Kundli Tv- ये मंत्र देगा आपको अापके हर सवाल का जवाब
punjabkesari.in Saturday, Dec 01, 2018 - 06:12 PM (IST)

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कुपात्र व्यक्ति को अगर तांत्रिक प्रयोगों और अनुष्ठानों की जानकारी मिल जाती है तो वह उसका इस्तेमाल अपने गंदे स्वार्थों के लिए करेगा। वह लोक कल्याण या मानवता के मूल्यों का ख्याल नहीं रखेगा। दूसरी महत्वपूर्ण बात सुपात्र, कुपात्र के अलावा यह है कि बिना किसी गुरु के तांत्रिक अनुष्ठानों या प्रयोगों को नहीं करना चाहिए। गुरु ही शिष्य को वह मार्ग बतलाता है, जिस पर चलकर शिष्य अपनी हर इच्छा को प्राप्त कर सकता है। शिष्य में यदि आत्मविश्वास की कमी है तो वह आरंभ में ही त्रुटि करता है, तो गुरु ही उसका मार्ग प्रशस्त कर सकता है।
स्वप्रों के जरिए व्यक्ति भूत, वर्तमान और भविष्य के बारे में सौ फीसदी जानकारी प्राप्त कर सकता है। तंत्र शास्त्र की भाषा में इसे स्वप्र सिद्धि कहते हैं। स्वप्रसिद्धि हो जाने पर कोई भी व्यक्ति स्वप्र में अपने सवालों का जवाब स्वप्र में ही पा सकता है। उसे अपने सवालों के जवाब के लिए बाहर जाने या किसी व्यक्ति से पूछने की जरूरत नहीं है। हां, जिन लोगों को स्वप्र देखकर भूलने की आदत हो उनके लिए यह बेहतर होगा कि वे स्वप्र के बाद उठकर वांछित सवालों के जवाब नोट कर लें।
‘‘स्वप्र चक्रेश्वरी स्वप्रे अवतर अवतर गतं वर्तमान कथय कथय स्वाहा।’’
एक लाख जप कर लेने के उपरांत यह मंत्र सिद्ध हो जाता है। मंत्र के सिद्ध हो जाने पर साधक जब कभी भी 108 मनकों वाली माला से मंत्र जाप कर सो जाए, तो उसे स्वप्र में ही अपने सवालों का जवाब मिल जाता है। यों तो एक लाख मंत्रों को सही उच्चारण व श्रद्धा के साथ पूर्ण करने पर ‘स्वप्र सिद्धि’ प्राप्त हो जाती है।
अगर कोई साधक उक्त मंत्र का इक्कीस हजार बार भी जप कर लेता है तो उसे सपने में वांछित दृश्य संदेश मिलने लगते हैं, किंतु मंत्र का जप शुरू करने के पहले गाय के गोबर से जगह लीप कर उस पर घी का दीया जला देना चाहिए। साथ ही उस पर बताशे अर्पित कर देना चाहिए।
साधक को मन में (विचारहीन होकर) स्वप्र चक्रेश्वरी देवी का ध्यान कर उनका आह्वान करना चाहिए। चक्रेश्वरी देवी को अर्पित किए गए बताशों का प्रसाद अगले दिन सुबह कुमारी कन्याओं को बांट देना चाहिए। ‘‘स्वप्न सिद्धि’’ के अभिलाषी व्यक्तियों को एक बात और ध्यान में रखनी चाहिए कि वे जब भी सोएं हो उत्तर दिशा की तरफ पैर करके ही सोएं, साथ ही वे अपने साधना काल में शुद्ध विचारों में ही लीन रहें। यदि कोई व्यक्ति शुद्ध विचारों से जीवन भर लीन रहे तो इससे उत्तम बात और क्या हो सकती है। श्रद्धा और सद्भावना के साथ यदि वे इस सिद्धि के लिए साधना करते हैं तो उन्हें निराशा हाथ नहीं लगनी चाहिए। जो लोग एक्सपेरिमेंट के तौर पर इस विधि को कर रहे हैं, उनके लिए ‘स्वप्नसिद्धि’ सभी जिज्ञासाओं का समाधान कर देगी, किंतु ‘स्वप्र सिद्धि’ कर लेने के बाद इस विद्या का इस्तेमाल लोगों की भलाई और अपने कल्याण के लिए ही करना चाहिए, अन्यथा सिद्धि करने वाले को प्रतिकूल परिणाम ही भुगतने पड़ सकते हैं।]
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