केदारनाथ त्रासदी: याद आया 16 जून 2013 के प्रलय का वो खतरनाक मंजर, मृत लोगों के लिए हुआ शांति पाठ
punjabkesari.in Wednesday, Jun 17, 2020 - 01:27 PM (IST)

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16 जून, 2013 का दिन कोई नहीं भूला सकता है। ये वो अशुभ दिन था जब उत्तराखंड में स्थापित हिंदू धर्म के चार धाम में प्रमुख कहे जाने वाले केदारनाथ में चहूं और जल ही जल ने अपना कहर दिखाया था। ये मंजर था यहा आई जल प्रलय का, जिसे आज भी याद कर हर किसी का दिल कांप जाता है। 7 साल पहले आए जल प्रलय ने न जाने कितने घरों को उजाड़ा था। इंटरनेट से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस प्रलय में कुल 4 हज़ार 700 लोगों की जिंदगियां पानी के साथ बह गईं। यही कारण है कि कहा इस दुखदायी घटना को याद कर या यूं कहें भगवान द्वारा किए इस प्रकोप की दृश्य याद कर सहम जाता है।
केदारनाथ में आई इस आपदा को उत्तराखंड की अब तक की सबसे बड़ी त्रासदियों में से एक थी, यहाी कारण है कि यहां हुई तबाही के बाद हर किसी को ये लगने लगा था कि भविष्य में ये यात्रा कभी शुरू हो भी पाएगी या नहीं। हालांकि इसका पुनर्निर्माण कर 2017 में इसे फिर से आम लोगों के लिए खोला गया। बीते सात सालों में जैसे-जैसे पुनर्निर्माण कार्य आगे बढ़ा है। घाटी में यात्रा करने वालों की संख्या भी बढ़ती चली गई है। आपदा आने के बाद धाम में कई अधिक सुविधाएं विकसित की गई जो धाम के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। इसके पीछे पीएम मोदी का खुद से पुनर्निर्माण कार्यों को देखना भी अहम है।
खबरों के अनुसार 16 जून 2013 को इस आपदा की सातवीं बरसी थी, जिस दौरान उत्तराखंड पुलिस और एसडीआरएफ में मारे लोगोंं के लिए 2 मिनट का मौन रखा। साथ ही पुलिस के जवानों द्वारा उन्हें श्रद्धांजलि भी दी गई। तो वहीं बीते दिन मंगलवार को केदारनाथ धाम में 2013 के हादसे में मृत हजारों श्रद्धालुओं की आत्म शांति के लिए विशेष शांति पाठ किया। इस दौरान यहां करीब 25 लोग उपस्थित थे।
आईए जानते हैं जल प्रलय से जुड़ी ऐसी बातें जिनसे आज तक कोई रूबरू नहीं है-
इस आपदा के गवाब बने लोग बताते हैं कि 16 जून की शाम हम घर में थे, कई दिनों से यहां लगातार बारिश हो रही थी। 16 जून की रात कई लोग बहाव में बह चुके थे। 17 जून की सुबह जब हम मंदिर पहुंचे तब सुबह 7.30 के करीब अचानक से मंदाकिनी नदी का तेज बहाव मंदिर तक पहुंच गया। उस समय मंदिर में करीबन 250 लोग मौजूद थे। मंदिर में बढ़ते पानी को देख, सभी लोग मंदिर में सुरक्षित स्थान खोजने लगे। जिसके कुछ ही मिनटों में मंदिर में करीब 10 फीट पानी भरा गया था। लोग मंदिर की दीवारों के सहारे खुद के प्राण बचाने की कोशिश कर रहे थे। अब तक 250 में से करीब 50 लोग तो नदी के बहाव में बह चुके थे। बाकी बचे सभी लोग किसी तरह जान बचाने में लगे रहे। करीबन 5 मिनट बाद मंदिर से पानी कम होने लगा था। इस दौरान मंदिर के पीछे एक बड़ी चट्टान बहकर आ गई, इस चट्टान ने नदी के पानी दो हिस्सों में बांट दिया जिसने मंदिर को कोई नुकसान नहीं होने दिया। यहां के लोगों का कहना है ये भगवान केदारनाथ जी का चमत्कार ही था।