आपके घर में भी है शिवलिंग, शिव कृपा के लिए रखें इन बातों का ध्यान
punjabkesari.in Monday, Apr 29, 2024 - 03:29 PM (IST)

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Do not offer these things on Shivling: यदि आपने महादेव शिव के प्रतीक शिवलिंग को घर में स्थापित किया है तो आपको भी कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना होगा। यदि भगवान शिव भोले हैं तो उनका क्रोध भी बहुत भयंकर होता है। इसी कारण उन्हें त्रिदेवो में संहारकर्ता की उपाधि प्राप्त हुई है। शिवलिंग की पूजा यदि सही नियम और विधि-विधान से करी जाए तो यह अत्यन्त फलदायी होती है, परन्तु वहीं यदि शिवलिंग पूजा में कोई त्रुटि हो जाए तो ये गलती किसी मनुष्य के लिए विनाशकारी भी सिद्ध हो सकती है। आज हम आपको उन त्रुटियों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनको अपना के आप भगवान शिव के प्रकोप से बचकर उनकी विशेष कृपा और आशीर्वाद अपने ऊपर पा सकते है।
ऐसा स्थान जहां पूजा न हो रही हो :- शिवलिंग को कभी भी ऐसे स्थान पर स्थापित नहीं करना चाहिए। जहां आप उनकी पूजा न कर रहे हों। हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यदि आप शिवलिंग की पूजा पूरी विधि-विधान से न कर पा रहे हो या ऐसा करने में असमर्थ हो तो भूल से भी शिवलिंग को घर पर न रखें। यदि कोई व्यक्ति घर पर भगवान शिव का शिवलिंग स्थापित कर उसकी विधि-विधान से पूजा नहीं करता तो यह महादेव शिव का अपमान होता है। इस प्रकार वह व्यक्ति किसी अनर्थकारी चीज़ को आमंत्रित करता है।
भूल से भी न करें केतकी का फूल शिवलिंग पर अर्पित :- पुराणों में केतकी के फूल को शिवलिंग पर न चढ़ाने के पीछे एक कथा छिपी है, इस कथा के अनुसार जब एक बार ब्रह्मा जी और विष्णु जी माया से प्रभावित होकर अपने आपको एक-दूसरे से सर्वश्रेष्ठ बताने लगे। तब महादेव उनके सामने एक तेज प्रकाश के साथ ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए। ज्योतिर्लिंग के रूप में भगवान शिव ने ब्र्ह्मा और विष्णु से कहा की आप दोनों में जो भी मेरे इस रूप के छोर को पहले पा जायेगा वह सर्वशक्तिमान होगा। भगवान विष्णु शिव के ज्योतिर्लिंग के ऊपरी छोर की ओर गए तथा ब्रह्मा जी नीचे के छोर की ओर गए। कुछ दूर चलते-चलते भी जब दोनों थक गए तो भगवान विष्णु ने शिव के सामने अपनी पराजय स्वीकार ली परन्तु ब्रह्मा जी ने अपने पराजय को छुपाने के लिए एक योजना बनाई। उन्होंने केतकी के पुष्पों को साक्षी बनाकर शिव से कहा की उन्होंने शिव का अंतिम छोर पा लिया है। ब्रह्मा जी के इस झूठ के कारण शिव ने क्रोध में आकर उनके एक सर को काट दिया तथा केतकी के पुष्प पर भी पूजा- अर्चना में प्रतिबंध लगा दिया।
तुलसी पर प्रतिबंध :- शिव पुराण की एक कथा के अनुसार जालंधर नामक एक दैत्य को यह वरदान था की उसे युद्ध में तब तक कोई नहीं हरा सकता, जब तक उसकी पत्नी वृंदा पतिव्रता रहेगी। उस दैत्य के अत्याचारों से इस सृष्टि को मुक्ति दिलाने के लिए भगवान विष्णु ने वृंदा का पतिव्रता होने का संकल्प भंग किया तथा महादेव ने जलंधर का वध कर दिया। इसके बाद वृंदा तुलसी में परिवर्तित हो चुकी थी तथा उसने अपनी डाली की पत्तियों का महादेव की पूजा में प्रयोग होने पर प्रतिबंध लगा दिया। यही कारण है की शिवलिंग की पूजा में कभी भी तुलसी की पत्तियों का प्रयोग नहीं किया जाता।
हल्दी पर रोक :- हल्दी का प्रयोग स्त्रियां अपनी सुंदरता निखारने के लिए करती हैं तथा शिवलिंग महादेव शिव का प्रतीक हैं। अतः हल्दी का प्रयोग शिवलिंग की पूजा करते समय नहीं करना चाहिए।
कुमकुम का उपयोग :- हिन्दू मान्यताओं के अनुसार कुमकुम का प्रयोग एक हिन्दू महिला अपने पति के लम्बी आयु के लिए करती हैं। जबकि भगवान शिव विध्वंसक की भूमिका निभाते हैं तथा संहारकर्ता शिव की पूजा में कभी भी कुमकुम का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
शिवलिंग का स्थान बदलते समय :- शिवलिंग का स्थान बदलते समय उनके चरणों को सपर्श करें तथा एक बर्तन में गंगाजल का पानी भरकर उसमें शिवलिंग को रखें और यदि शिवलिंग पत्थर का बना हुआ हो तो उसका गंगा जल से अभिषेक करें।
शिवलिंग पर कभी भी पैकेट का दूध न चढ़ाएं :- शिवलिंग की पूजा करते समय हमेशा ध्यान रहे की उन पर पाश्चराइज्ड दूध न चढ़ाएं, शिव को चढ़ने वाला दूध ठंडा और साफ़ होना चाहिए।
आचार्य पंडित सुधांशु तिवारी
प्रश्न कुण्डली विशेषज्ञ/ ज्योतिषाचार्य
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