Vat Purnima Vrat: जीवनसाथी का साथ और मनचाहा प्यार देते हैं ये उपाय
punjabkesari.in Wednesday, Jun 19, 2024 - 09:23 AM (IST)
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Vat Purnima Vrat 2024: वट पूर्णिमा व्रत जिसको "वट सावित्री व्रत" के नाम से भी सम्बोधित किया जाता है। इस दिन विवाहित और अविवाहित महिलाओं के द्वारा व्रत रखा जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार माना जाता है कि इस दिन सावित्री ने अपने पति के प्राणों की रक्षा करते हुए यमराज से उनके प्राण वापिस लेकर आईं थी। इसी कारण विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु की कामना हेतु और घर-परिवार की सुख-समृद्धि के लिए इस व्रत को रखती हैं। कुंवारी लड़कियां मनचाहा जीवनसाथी पाने की इच्छा से इस व्रत का पालन करती हैं। पौराणिक कथाओं जैसे स्कंद पुराण तथा भविष्योत्तर पुराण के अनुसार वर्ष की ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को 'वट सावित्री व्रत' रखा जाता है।
ज्येष्ठ पूर्णिमा तिथि का मुहूर्त
21 जून 2024 को 07:33:35 से पूर्णिमा आरम्भ
22 जून 2024 को 06:39 समाप्त
ज्येष्ठ माह में आने वाली पूर्णिमा का हिन्दू धर्म में बड़ा ही महत्व है। धार्मिक दृष्टिकोण से पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान और दान-धर्म करने का विधान है। इस दिन गंगा में स्नान करने से व्यक्ति की धन, सुख, समृद्धि आदि की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। व्यक्ति के सभी पापों का नाश हो जाता है। इस दिन अपनी इच्छा के अनुसार जरूरतमंदों को दान-दक्षिणा देने से पितरों का भी भला होता है और उन्हें मुक्ति की प्राप्ति होती है। इस दिन ख़ास तौर पर महिलाओं को व्रत करने की सलाह दी जाती है। इस दिन विशेष रूप से त्रिलोकी नाथ भगवान शंकर व पालनहार भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करनी चाहिए।
ज्येष्ठ पूर्णिमा का दिन सभी के लिए महत्वपूर्ण होता है। जिन युवक और युवतियों के विवाह में विलम्ब हो रहा है या बात बनती-बनती रुक जाती है या फिर उसमें किसी प्रकार की कोई बाधा आ रही है। ऐसे जातक यदि आज के दिन श्वेत वस्त्र धारण करके शिवाभिषेक करने के बाद भगवान शिव की पूजा करें तो उनके विवाह में आने वाली हर समस्या दूर हो जाती है।
इस दिन पति-पत्नी दोनों मिल कर चन्द्र देव को दूध से अर्घ्य दें, लव लाइफ में मनचाही खुशी प्राप्त कर सकेंगे।
भाग्य साथ न दे रहा हो तो रात को कुंए में एक चम्मच दूध डालें। ऐसा करने से भाग्य के दोषों को दूर किया जा सकता है।
जन्म कुंडली में कोई ग्रह दोष है तो उसे दूर करने के लिए आज पीपल और नीम की त्रिवेणी के नीचे विष्णु सहस्त्रनाम या शिवाष्टक का पाठ करना सबसे बेहतर होगा। विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ घर पर करने से विशेष लाभ प्राप्त किये जा सकते हैं।
आचार्य लोकेश धमीजा
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