अनंत चतुर्दशी का रामलीला से क्या है Connection?

punjabkesari.in Thursday, Jan 30, 2020 - 03:24 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
रामलीला, येे उत्तर भारत में परम्परागत रूप से खेला जाने वाला नाटक है जो हिंदू धर्म के आराध्य श्री राम के चरित पर आधारित है। लोक मान्यताओं के अनुसार यह प्रायः विजयादशमी के अवसर पर खेला जाता है। तो वहीं कई किंवदंतियों के अनुसार त्रेता युग में श्री रामचंद्र के वनगमन उपरांत अयोध्या वासियों ने चौदह वर्ष की वियोग अवधि श्री राम की बाल लीलाओं का अभिनय कर बिताई थी। जिसके बाद से रामलीला की इस परंपरा का प्रचलन हुआ। इसके अलावा एक जनश्रुति यह भी है कि इसके आदि प्रवर्तक मेघा भगत थे जो काशी के कतुआपुर महल्ले में स्थित फुटहे हनुमान के निकट के निवासी माने जाते हैं। जिन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचंद्र जी ने स्वप्न में दर्शन देकर लीला करने का आदेश दिया ताकि भक्त जनों को भगवान के चाक्षुष दर्शन हो सकें। 
PunjabKesari, अनंत चतुर्दशी, रामलीला, रावण, Ravan, Ravana, Anant Chaturdashi, Ramleela, Ramlila, Sri Ram, श्री राम, Dharmik Katha in hindi, Dant kathan in india, Religious Storyअब ये तो हुई वो जानकारी जिससे लगभग सभी लोग अवगत हैं। मगर क्या इसका कुछ इतिहास रामायण के एक प्रमुख पात्रों से जुड़ा हुआ है। जी हां, कुछ मान्यताओं के अनुसार रामलीला का संबंध श्री राम के पत्नी का अपहरण करने वाले रावण से जुड़ा हुआ है। अगर आप इस जानकारी से अब तक अंजान है तो चलिए हम आपको बताते हैं कि इससे जुड़ी रोचक जानकारी। 

हिंदू धर्म से संबंध रखने वाले लोग इतना तो जान ही चुके होंगे कि अनंत चतुर्दशी पर भगवान विष्णु के अनंत रूप को पूजा जाता है और गणपति का विसर्जन किया जाता है। मगर बहुत कम लोग जानते होंगे कि इसी दिन रावण का भी जन्म हुआ था। इसके साथ ही ये भी कहा जाता है कि रावण के जन्म के साथ ही काशी (वाराणसी) के रामनगर में विश्व प्रसिद्ध रामलीला की शुरुआत हो जाती है, जो पूरे एक महीने तक चलता है।
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बताया जाता है यहां रामलीला की खास तैयारी गणेश चतुर्थी के दिन ही शुरू हो जाती है। रामलीला का ये आयोजन आश्विन महीने की शुक्ल पूर्णिमा को खत्म होता है। रामलीला का आयोजन सफलता पूर्वक हो इसके लिए यहां सारे कलाकार मिलकर गणेश पूजा भी करते हैं। रामनगर की अनूठी रामलीला को देखने के लिए देश-विदेश से लोग आते हैं। स्थानीय लोग हाथ में पीढ़ा और पढ़ने के लिए रामचरितमानस लेकर रामलीला देखने जाते हैं। बताया जाता है कि रामनगर में रामलीला की शुरुआत साल 1783 में हुई थी। जिसका आयोजन काशी नरेश उदित नारायण सिंह ने किया था।
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Jyoti

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