विभीषण का इकलौता अनोखा मंदिर, जहां होली पर होता है हिरण्यकश्यप का दहन

punjabkesari.in Monday, Jan 09, 2023 - 11:16 AM (IST)

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History of Vibhishana Temple: घर का भेदी लंका ढाए ये कहावत तो अपने जरूर सुनी होगी। ये कहावत रावण के छोटे भाई विभीषण के लिए ही कही गई है जिन्होंने श्री राम का साथ देकर धर्म का मार्ग अपनाया था। उनका एकमात्र मंदिर राजस्थान के कोटा जिले में है। कोटा से 16 किलोमीटर दूर कैथून कस्बे में उनका एक बड़ा मंदिर है।

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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मंदिर 5000 साल पुराना है। मंदिर से एक पौराणिक कहानी जुड़ी है। कहा जाता है कि भगवान श्री राम के राज्याभिषेक के समय शिव जी ने मृत्युलोक की सैर करने की इच्छा प्रकट की, जिसके बाद विभीषण ने कांवड़ पर बिठाकर भगवान शंकर और हनुमान को सैर कराने की ठानी।

Shiv ji kept the condition शिव जी ने रखी शर्त
शिव जी ने शर्त रख दी कि जहां भी उनका कांवड़ जमीन को छुएगा, यात्रा वहीं खत्म हो जाएगी। विभीषण शिव जी और हनुमान जी को लेकर यात्रा पर निकले। कुछ स्थानों के भ्रमण के बाद विभीषण का पैर कैथून कस्बे में धरती पर पड़ गया और यात्रा खत्म हो गई।

कांवड़ का अगला सिरा करीब 12 किलोमीटर आगे चौरचौमा में और दूसरा हिस्सा कोटा के रंगबाड़ी इलाके में पड़ा। रंगबाड़ी में हनुमान जी और चौरचौमा में शिव जी का मंदिर स्थापित किया गया और जहां विभीषण का पैर पड़ा, वहां उनका मंदिर बना।

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The statue sinks every year हर साल धंसती है प्रतिमा
मंदिर में लगी विभीषण की प्रतिमा आकर्षण का केंद्र है। मंदिर में स्थापित प्रतिमा का केवल धड़ से ऊपर का भाग ही दिखता है। माना जाता है कि यह प्रतिमा हर साल जौ के दौने के बराबर जमीन में धंसती है।

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Hiranyakashyap is burnt हिरण्यकश्यप का होता है दहन
होली के अवसर पर कैथून में विभीषण मेला लगता है। सात दिवसीय इस मेले में दूर-दूर से लोग आते हैं। खास बात है कि देश भर में यहां सिर्फ हिरण्यकश्यप का पुतला दहन किया जाता है जो प्रहलाद को मारना चाहता था। भगवान विष्णु ने हिरण्यकश्यप का वध करके भक्त प्रहलाद की रक्षा की थी इसलिए यहां होलिका दहन के दूसरे दिन हिरण्यकश्यप के पुतले का दहन किया जाता है।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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