इस वर्ष कब पड़ रहा है तुलसी विवाह व प्रबोधिनी एकादशी, जानिए मुहूर्त

punjabkesari.in Wednesday, Oct 27, 2021 - 05:28 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
कार्तिक मास में हिंदू धर्म के कई प्रमुख त्यौहार पड़ते हैं, जिस सूची में शामिल हैं करवाचौथ, अहोई अष्टमी, दिवाली, तुलसी विवाह, देवउठनी एकादशी आदि। कहा जाता है जितना महत्व इस मास में पड़ने वाले दिवाली आदि जैसे पर्वों का है, उतना ही महत्व है तुलसी विवाह व इस मास की देवउठनी एकादशी का। बता दें इस वर्ष देवउठनी एकादशी और तुलसी विवाह का पर्व 15 नवंबर को पड़ रहा है। मान्यताओं के अनुसार इस देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु चार मास के बाद अपनी योग निद्रा से जागते हैं, जिसके साथ ही तमाम तरह के धार्मिक व मांगलिक कार्य भी आरंंभ हो जाते हैं। 

धार्मिक कथाओं के अनुसार इस दिन से श्री हरि विष्णु दोबारा से सृष्टि का संचालन अपने हाथों में लेते हैं। मुख्य तौर पर इसके उपरांत शादी ब्याह जैसे कार्यों को अधिक रूप से संपन्न होने लगते हैं। इसके अलावा इस दिन श्री हरि की पूजा के अलावा तुलसी माता और भगवान शालीग्रमा के खास पूजन से व्यक्ति की समस्त प्रकार की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। जिन लोगों के वैवाहिक जीवन में बाधाएं होती हैं, इनकी पूजा से उनका दांपत्य जीवन पहले से बेहतर होता है। तो वहीं ये भी कहा जाता है कि इस दिन तुलसी विवाह करवाने वाले व्यक्ति को कन्यादान जितना पुण्य प्राप्त होता है। 

आइए जानते हैं तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त-
इस वर्ष यानि 2021 में तुलसी विवाह 15 नवंबर दिन सोमवार को पड़ रहा है। 
एकादशी तिथि इस दिन प्रातः 6:39 बजे शुरू होगी, जो 16 नवंबर, मंगलवार को 8:01 मिनट पर पूर्ण होगी। 
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस शुभ मुहूर्त के उपलक्ष्य विष्णु जी के शालीग्राम अवतार के साथ माता तुलसी का विवाह किया जाएगा।

इस दिन पूजा करते समय रखें ध्यान 
धार्मिक मान्यता है कि इस दिन सुहागिन स्त्री को तुलसी विवाह जरूर कराना चाहिए, इससे से अखंड सौभाग्य प्राप्त होता है। परंतु ध्यान रखें कि इस दिन पूजा के दौरान कुछ खास बातों को ध्यान रखना जरूरी होता है। 

ये हैं वो बातें- 
मां तुलसी को सुहाग सामान और लाल चुनरी जरूर चढ़ाएं।
तुलसी के पौधे या गमले में शालीग्राम को एक साथ रखें और फिर इस पर तिल चढ़ाएं।
देवउठनी एकादशी पर तुलसी-शालीग्राम को दूध में भीगी हल्दी का तिलक करें।
विधि वत रूप से पूजा कर 11 बार तुलसी परिक्रमा करें। ध्यान रहे इस दौरान हाथ में चावल जरूर हों।
पूजा समाप्त होने पर सायं काल में विष्णु जी से जागने का आह्वान कर थाली बजाएं। 
अतः में भोग लगा प्रसाद घर के सदस्यों में वितरित कर स्वयं ग्रहण करें। 


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Content Writer

Jyoti

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