जाते हैं और उनके पीछे जगत के पालन संरक्षण का कार्य भगवान शिव और माता पार्वती संभालते हैं क्योंकि श्रावण का मास उन्हें विशेष प्रिय है। इसलिए इस माह की शिवरात्रि पर उनकी पूजा-अर्चना करना उन्हें जल्दी प्रसन्न करता है। श्रावण मास में सोमवार या पूरे मास विधिपूर्वक व्रत रखने पर गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद, फूल, शुद्ध वस्त्र, बिल्व पत्र, धूप, दीप, नैवेद्य, चंदन का लेप, ऋतुफल, आक, धतूरे के पुष्प, चावल आदि डालकर शिवलिंग को अर्पित किए जाते हैं।