मंदिर में क्यों होती है घंटी, याहां जानें इसका धार्मिक कारण
punjabkesari.in Sunday, Oct 04, 2020 - 04:42 PM (IST)
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
सनातन धर्म में पूजा पाठ का अधिक महत्व है, ऐसी मान्यता है जो व्यक्ति इन नियमों का पालन करते हुए देवी-देवताओं को प्रसन्न करने के प्रयास करता है। उस पर इनकी कृपा ज़रूर बरसती है। न केवल धार्मिक शास्त्रों में बल्कि वास्तु तथा ज्योतिष शास्त्र में भी बताया गया है कि हिंदू धर्म में पूजा पाठ के दौरान कुछ खास नियमों का पालन करना बेहद ज़रूरी होता है। तो वहीं धार्मिक शास्त्रों में मंदिर में पूजा पाठ करने के भी कई नियम आदि बताए गए हैं। इसमें प्रतिमा पूजन से लेकर घंटी तक के बारे में बताया गया है। आज हम आपको बताएंगे कि घंटी से जुड़ी जानकारी।
आप में से लगभग जो भी लोग मंदिर जाते होंगे, अक्सर देखते होंगे कि मंदिर के बाहर एक घंटों लगी होती है। मंदिर के अंदर प्रवेश करने से पहले से ह कोई इस बजाकर ही निकलता है। हालांकि मौजूदा समय की बात करें तो कोरोना के कारण मंदिरों आदि में कोरोना से बचाव के लिए कुछ गाइडलाइन्स फॉलो की जा रही है जिसके अनुसार इन्हें छूना वर्जित है।
मगर इसकी क्या महत्वता है, क्यों इसे मंदिरों के बाहर लगाया जाता है, इसके बजाते वक्त इससे निकलने वाली ध्वनि मानव पर क्या प्रभाव डालती है, आज हम इन सभी बातों के बारे में आपकों यहां बताने वाले हैं।
सबसे पहले तो आपको बता दें घंटी लगाने की ये परंपरा कोई आज से नहीं बल्कि प्राचीन समय से प्रचलन में है, जिसके अनुसार सनातन धर्म से जुड़े लगभग धार्मिक स्थलों पर इसे पाया जाता है। दरअसल इसे लगाने का एक कारण ये भी बताया जाता है कि घंटी को बजाने से मंदिर में विराजित देवी-देवताओं की प्रतिमाओं में चेतना जागृत हो जाती हैं, जिसके बाद की गई उनकी पूजा अधिक प्रभावशाली हो जाती है। इसके अलावा ये भी कहा जाता है कि घंटी की मनमोहकर एवं कर्णप्रिय ध्वनि जातक के मन-मस्तिष्क को अध्यात्म को ओर ले जाने की शक्ति रखती है। तो वहीं ये भी कहा जाता है कि मन घंटी की लय से जुड़कर शांति का अनुभव करता है।
यही कारण है कि तमाम मंदिरों में प्रातः व सायः काल दोनों ही समय आरती के दौरान एक लय में विशेष प्रकार की धुन के साथ घंटियां बजाईं जाती हैं, जिससे वहां मौज़ूद लोगों के मन शांति मिलती है तथा जातक अधिक अध्यात्मिकता का अनुभव करते हैं।
यहां जानें कितने प्रकार की होती हैं घंटियां-
जिस घंटों का हाथ में पकड़ बजाया जा सकता है, उसे ‘गरुड़ घंटी’ कहा जाता है।
द्वार पर लटकी हुई घंटी को है ‘द्वार घंटी’ कहा जाता हैं, शास्त्रों में कहा जाता है द्वार पर लगने वाली घंटी बड़ी भी हो सकती है और छोटी भी।
इसके अलावा एक पीतल की घंटी होती है, जो किसी ठोस प्लेट की तरह होती है। बताया जाता है इसे लकड़ी के एक से गद्दे से ठोककर बजाया जाता है, इसे हाथ घंटी कहा जाता है।
चौथे प्रकार का ‘घंटा’ का होता है जो आकार में बहुत बड़ा होता है, ये कम से कम 5 फुट लंबा और चौड़ा होता है। जिसे बजाने के बाद इसकी ध्वनि लगभग 1 कि.मी तक जाती है।
सबसे ज्यादा पढ़े गए
Recommended News
Recommended News
मैड़ी मेले में आए अमृतसर के श्रद्धालु की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत, पुलिस जांच में जुटी
पेट की जिद्दी चर्बी हो जाएगी गायब, रोज पिएं ये 5 Drinks
Jatoli Shiv Temple in Solan, Himachal Pradesh: एशिया के सबसे ऊंचे जटोली शिव मंदिर में है स्फटिक मणि शिवलिंग
शिकारी माता मंदिर जा रहे 6 लोग के साथ हादसा, मंडी-जंजैहली सड़क मार्ग पर खाई में गिरी कार