Vamana Dwadashi: वामन द्वादशी की कथा के साथ पढ़ें, पूजा विधि

punjabkesari.in Sunday, Apr 02, 2023 - 07:35 AM (IST)

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Vamana Dwadashi 2023: आज 2 अप्रैल, 2023 भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को वामन द्वादशी का त्यौहार मनाया जाएगा। आज के दिन भगवान विष्णु ने ऋषि कश्यप और उनकी पत्नी अदिति के पुत्र के रूप में अवतार लिया था। वामन देव त्रेता युग के पहले अवतार थे। दक्षिण भारत में वामन भगवान को उपेंद्र के नाम से भी जाना जाता है। कहते हैं मनुष्य के रूप में भगवान विष्णु का ये पहला अवतार था। विष्णु जी ने वामन अवतार में एक बौने ब्राह्मण का रूप लिया था। वामन देव को इंद्र देव का छोटा भाई भी कहा जाता है। तो आइए जानते हैं, क्या है भगवान वामन से जुड़ी कथा-

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Vamana Dwadashi katha वामन द्वादशी कथा: पौराणिक कथाओं के अनुसार अत्यंत बलशाली दैत्य राजा बलि ने इंद्रदेव से देवलोक छीन लिया था। तब इंद्रदेव सभी देवताओं के साथ भगवान विष्णु से मदद मांगने पहुंचे क्योंकि उन्हें डर था कि राजा महाबली परम शासक बन सकते हैं। भगवान विष्णु ने सबको विश्वास दिलाया कि वो जल्द ही इस समस्या का समाधान ढूढेंगे और उनको देवलोक वापस दिलवाएंगे। इसके बाद भगवान विष्णु ने वामन के रूप में धरती पर पांचवां अवतार लिया।

असुर राज बलि प्रह्लाद के पौत्र भी हैं इसलिए वो दयालु असुर के नाम से भी जाने जाते हैं। वामन देव बौने ब्राह्मण के वेश में बली के पास गये और उससे रहने के लिए तीन कदम भूमि मांगी। राजा बलि के द्वार पर जो कोई भी जाता था वो उसे कभी खाली नहीं भेजते थे। बलि ने गुरु शुक्राचार्य की चेतावनी के बावजूद वामन देव को वचन दे डाला।

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वामन देव ने अपना आकार इतना बड़ा कर लिया कि पहले ही कदम में पूरा भूलोक (पृथ्वी) नाप लिया। दूसरे कदम में सारा देव लोक ले लिया। जब तीसरे कदम की बारी आई तो भूमि समाप्त हो गई थी लेकिन वचन के पक्के राजा बलि ने अपना वादा पूरा करने के लिए अपना सिर प्रस्तुत कर दिया। ये देखकर वामन देव बहुत खुश हुए और बलि को पाताल लोक देने का निश्चय किया। वामन देव ने बलि के सिर पर अपना पैर रखा, जिससे राजा बलि पाताल लोक में पहुंच गए।

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Worship of Vamana Dwadashi वामन द्वादशी की पूजा: आज के दिन भगवान विष्णु के अवतार वामन देव का चित्र लगाकर घर में पूजा की जाती है। वामन देव की पूजा करने के लिए दक्षिणावर्ती शंख में गाय का दूध लेकर उनका अभिषेक करना चाहिए। अभिषेक के बाद उनकी कथा सुनें और आरती के साथ पूजा का समापन कर दें। ऐसा करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद सदैव आपके और परिवार के ऊपर बना रहता है।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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