Hello Hi छोड़िए, आयु और यश बढ़ाता है अभिवादन का ये तरीका

punjabkesari.in Monday, May 30, 2022 - 12:06 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविन:।
चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्या यशो बलम्॥
विधि-उत्तानाम्यां हस्ताभ्यां दक्षिणेन दक्षिणं
सव्यं सव्येन पादावभिवादयेत्। (पैठीनसि) 

अभिवादन (प्रणाम) करने वाले तथा नित्य वृद्ध पुरुषों की सेवा करने वाले पुरुष की आयु, विद्या, र्कीत और शक्ति इन चारों की वृद्धि होती है। अपने दोनों हाथों को ऊपर की ओर सीधा रखते हुए दाहिने हाथ से दाहिने पैर का और बाएं हाथ से बाएं पैर का स्पर्श करते हुए अभिवादन करें। वृद्ध पुरुषों को नित्य प्रणाम करने से वे प्रसन्न होकर अपने दीर्घकालीन जीवन में प्राप्त ज्ञान का दान प्राणाम करने वाले को देते हैं, जिसका सदुपयोग करके मनुष्य दीर्घायु, यश और बल प्राप्त कर लेता है। इसीलिए वृद्धों के अभिवादन का फल विद्या, आयु, यश और बल की वृद्धि बताया गया है। 

PunjabKesari Vinamra abhivadan

मनुष्य के शरीर में रहने वाली विद्युत-शक्ति पृथ्वी के आकर्षण द्वारा आकृष्ट होकर पैरों से निकलती रहती है, दाहिने हाथ से दाहिने पैर और बाएं हाथ से बाएं पैर का स्पर्श करने पर वृद्ध पुरुष के शरीर की विद्युत शक्ति का प्रवेश प्रणाम करने वाले पुरुष के शरीर में सुगमता से हो जाता है।

PunjabKesari Vinamra abhivadan

उस विद्युत शक्ति के साथ वृद्ध पुरुष के ज्ञान आदि सद्गुणों का भी प्रवेश हो जाता है। श्रद्धा रूप सात्विक सहयोगी के कारण सात्विक ज्ञान आदि सदगुणों का ही प्रवेश होता है। क्रोध आदि दुर्गुणों का नहीं। इस प्रकार ज्ञानदान द्वारा प्रत्यक्ष रूप में और विद्युत शक्ति प्रवेश द्वारा अप्रत्यक्ष रूप में उनके गुणों की प्राप्ति प्रणाम करने वाले व्यक्ति को होती है। विद्युत शक्ति मुख्य रूप से पैरों द्वारा निकलती है, इसलिए पैर ही छुए जाते हैं सिर आदि नहीं। 

PunjabKesari Vinamra abhivadan

हाथ जोड़ कर सिर झुकाना : जब वृद्ध पुरुष समीप होते हैं, तब उक्त रीति से पैर छूते हैं और जब वे कुछ दूर होते हैं तब हाथ जोड़कर सिर झुकाते हैं। इसका तात्पर्य यह होता है कि हमारी क्रियाशक्ति और ज्ञानशक्ति आपके अधीन है आप जो आज्ञा देंगे उसे सिर (बुद्धि) से स्वीकार करेंगे और हाथों से करेंगे। 

अन्य सभी जीवों में चलना, फिरना, खाना-पीना, तैरना आदि जीवनोपयोगी चेष्टाएं प्राय: बिना शिक्षा के ही प्राकृत नियमानुसार स्वत: प्राप्त हो जाती हैं, किन्तु मनुष्य को इनकी भी शिक्षा द्वारा ही प्राप्ति होती है।

PunjabKesari Vinamra abhivadan

इस दृष्टि से देखा जाए तो मनुष्य अन्य सभी प्राणियों से गया-बीता प्राणी सिद्ध होता है। इसका एकमात्र कारण यह है कि मनुष्य को जैसा ज्ञान मिला है वैसा अन्य किसी भी प्राणी को नहीं मिला। इस विशेष ज्ञान के बल से ही यह लघुकाय मानव विशालकाय हाथी जैसे-प्राणियों को इस लोक में अपने वश में रखता है। ज्ञान-ध्यान द्वारा भगवान को प्राप्त कर परलोक में सुख भोगता है एवं कर्म करने के लिए जैसे दो हाथ मनुष्य को मिले हैं, वैसे किसी प्राणी को नहीं मिले। यद्यपि बंदर, गिलहरी आदि प्राणियों के भी दो हाथ होते हैं, तथापि वे उनसे चलने का काम भी लेते हैं। इस कर्म स्वातंत्र्य के प्रतीक दोनों हाथों को बांधकर तथा ज्ञान विशेष के प्रतीक सिर को झुकाकर वृद्ध महापुरुषों को प्रणाम करने का तात्पर्य यह है कि हम अपने कर्म स्वातंत्र्य को रोक कर आपके सामने सिर झुकाते हैं अर्थात हम अपने ज्ञान के अनुसार कुछ भी न करके आपकी आज्ञानुसार कर्म करेंगे। 

जो व्यक्ति प्रणाम करते समय हाथ नहीं जोड़ते, सिर नहीं झुकाते इतना ही नहीं नम्र वाणी से नहीं किन्तु कठोर वाणी से ‘महाराज प्रणाम’ ऐसे शब्द मात्र बोल कर प्रणाम करते हैं वे वस्तुत: प्रणाम शब्द के अर्थ को भी नहीं जानते। वंदनीय वृद्ध महापुरुषों के अतिरिक्त अब अन्य व्यक्तियों से मिलते हैं जो परस्पर ‘जय राम जी’ की कहते हैं। इसका तात्पर्य यह है कि मनुष्य जीवन का परम लक्ष्य भगवत्प्राप्ति ही है। इस सत्य का एक-दूसरे को स्मरण कराते रहना चाहिए। इसी प्रकार कृष्ण भक्त ‘जय श्री कृष्ण’ कहते हैं। संन्यासियों के प्रति गृहस्थ मनुष्य ॐ नमो नारायणाय’ कह कर अभिवादन करते हैं और संन्यासी महात्मा जय नारायण कहते हैं। यहां भी परस्पर में एक-दूसरे को नारायण रूप में देखना चाहिए। 

PunjabKesari Vinamra abhivadan

मातृ वंदना : संसार में जितने वंदनीय गुरुजन हैं उन सबकी अपेक्षा माता परम गुरु होने के कारण विशेष वंदनीय है। शास्त्र ने तो यहां तक कहा है कि माता का गौरव पिता से हजार गुणा अधिक है। सारे संसार द्वारा वंदनीय संन्यासी को भी माता की वंदना प्रयत्नपूर्वक करनी चाहिए। माता को इतना अधिक गौरव देने का कारण यह है कि संतान को गर्भ में धारण करने तथा पालन करने में माता को बहुत कष्ट उठाना पड़ता है। और सभी जानते हैं कि माता संतान के लिए कितना अधिक कष्ट सहती है।

PunjabKesari Vinamra abhivadan

 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Niyati Bhandari

Related News