महाशिवरात्रि पर जाएं मंदिर, भोलेनाथ स्वयं देते हैं दर्शन

punjabkesari.in Wednesday, Feb 22, 2017 - 11:43 AM (IST)

हमारे शास्त्रों में शिवरात्रि सर्वधर्ममयी है। फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को श्री महाशिवरात्रि व्रत किया जाता है, इस बार यह व्रत 24 फरवरी को है। इसी रात्रि को भगवान शिव आदि देव महादेव कोटि सूर्य के समान दीप्ति सम्पन्न होकर शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए थे और भक्तों ने महानिशा व्यापिनी चतुर्दशी को ही भगवान शिव का विधिवत पूजन करके अपनी मनोकामनाओं को पूर्ण किया। शास्त्रों के अनुसार इस रात्रि को ही भगवान शिव सम्पूर्ण शिवलिंगों में विशेष रूप से भ्रमण करते हैं। भगवान शिव भोले भंडारी ‘मंगलकारी एवं अमंगलहारी’ हैं इनका नाम शिव कल्याण वाची है, कल्याण शब्द मुक्ति वाचक है और मुक्ति भगवान शिव से ही प्राप्त होती है, ‘शि’ का अर्थ है पापों का नाश करने वाला और ‘व ’ का तात्पर्य है मुक्ति देने वाला। भगवान शिव में दोनों गुण हैं इसलिए इनका नाम शिव पड़ा। 

 

भगवान शिव इतने भोले एवं कृपालु हैं कि अपने भक्त की थोड़ी-सी पूजा, सेवा और स्तुति से ही प्रसन्न हो जाते हैं और अनायास ही किए गए पूजन से भी रीझकर जीव को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष तक प्रदान कर देते हैं। स्वयं भगवान शिव इतने विरक्त हैं कि संसार की सभी दृश्यमान वस्तुओं को तुच्छ समझते हैं, इसी स्वभाव के कारण उन्होंने सागर मंथन के समय निकले विष को भी झट से ग्रहण कर लिया था। भगवान शिव अभिषेक एवं पूजा करने से बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और जीव पर कृपा करते हैं।

प्रस्तुति: वीना जोशी, जालंधर
veenajoshi23@gmail.com

 


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