क्यों पहनती हैं महिलाएं बिछिया, जानें इनका धार्मिक और वैज्ञानिक कारण
punjabkesari.in Friday, Nov 14, 2025 - 11:47 AM (IST)
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
भारतीय महिलाओं की परंपरा और सांस्कृतिक पहचान में बिछिया का खास स्थान है। भारत में, विशेष रूप से विवाहित महिलाओं के लिए बिछिया पहनना सोलह श्रृंगार का एक अभिन्न अंग माना जाता है। पैरों में पहनने वाली ये सुंदर श्रृंखलियां केवल आभूषण नहीं हैं, बल्कि इनके पीछे धार्मिक, सामाजिक और कभी-कभी वैज्ञानिक कारण भी छिपे हैं। इसे पहनना सुहाग, परिवार की खुशहाली और परंपराओं के पालन का प्रतीक माना जाता है। साथ ही, आयुर्वेद और शरीर विज्ञान के दृष्टिकोण से भी इसके कुछ स्वास्थ्य लाभ माने जाते हैं। तो आइए जानते हैं इसके धार्मिक और वैज्ञानिक कारण के बारे में-

धार्मिक और सामाजिक महत्व
विवाहित होने का प्रतीक
बिछिया को मुख्य रूप से सुहाग की निशानी माना जाता है। यह बताती है कि महिला विवाहित है।
दांपत्य जीवन में सुख-शांति
हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, बिछिया पहनने से पति-पत्नी के बीच प्रेम और संबंध मजबूत होता है, और वैवाहिक जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
मां लक्ष्मी का आशीर्वाद
यह भी माना जाता है कि बिछिया पहनने से धन की देवी मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं, जिससे घर में सुख-समृद्धि आती है।

नकारात्मक ऊर्जा से बचाव
पायल और बिछिया की आवाज़ को घर से नकारात्मक शक्तियों को दूर भगाने वाला माना जाता है।
रामायण में उल्लेख
प्राचीन भारतीय महाकाव्य रामायण में भी इसका उल्लेख है। कहा जाता है कि जब रावण ने माता सीता का हरण किया था, तो उन्होंने अपनी बिछिया को नीचे गिरा दिया था ताकि भगवान राम को उनका पता लगाने में मदद मिल सके।

वैज्ञानिक और स्वास्थ्य संबंधी कारण
तनाव और मन की शांति
बिछिया द्वारा पड़ने वाले दबाव से तंत्रिका तंत्र शांत रहता है, जो तनाव और क्रोध को कम करने में मदद करता है।
चांदी का महत्व
बिछिया चांदी की इसलिए पहनी जाती है क्योंकि चांदी को विद्युत का अच्छा सुचालक माना जाता है। यह माना जाता है कि चांदी पृथ्वी से मिलने वाली पोलर ऊर्जा को अवशोषित करके उसे पूरे शरीर तक पहुंचाती है, जिससे महिलाएँ अधिक तरोताज़ा और ऊर्जावान महसूस करती हैं।

