अगर एेसे नहीं करेंगे घर में प्रवेश तो मची रहेगी आशांति
punjabkesari.in Wednesday, May 23, 2018 - 04:33 PM (IST)

ये नहीं देखा तो क्या देखा
वास्तु मनुष्य के जीवन में बहुत महत्व रखता है। यह प्रत्येक व्यक्ति के जीवन पर प्रभाव डालता है। असल में वास्तु घर आदि के निर्माण करने का प्राचीन भारतीय विज्ञान है। अक्सर कुछ घरों में ये देखा जाता है कि उनके यहां अधिक क्लेश रहता है या फिर हर रोज़ कोई न कोई नुकसान होता रहता है। किसी भी कार्य को आगे बढ़ाने में कठिनाइयां आना, घर में नकारात्मकता महसूस होना आदि इन परिस्थितियों का कारण वास्तु भी हो सकता है। घर में मौजूद इन्हीं वास्तु दोषों को दूर करने के लिए जो पूजा की जाती है उसे वास्तु शांति पूजा कहते हैं।
गृह प्रवेश वैशाख माह में करने वाले को धन-धान्य की कोई कमी नहीं रहती है। जो व्यक्ति पशु एवं पुत्र सुख चाहता हो, ऐसे व्यक्ति को अपने नए मकान में ज्येष्ठ माह में प्रवेश करना चाहिए। बाकी के महीने वास्तु पूजन व गृह प्रवेश में साधारण फल देने वाले होते हैं। घर चाहे अपना हो या फिर किराए का किंतु गृह प्रवेश होना ही चाहिए। वरना आगे चलकर बहुत सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। बिना पूजा करांए या हवन करवांए घर में प्रवेश करने से वास्तु दोष होता है, इसी को दूर करने के लिए पूजा की जाती है। एेसा करने से सब प्रकार की नकारात्मक शक्तियां दूर हो जाती है।
मान्यताओं के अनुसार माघ, फाल्गुन, वैशाख, ज्येष्ठ माह को गृह प्रवेश के लिए सबसे सही समय बताया गया है। जो फाल्गुन मास में वास्तु पूजन करता है, उसे पुत्र, प्रौत्र और धन प्राप्ति होती है।
इस दौरान न करें गृहप्रवेश
आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, आश्विन, पौष ये सब गृह प्रवेश के लिए शुभ नहीं माने गए हैं। धनु मीन के सूर्य यानी के मलमास में भी नए मकान में प्रवेश नहीं करना चाहिए। मंगलवार के दिन भी गृह प्रवेश नहीं किया जाता विशेष परिस्थितियों में रविवार और शनिवार के दिन भी गृह प्रवेश वर्जित माना गाया है। सप्ताह के बाकी दिनों में से किसी भी दिन गृह प्रवेश किया जा सकता है। विधिपूर्वक मंत्रोच्चारण करके ही गृह प्रवेश करना चाहिए।
इस हिसाब से करना चाहिए गृह प्रवेश-
गृह प्रवेश से पहले वास्तु शांति कराना शुभ होता है। इसके लिए शुभ नक्षत्र, वार एवं तिथि इस प्रकार हैं....
शुभ वार- सोमवार, बुधवार, गुरुवार, व शुक्रवार।
शुभ तिथि- शुक्लपक्ष की द्वितीया, तृतीया, पंचमी, सप्तमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी एवं त्रयोदशी।
शुभ नक्षत्र- अश्विनी, पुनर्वसु, पुष्य, हस्त, उत्तरफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तराभाद्रपद, रोहिणी, रेवती, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, स्वाति, अनुराधा एवं मघा।
अन्य विचार- चंद्रबल, लग्न शुद्धि एवं भद्रादि का विचार कर लेना चाहिए।
गृहशांति पूजन न करवाने से इन हानि की होती है आशंका-
जिस घर में प्रवेश करने से पहले पूजा न कराई जाए उस घर में सदैव कलह-क्लेश रहते है और घर के सदस्यों में मन-मुटाव बढ़ता है।
ग्रह प्रवेश न होने पर घर के लोगों की सेहत पर भी बुरा असर पड़ता है। जिसके कारण हमेशा कोई न कोई बीमारी से ग्रसित रहता है।
जिस घर में ये दोष पैदा होते हैं, उस घर में कभी बरकत नहीं रहती, इसके विपरीत अधिक खर्च रहने लगता है।
बिना पूजन करांए व ब्राह्मण भोजन करवाएं घर में प्रवेश करना वर्जित माना गया है, ऐसे गृह में कभी भी प्रवेश नहीं करना चाहिए।
ऐसे होंठ वाले होतें हैं CHARACTERLESS