वट सावित्री व्रत की पूजा में क्यों चढ़ाए जाते हैं भीगे चने ?

punjabkesari.in Thursday, May 30, 2019 - 12:54 PM (IST)

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हिंदू धर्म एक ऐसा धर्म है जिसके अनुसार प्रत्येक दिन कोई न कोई त्यौहार मनाया जाता है। इन्हीं में से एक है। मान्यताओं के अनुसार ये व्रत खासतौर पर महिलाओं के लिए होता है, जिससे वो अखंड सुहाग की कामना करती हैं। ज्योतिष के अनुसार ज्येष्ठ मास की अमावस्या को वट सावित्री व्रत रखकर महिलाएं बरगद के वृक्ष की पूजा कर देवी सावित्री के त्याग, पति प्रेम और पति व्रत धर्म का स्मरण करती हैं। यही कारण है इस व्रत में वट वृक्ष का बहुत महत्त्व होता है।
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माना जाता है यह व्रत स्त्रियों के लिए सौभाग्यवर्धक, पापहारक,  दुःखप्रणाशक और धन-धान्य प्रदान करने वाला होता है। इस पेड़ में बहुत सारी शाखाएं नीचे की तरफ़ लटकी हुई होती हैं, जिन्हें देवी सावित्री का रूप माना जाता है।

वट वृक्ष में होता है इन देवताओं का वास
कहा जाता है वट वृक्ष की जड़ों में ब्रह्मा, तने में भगवान विष्णु और डालियों में त्रिनेत्रधारी शिव का निवास होता है। इसलिए इस वृक्ष की पूजा से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। अग्नि पुराण में बरगद उत्सर्जन को दर्शाता है, अतः संतान प्राप्ति के लिए इच्छुक महिलाएं भी इस व्रत को करती हैं।
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पूजा में ज़रूर चढ़ाएं भीगे चने
वैसे तो ज्योतिष शास्त्र में इस व्रत की खास विधि आदि वर्णित की गई है। लेकिन इसके अलावा भी वट सावित्री के पूजन में एक चीज़ करना बहुत आवश्यक है। बताया जाता है कि इस व्रत की पूजा में भीगे हुए चने अर्पण करने का बहुत महत्व है, क्योंकि पौराणिक कथाओं के अनुसार यमराज ने चने के रूप में ही सत्यवान के प्राण सावित्री को दिए थे। सावित्री चने को लेकर सत्यवान के शव के पास आईं और चने को सत्यवान के मुख में रख दिया, इससे सत्यवान पुनः जीवित हो गए।
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Jyoti

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