दूसरों का हित सोचना ही है सबसे बड़ी इंसानियत

punjabkesari.in Friday, Aug 09, 2019 - 09:24 AM (IST)

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यूनान में झांथस नाम का एक बहुत ही धनवान व्यक्ति था। उन दिनों गुलामी की प्रथा प्रचलन में थी। बुद्धिमान ईसप उसका गुलाम था। वह बहुत ही समझदार व होशियार था। एक बार झांथस ने ईसप से कहा, ‘‘मुझे हौज पर स्नान करने जाना है। जरा देखकर आओ, वहां कितने आदमी हैं।’’

ईसप अपने मालिक का आदेश सुनकर हौज पर गया और वहां से लौटकर बोला, ‘‘हुजूर, वहां सिर्फ एक ही आदमी है।’’
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यह सुनकर झांथस उसके साथ स्नान करने के लिए चल पड़ा। दोनों हौज पर पहुंचे, वहां भारी भीड़ लगी हुई थी। यह देख झांथस हैरानी से बोला, ‘‘तुमने तो कहा था कि हौज पर केवल एक ही आदमी है किन्तु यहां तो भीड़ लगी हुई है।’’

मालिक की बात सुनकर ईसप बोला, ‘‘हुजूर, मैं तो अब भी यही कहूंगा कि यहां पर केवल एक ही आदमी है।’’

झांथस ने इसका कारण जानना चाहा तो ईसप बोला, ‘‘हुजूर, जब मैं यहां आ रहा था तो रास्ते में एक बहुत भारी पत्थर पड़ा हुआ था। हर आने-जाने वाले को उस पत्थर से चोट पहुंच रही थी पर प्रत्येक व्यक्ति चोट खाकर उस पत्थर को पार कर जाता था। कुछ देर बाद एक व्यक्ति आया और उसने अपनी पूरी शक्ति लगाकर उस पत्थर को वहां से हटा दिया। बाद में वह हौज की तरफ चला गया। वह व्यक्ति अब भी यहां पर मौजूद है।’’
PunjabKesari, Thinking good for others, Helpईसप ने कहा, ‘‘हुजूर, भीड़ में सभी स्वार्थी और विचारहीन हैं। पत्थर से किसी को चोट न पहुंचे, यह विचार सिर्फ एक ही व्यक्ति के मन में आया और उसने मार्ग रोकने वाले उस पत्थर को हटाना ही अपना पहला और प्रमुख कार्य समझा। मुझे तो सिर्फ वही इंसान दिखाई दिया इसलिए मैंने आपसे यह कहा कि हौज पर केवल एक ही आदमी है।’’

ईसप का जवाब सुनकर झांथस मुस्कुराया और बोला, ‘‘तुम्हारा कहना सही है।’’
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Jyoti

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