कैलाश मानसरोवर के बाद पावन माने जाने वाला ये स्थान है अद्भुत, दो धर्मों के लोक एकसाथ करते हैं पूजा

punjabkesari.in Tuesday, Aug 20, 2019 - 01:44 PM (IST)

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देवभूमि हिमाचल प्रदेश में हिंदू धर्म से जुड़े कई धार्मिक स्थल हैं, जो अपनी किसी न किसी खासियत के चलते देश भर में प्रसिद्धि हासिल किए हुए हैं। आज हम आपको एक ऐसे ही धार्मिक स्थल के बारे में बताने जा रहे हैं। बता दें ये स्थान हिमाचल प्रदेश के लाहौल और स्पीति जिले के त्रिलोकीनाथ गांव में स्थित है, जिसे त्रिलोकीनाथ मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस अद्भुत मंदिर की सबसे खास बात ये  है यहां एक-साथ दो धर्म के लोग पूजा करते हैं। हम जानते हैं ये जानकर आपको यकीनन अजीब लग रहा होगा। क्योंकि जहां देश में एक तरफ़ धर्म के नाम पर आज भी दंगे, फसाद होते हैं, राजनीति खेल खेले जाते हैं तो वहीं इस मंदिर में ये अद्भुत नज़ारा देखने को कैसे मिल सकता। हम जानते हैं फिलहाल आपके द़िमाग में यही सब बातें चल रही होंगी। तो अपने द़िमाग को थोड़ा आराम दीजिए क्योंकि हम आपको बताने वाले हैं इस मंदिर से जुड़ी बेहद दिलचस्प बातें-
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2760 मीटर की ऊंचाई पर त्रिलोकीनाथ गांव की सड़क के अंत में सफ़ेद रंग का सुंदर त्रिलोकीनाथ मंदिर दिखाई देता है। जिसे कैलाश और मानसरोवर के बाद सबसे पवित्र तीर्थ स्थान माना जाता है। वैसे तो लाहौल और स्पीति जिले में चंद्रभागा नदी के किनारे बसा हुआ ये छोटा सा कस्बा उदयपुर कई चीजों के लिए मशहूर है। मगर यहां का त्रिलोकीनाथ मंदिर इसको कई गुना और मशहूर करता है।

बता दें इस मंदिर को बहुत खास माना जाता है। इसका कारण है यहां एक साथ दो धर्म के लोगों का पूजा-अर्चना करना। एक तरफ़ जहां इस मंदिर में हिंदू धर्म के प्रमुख देवता यानि भगवान शिव के स्वरूप  त्रिलोकनाथ की पूजा की जाती है तो वहीं दूसरो ओर यहां और बौद्ध आर्य अवलोकितेश्वर के रूप में भी पूजा की जाती है। लोक मान्यता के अनुसार यह दुनिया का इकलौता एसा मंदिर है, जहां एक ही मूर्ति की दो धर्मों के लोग एक साथ पूजा करते हैं।

हिंदू धर्म की मान्यताओं की मानें तो इस मंदिर का निर्माण पांडवों द्वारा करवाया गया था। तो वहीं बौद्धों मुताबिक पद्मसंभव 8वीं शताब्दी में यहां आकर पूजा की थी। जिस कारण ये जगह उनके लिए बेहद खास है।
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स्थानीय लोगों का मानना है कि मंदिर से कई रहस्य जुड़े हुए हैं, जिनके बारे में आज तक कोई नहीं जान पाया। जिनमें से एक का किस्सा कुल्लू के राजा से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि वह भगवान की इस मूर्ति को अपने साथ ले जाना चाहते थे, लेकिन मूर्ति इतनी भारी हो गई कि उठाई नहीं गई। बता दें संगमरमर की इस मूर्ति की दाईं टांग पर एक निशान भी है जिसके बारे में मान्यता है कि यह निशान कुल्लू के एक सैनिक की तलवार से बना था।

अगस्त में लगता है भव्य मेला
बताया जाता है अगस्त के महीने में त्रिलोकीनाथ के दर्शन करने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं क्योंकि इस दौरान इस माह में यहां पोरी मेला आयोजित होता है। पोरी मेला त्रिलोकीनाथ मंदिर और गांव में प्रतिवर्ष मनाया जाने वाला तीन दिनों का भव्य त्यौहार है, जिसमें हिंदू और बौद्ध दोनों बड़े उत्साह के साथ शामिल होते हैं।

इस पवित्र उत्सव के दौरान सुबह-सुबह, भगवान को दही और दूध से स्नान करवाया जाता है और लोग बड़ी संख्या में मंदिर के आसपास इकट्ठा होते हैं और ढ़ोल नगाड़े बजाए जाते हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार भगवान शिव इस दिन घोड़े पर बैठकर गांव आते हैं। जिसके चलते इस उत्सव के दौरान एक घोड़े को मंदिर के चारों ओर ले जाया जाता है।
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आपकी जानकारी के लिए बता दें फिलहाल हिमाचल के लाहौल स्पीति और चंबा जिलों में कुछ स्थानों पर मौसम की पहली बर्फबारी हुई है। यहां आमतौर पर अगस्त माह में बर्फबारी नहीं होती। तो अगर आप अभी यहां जाने का प्लान बना रहे तो अभी इस प्रोग्राम को टाल दें। 
 


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Jyoti

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