Varalakshmi Vrat: वरलक्ष्मी व्रत के दिन कर लिया ये काम तो आपके घर में भी होगी धन की बरसात
punjabkesari.in Thursday, Aug 15, 2024 - 04:09 AM (IST)
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Varalakshmi Vrat 2024: वरलक्ष्मी व्रत भारतीय संस्कृति में एक प्रमुख धार्मिक अनुष्ठान है, जिसे विशेष रूप से महिलाओं द्वारा लक्ष्मी देवी की पूजा के लिए रखा जाता है। यह व्रत विशेष रूप से दक्षिण भारत में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है लेकिन भारत के अन्य हिस्सों में भी इसकी मान्यता है। इस व्रत को श्रावण मास के अंतिम शुक्रवार को रखा जाता है, जो आमतौर पर अगस्त या सितंबर में आता है। इस वर्ष यह व्रत सावन के अंतिम शुक्रवार 16 अगस्त को है। वरलक्ष्मी व्रत न केवल धार्मिक अनुष्ठान है बल्कि यह जीवन में सच्चे सुख और समृद्धि की प्राप्ति के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इस व्रत को श्रद्धा और विश्वास के साथ करने से जीवन में स्थिरता, सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
If you do this work on the day of Varalakshmi Vrat, then there will be a shower of wealth in your house too वरलक्ष्मी व्रत के दिन कर लिया ये काम तो आपके घर में भी होगी धन की बरसात
घर की सफाई और पूजा स्थान को स्वच्छ कर सभी कार्यों को व्यवस्थित तरीके से करें।
मां लक्ष्मी की पूजा के लिए विशेष पूजा स्थल की स्थापना करें। उनकी प्रतिमा अथवा चित्रपट को सोने, चांदी या अन्य कीमती वस्तुओं से सजाएं। उन्हें कमल के फूलों की माला पहनाएं, लाल या गुलाबी रंग के फूल अर्पित करें। देसी घी का दीपक लगाएं। खास पकवान जैसे चने की दाल, गुड़ और खीर का भोग लगाएं।
व्रत के दिन व्रत कथा सुनना बहुत महत्वपूर्ण होता है। यह कथा लक्ष्मी देवी की महिमा और उनके आशीर्वाद प्राप्त करने के तरीके पर आधारित होती है। कथा सुनने से मानसिक शांति और धार्मिक ज्ञान में वृद्धि होती है।
व्रत के दिन दान और सेवा का भी विशेष महत्व होता है। गरीबों को भोजन और वस्त्र देना, मंदिर में दान करना और गरीबों की सहायता करना शुभ माना जाता है।
व्रत के दौरान सकारात्मक सोच और कार्यों का पालन करना चाहिए। यह व्रत मानसिक स्थिति को पॉजिटिव रखने और परिवार में सुख-शांति बनाए रखने में मदद करता है। अंत में देवी लक्ष्मी से परिवार की समृद्धि, सुख-शांति और ऐश्वर्य की प्रार्थना करें।
These Vastu related things should be kept in mind during Varalakshmi Puja वरलक्ष्मी पूजा में वास्तु संबंधी इन बातों का ध्यान रखना चाहिए
Place of worship पूजा स्थान: पूजा स्थान उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण) में होना चाहिए, जो वास्तु अनुसार सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत होता है।
Cleanliness साफ-सफाई: पूजा स्थल स्वच्छ और व्यवस्थित होना चाहिए, जिससे पॉजिटिव ऊर्जा का प्रवाह बना रहे।
Lamps and incense sticks दीपक और अगरबत्ती: दीपक और अगरबत्ती पूजा स्थल पर रखें, जिससे वातावरण शुद्ध और दिव्य बने।
All content सभी सामग्री: पूजा की सभी सामग्री जैसे फूल, नैवेद्य और वस्त्र शुद्ध और नए हों।
Architectural complement वास्तु पूरक: लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र को पूजा स्थल के केंद्र में रखें, जिससे सुख और समृद्धि में वृद्धि हो।