…तो क्या कुंडली के ये योग बनाते हैं इंसान को पागल?
punjabkesari.in Saturday, Apr 18, 2020 - 03:50 PM (IST)
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
ज्योतिष शास्त्र में ग्रह व नक्षत्रों के बारे में बहुत कुछ बताया गया है। इसी के साथ इसकी मदद से कोई भी व्यक्ति अपनी कुंडली से संबंधित हर तरह की जानकारी ले सकता है। यही कारण है लोग ज्योतिष शास्त्रों के पास जाते हैं और अपने भविष्य के बार में जानते हैं। इतना ही नहीं ज्योतिष शास्त्र की मदद से कुंडली के उन योगों के बारे में भी पता लगाया जा सकता है कि किन हालातों में व्यक्ति पागल बनता है। जी हां, ऐसा कहा जाता है कि कुंडली में कुछ ऐसे योग होते हैं जिस कारण व्यक्ति के पागल बनाने की संभावना अधिक बढ़ जाती है।
कहा जाता है किसी को पागलपन की बीमारी बचपन से होती है तो किसी को उम्र के बढ़ने पर इस परेशानी का सामना करना पड़ता है। मगर ज्योतिष शास्त्र की मानें तो कुंडली में ये योग बनते हैं तो कोई न कोई संकेत ज़रूर मिलते हैं। ऐसे में अगर कुछ खास बातों का ध्यान रखा जाए तो ऐसे लोगों को सावधान रहने की ज़रूरत होती है।
आमतौर पर बात करें तो कुंडली में सभी नौ ग्रह अपनी-अपनी प्रकृति के अनुसार किसी न किसी रोग की सूचना देते हैं, लेकिन कुंडली में दो या दो से अधिक ग्रहों कि युति अपना अलग प्रभाव प्रकट करती है। जिसक बारे में कम ही लोग जानते हैं। ऐसा कहा जाता है कि यह युति रोगों को और जटिल बना देती है। हम आपको कुंडली में ग्रहों के कुछ ऐसे योग बताएंगे जो पागलपन की बीमारी के योग बताते हैं। चलिए जानते हैं कि इन योगों के बारे में साथ ही साथ जानेंगे ऐसे योगों के अशुभ प्रभावों को दूर करने के लिए कौन से ज्योतिष उपाय करने चाहिए।
जब किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्र, बुध की युति केंद्र स्थान में बन रही हो या यह दोनों ग्रह लग्न भाव में स्थित हो तो व्यक्ति उन्मादी या अल्पबुद्धि वाला हो सकता है।
जब व्यक्ति की कुंडली के भाग्य एवं संतान भाव में सूर्य, चंद्र हो तो व्यक्ति का मानसिक विकास ठीक से तरिके से नहीं हो पाता और वह मानसिक रूप से कमज़ोर रह जाता है।
जिसकी कुंडली में मंगल सप्तम स्थान में हो तथा लग्न में गुरु हो तो ऐसे जातक की किसी सदमे के कारण पागल होने की आशंका बढ़ती है।
तो वहीं कुंडली में गुरु और शनि केंद्र में स्थित हो और जन्म शनिवार या मंगलवार हो तो व्यक्ति के पागल होने के अधिक चॉनस होते हैं।
पागलपन से बचने के कुछ उपाय-
किसी विशेषज्ञ ज्योतिषी से परामर्श लेकर अशुभ योगों का ज्योतिषीय उपचार करवाएं।
प्रतिदिन गौमूत्र का सेवन करें।
शिव जी की विधि-विधान से पूजा करें, मान्यता है इससे मानसिक शांति प्राप्त होती है।
अगर किसी की कुंडली में उपरोक्त बताए गए कोई योग दिखाई प्रत्येक बुधवार गाय को चारा खिलाएं तथा बुध के मंत्रों का जाप करें।
अच्छे व शुभ परिणामों के लिए रोज़ाना हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए।