शास्त्रों में वर्णित है ‘अतिजात सुत’ का वर्णन, जानें इससे जुड़ा श्लोक

punjabkesari.in Tuesday, Jun 01, 2021 - 06:33 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
सनातन धर्म में ऐसे कई धार्मिक शास्त्र व ग्रंथ हैं जिनमें मनुष्य जीवन से जुड़ी कई बातेंं बताई गई है। आज हम आपको धार्मिक ग्रंथ में उल्लेखित एक ऐसे ही श्लोक के बारे में बताने जा रहे हैं। जिसमें पुत्रों की किस्मे बताई गई है। जी हां, असल में शास्त्रों में 4 तरह के पुत्रों का वर्णन किया है। तो अगर आप भी जानना चाहते हैं कि आप अपने मां-बाप के लिए किसी तरह के पुत्र साबित हो रहे हैं तो जरूर पढ़ें ये जानकारी- 

‘चत्तारि सुता-अतिजाते, अणुजाते,अवजाते, कुङ्क्षलगाले’, स्थानांगसूत्र 4/1

पुत्र चार प्रकार के होते हैं- अतिजात, अनुजात, अवजात और कुलांगार।

कुछ पुत्र ऐसे होते हैं जो गुणों में अपने पिता से भी आगे बढ़ जाते हैं उन पुत्रों को ‘अतिजात सुत’ कहा जाता है।

दूसरी श्रेणी में वे पुत्र होते हैं जो अपने पिता के गुणों का अनुसरण करके वैसे ही बन जाते हैं-न उनसे बड़े, न उनसे छोटे। जब तक पिता जीवित रहते हैं लोग उन्हीं का नाम जानते हैं और उनकी मृत्यु के बाद उनके पुत्र को जानने लगते हैं, ऐसे पुत्रों को ‘अनुजात सुत’ कहा जाता है।

 तीसरी श्रेणी के पुत्र पिता के समस्त गुणों को नहीं अपना पाते। पिता से गुणों में हीन होने से ये पुत्र ‘अवजात सुत’ कहलाते हैं।

चौथी श्रेणी के पुत्र दुव्र्यसनी होते हैं-दुर्गुणी होते हैं। पिता से विपरीत कार्य करके अपने पिता को भी कलंकित करते हैं-कुल की प्रतिष्ठा को नष्ट कर देते हैं इसलिए उन पुत्रों को ‘कुलाङ्गार’ कहा जाता है। —डा. पुष्पेन्द्र मुनि


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Jyoti

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