Kundli Tv- पापों से मुक्ति के लिए यहां जाएं

punjabkesari.in Friday, Aug 17, 2018 - 11:57 AM (IST)

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पश्चिम रेलवे के अहमदाबाद-दिल्ली रेल मार्ग पर मेहसाणा और आबू रोड स्टेशनों के बीच सिद्धपुर स्टेशन है। स्टेशन से एक मील की दूरी पर सरस्वती नदी के तट पर बसा है सिद्धपुर, जिसे श्रीस्थल भी कहा जाता है। बिंदू सरोवर तीर्थ, परशुराम मंदिर, बोहरा हवेली आदि यहां प्रमुख आकर्षण हैं। ‘श्रीस्थल’ सिद्धपुर ऐसा धर्मारण्य पुष्यमय आदि तीर्थ है, जहां व्यक्ति प्रवेश करते ही सभी पापों से मुक्त हो जाता है। यहां जो पुरुष नियमपूर्वक देवता-पितरों की पूजा करता है, उसे सर्व मनोरथ यज्ञ का फल प्राप्त होता है। 
PunjabKesariदेवता एवं असुरों द्वारा किए गए समुद्र मंथन में यहीं पर लक्ष्मी जी प्रकट हुई थीं, जहां वह नारायण के साथ यहां स्थित हो गईं। पद्मपुराण के आदि पर्व के अनुसार सरस्वती के इस तट पर महर्षि कर्दम का आश्रम था। उन्होंने दीर्घकाल तक तपस्या कर नारायण को प्रकट किया था। कर्दम की कठोर तपस्या से प्रसन्न हुए नारायण के नेत्रों से कुछ अश्रु बिंदु गिरे तथा वह स्थान बिंदु सरोवर तीर्थ के नाम से प्रसिद्ध हुआ। स्वायंभुवमुनि ने इसी आश्रम में अपनी कन्या देवहुति को महर्षि कर्दम को अर्पित किया था और यहीं पर देवहुति ने भगवान कपिल को जन्म दिया। कपिल ने माता देवहुति को ज्ञानोपदेश दिया। परम सिद्धि प्राप्त माता देवहुति का देह द्रवित होकर जल रूप हो गया था, यहीं पर ब्रह्मा की पुत्री अरुपा भी कपिल से ज्ञानोपदेश प्राप्त कर अल्पा सरोवर में परिवर्तित हो गई।
PunjabKesariमातृ गया के नाम से प्रसिद्ध यह क्षेत्र मातृ श्राद्ध के लिए प्रसिद्ध है। भारत में जिस तरह पितृश्राद्ध के लिए ‘गया’ प्रसिद्ध है वैसे ही मातृ श्राद्ध के लिए सिद्धपुर प्रसिद्ध है। काम्यक वन में स्थित श्रीस्थल में पाटण नरेश सिद्धराज जयसिंह ने अपने पिता गुर्जरेश्वर मूलराज सोलंकी द्वारा शुरू किए गए रुद्र महालय को पूरा किया था। तभी से इसका नाम सिद्धपुर हो गया। यहां शुद्ध मन से जो भी कर्म किया जाता है, वह तत्काल सिद्ध हो जाता है। औदिव्य ब्राह्मणों की उत्पत्ति यहीं से हुई है, जिनके कुल देवता गोविंद माधव हैं।  
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Niyati Bhandari

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