क्या आपने सुना है भगवान विष्णु का ये जादुई मंत्र
punjabkesari.in Sunday, Jan 20, 2019 - 02:43 PM (IST)
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कहा जाता है कि व्यक्ति के मुख से निकला एक-एक शब्द बहुत महत्वपूर्ण होता है। अक्सर आप ने लोगों को कहते सुना होगा कि सब शब्दों का खेल है, मुंह से निकले शब्द किसी को बहुत खुशी दे सकते हैं तो वहीं यहीं शब्द किसी इंसान को दुख भी पहुंचा सकते हैं। लेकिन हिंदू धर्म के शास्त्रों में ऐसे कई शब्द हैं जिनका उच्चारण करना बहुत लाभकारी माना जाता है। जिन्हें हम आम भाषा में मंत्र कहते हैं। कहा जाता है कि इन मंत्रों का ठीक से उच्चारण करना बहुत ज़रूरी होता है अगर ऐसा न हो इन मंत्रों यानि शब्दों के मेल की पवित्रता कम हो जाती है और इससे शुभ की जगह अशुभ फल प्राप्त होते हैं। इसी बात से जुड़ा एक ऐसा पौराणिक प्रसंग जिसमें बताया गया है मंत्र उच्चारण कैसा होना चाहिए। साथ ही इसमें इस बात पर रोशनी डाली गई है कि कैसे कुछ मंत्र ही मनुष्य के जीवन में बड़े से बड़ा चमत्कार कर सकते हैं।
आइए महाभारत के एक प्रसंग से जानतें विष्णु भगवान के किस मंत्र का जाप करना पावन स्त्रोतों के समान माना जाता है-
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार महाभारत के अनुशासन पर्व में भगवान विष्णु के एक हज़ार नामों का वर्णन मिलता है, जिस सहस्रनाम भी कहा जाता है।
कुछ कथाओं के अनुसार जब भीष्म पितामह बाणों की शय्या पर थे उस समय युधिष्ठिर ने उनसे पूछा था कि, “ऐसा है कौन, जो सर्व व्याप्त भी है और सर्व शक्तिमान भी?”
तब भीण्म पितामह ने उसे भगवान विष्णु के एक हजार नाम बताए थे और उन्हें बताया था कि भगवान विष्णु सर्व व्याप्त भी है और सर्व शक्तिमान भी। कहा जाता है कि जिस स्त्रोत के द्वारा उन्होंने नारायण के 1 हज़ार नामों का वर्णन किया था, जो पढ़ने में थोड़ा कठिन माना जाता है। जिस वजह से बहुत लोग इसका पाठ करने में असमर्थ पाए जाते हैं।
लेकिन अगर आप भी आसानी से इस कठिन स्त्रोत का लाभ पाना चाहते हैं तो आपको एक आसान से मंत्र का जाप करना होगा।
जी हां, केवल एक मंत्र आपको विष्णु जी के 1000 नामों के जाप का फल दे सकता है। लेकिन ध्यान रहे कि इस मंत्र का जाप करते समय आपको बहुत सावधानी रखनी होगी क्योंकि कहा जाता है कि इसके जप में हुई ज़रा सी भी भूल आदमी को बहुत बड़ी मुसीबत में डाल सकती है।
ये है वो जादुई सा मंत्र-
“नमो स्तवन अनंताय सहस्त्र मूर्तये, सहस्त्रपादाक्षि शिरोरु बाहवे
सहस्त्र नाम्ने पुरुषाय शाश्वते, सहस्त्रकोटि युग धारिणे नम:”
ध्यान रहे कि इस मंत्र का जाप करते समय आपके मन में किसी प्रकार बुरा ख्याल न आए। साथ ही ये भी ध्यान रहे कि जिस भी स्थान पर बैठकर मंत्र जाप करें वो स्वच्छ हो।
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