Vastu Tips: नया फ्लैट खरीदने जा रहे हैं तो ये वास्तु टिप्स भूलकर भी न करें नजरअंदाज

punjabkesari.in Sunday, Oct 12, 2025 - 06:00 AM (IST)

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Vastu Tips: नया घर खरीदना जीवन के सबसे बड़े और सबसे रोमांचक फैसलों में से एक होता है। आप केवल ईंट-पत्थर नहीं खरीद रहे हैं बल्कि अपने परिवार के लिए सुख, शांति और समृद्धि का प्रवेश द्वार खोल रहे हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपके घर की दिशाएं और बनावट ही यह तय करती हैं कि उसमें लक्ष्मी जी का वास होगा या नहीं ? यही कारण है कि वास्तु शास्त्र की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण हो जाती है। यह सिर्फ नियम नहीं हैं बल्कि सकारात्मक ऊर्जा को आमंत्रित करने और जीवन के हर क्षेत्र में संतुलन लाने का विज्ञान है। आइए, जानते हैं उन अचूक वास्तु टिप्स के बारे में, जिनका ध्यान रखकर आप सुनिश्चित कर सकते हैं कि आपके नए फ्लैट में हमेशा खुशहाली और उन्नति बनी रहे। 

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फ्लैट का मुख्य प्रवेश द्वार 
मुख्य द्वार वह जगह है जहां से ऊर्जा घर में प्रवेश करती है इसलिए यह सबसे महत्वपूर्ण होता है।

फ्लैट का मुख्य द्वार उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व में होना सबसे शुभ माना जाता है। उत्तर-पूर्व दिशा को देवताओं का स्थान कहा गया है, यहां से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह सबसे अधिक होता है। दक्षिण और दक्षिण-पश्चिम दिशा में मुख्य द्वार होने से बचें। यदि दक्षिण दिशा में द्वार लेना आवश्यक हो, तो वास्तु विशेषज्ञ से सलाह लेकर उचित उपाय जरूर करें।

मुख्य द्वार के ठीक सामने कोई दीवार, लिफ्ट या सीढ़ी नहीं होनी चाहिए। द्वार के सामने कोई अंधेरा कोना या कचरे का डिब्बा नहीं होना चाहिए।

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रसोई घर की दिशा 
रसोई घर अग्नि तत्व का प्रतीक है और यह घर की स्वास्थ्य और समृद्धि को प्रभावित करता है। रसोई घर हमेशा दक्षिण-पूर्व दिशा में होना सबसे उत्तम माना जाता है। यह अग्नि देव की दिशा है, जो रसोई के लिए आदर्श है। यदि आग्नेय कोण में रसोई न मिले, तो उत्तर-पश्चिम भी एक अच्छा विकल्प है। रसोई घर को उत्तर-पूर्व दिशा में नहीं लेना चाहिए। ईशान कोण जल तत्व का स्थान है और यहां अग्नि तत्व का होना वास्तु दोष पैदा करता है, जिससे स्वास्थ्य और आर्थिक समस्याएं आ सकती हैं। गैस चूल्हा रसोई के पूर्व दिशा की ओर मुख करके लगाना चाहिए ताकि खाना बनाते समय आपका मुख पूर्व दिशा में रहे।

शयन कक्ष की सही दिशा
मास्टर बेडरूम घर के मुखिया के लिए होता है और यह उनके जीवन की स्थिरता और संबंधों को प्रभावित करता है। मास्टर बेडरूम हमेशा दक्षिण-पश्चिम में होना चाहिए। यह दिशा पृथ्वी तत्व को दर्शाती है और स्थिरता, स्वास्थ्य तथा संबंधों में मधुरता लाती है। सोते समय आपका सिर हमेशा दक्षिण या पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। उत्तर की ओर सिर करके सोने से बचें क्योंकि यह बेचैनी और अनिद्रा लाता है। मास्टर बेडरूम को उत्तर-पूर्व दिशा में नहीं लेना चाहिए।
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Content Editor

Prachi Sharma

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